ईद पर विशेष:
ईद-उल-फ़ितर इस्लाम धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे रमज़ान के पवित्र महीने के समापन पर मनाया जाता है। यह त्योहार इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार शव्वाल माह के पहले दिन आता है और इसे उपवास तोड़ने का पर्व माना जाता है। अरबी में “ईद-उल-फ़ितर” का अर्थ है “उपवास तोड़ने का त्योहार,” क्योंकि इस दिन एक महीने के उपवास के बाद पहला भोजन किया जाता है।
रमज़ान इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना है, जिसमें सुबह से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं। यह उपवास न केवल आत्म-संयम और अनुशासन का प्रतीक होता है, बल्कि आत्मा की पवित्रता और अल्लाह के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का भी माध्यम होता है। जब रमज़ान का महीना समाप्त होता है और नया चाँद दिखाई देता है, तब ईद-उल-फ़ितर की शुरुआत होती है।

इस्लामी कैलेंडर चंद्र चक्र पर आधारित होता है, इसलिए ईद-उल-फ़ितर हर साल अलग-अलग तारीखों पर आती है। यह तभी शुरू होती है जब नया चाँद देखा जाता है। इसीलिए, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में यह त्योहार अलग-अलग दिनों में मनाया जा सकता है। कुछ इसे तब मनाना पसंद करते हैं जब नया चाँद मक्का में दिखाई देता है, जबकि कुछ अपने स्थानों पर चंद्रमा दिखने के आधार पर इसे मनाते हैं।
ईद-उल-फ़ितर के अवसर पर विशेष तैयारियाँ करते हैं। इस दिन को विशेष बनाने के लिए निम्नलिखित परंपराएँ निभाई जाती हैं:
- ईद की नमाज़ – सुबह की सामूहिक प्रार्थना, जिसे खुली जगहों, मस्जिदों या सामुदायिक केंद्रों में किया जाता है।
- नए कपड़े पहनना – इस दिन नए और सुंदर कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
- ग़रीबों को दान देना (ज़कात-अल-फ़ितर) – ईद की नमाज़ से पहले ग़रीबों और ज़रूरतमंदों को ज़कात-अल-फ़ितर दिया जाता है।
- मिठाइयाँ और विशेष भोजन – इस दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं, विशेष रूप से सेवइयाँ जो कि मीठी और स्वादिष्ट होती हैं।
- एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देना – एक-दूसरे को “ईद मुबारक” कहकर शुभकामनाएँ देते हैं।
- रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलना – इस दिन परिवार और मित्रों से मिलना एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
ईद का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
मुस्लिम परंपरा के अनुसार, पैगंबर मुहम्मद ने ईद-उल-फ़ितर के उत्सव की शुरुआत की थी। कुछ हदीसों के अनुसार, मक्का से मदीना प्रवास के बाद मुहम्मद साहब ने देखा कि वहाँ के लोग पहले से ही कुछ उत्सव मना रहे थे। तब उन्होंने घोषणा की कि अल्लाह ने मुसलमानों के लिए दो आधिकारिक त्योहार तय किए हैं – ईद-उल-फ़ितर और ईद-उल-अज़हा।

