भारत के आत्मनिर्भर विमानन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों की ओर ले जाने वाला स्वदेशी ट्रेनर विमान हंसा-3 (NG) अब वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (CPL) के प्रशिक्षण के लिए भी उपलब्ध हो गया है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस उन्नत ट्रेनर एयरक्राफ्ट की तकनीक का औपचारिक शुभारंभ किया और इसके निर्माण में निजी क्षेत्र की भागीदारी का स्वागत करते हुए इसे मेक इन इंडिया की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि बताया।

हंसा-3 (NG): देश की उड़ान, देश के पंख
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में आयोजित समारोह में CSIR-राष्ट्रीय वैमानिकी प्रयोगशाला (NAL) द्वारा विकसित हंसा-3 (NG) का लाइसेंस पायनियर क्लीन एम्प्स प्राइवेट लिमिटेड को प्रदान किया गया। यह दो-सीटर विमान अब न केवल निजी पायलट लाइसेंस (PPL) के लिए, बल्कि वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (CPL) के प्रशिक्षण के लिए भी उपयोग में लाया जाएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह विमान न केवल युवाओं को पायलट बनने का अवसर देगा, बल्कि भारत को वैश्विक विमानन प्रशिक्षण केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
आत्मनिर्भर भारत की सशक्त उड़ान
डॉ. सिंह ने इस स्वदेशी प्रयास को आत्मनिर्भर भारत की भावना से प्रेरित बताया और कहा कि यह विमान निर्माण, स्टार्टअप्स, MSMEs और युवाओं के लिए रोजगार सृजन के नए द्वार खोलेगा। यह पहल न केवल टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी, बल्कि विमान रखरखाव, एयरक्राफ्ट में कलपुर्जों के उत्पादन और इंजीनियरिंग में ITI और डिप्लोमा धारकों को प्रशिक्षित कर उन्हें सक्षम बनाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में पायलट प्रशिक्षण को अधिक सुलभ और किफायती बनाकर युवाओं की उड़ान के सपनों को अब पंख दिए जा रहे हैं।
भारत की जरूरत, भारत का समाधान
भारत को अगले 15-20 वर्षों में लगभग 30,000 नए पायलटों की आवश्यकता होगी। वर्तमान में देश में केवल 6,000-7,000 पायलट हैं, जबकि भारतीय एयरलाइंस ने 1,700 से अधिक विमानों का ऑर्डर दे रखा है। ऐसे में हंसा-3 (NG) जैसे स्वदेशी विमान देश की उड़ान आवश्यकताओं को पूरा करने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री के. राम मोहन नायडू ने भी CSIR और वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए इस प्रयास को भारतीय विमानन क्षेत्र के भविष्य के लिए आवश्यक करार दिया।
हंसा-3 (NG): टेक्नोलॉजी और प्रदर्शन का मेल
- ग्लास कॉकपिट, डिजिटल डिस्प्ले से सुसज्जित
- रोटैक्स 912 ISC3 स्पोर्ट्स इंजन द्वारा संचालित
- 620 नॉटिकल मील रेंज, 7 घंटे की उड़ान क्षमता
- 98 नॉटिकल मील की क्रूज स्पीड
- 43 इंच चौड़ा केबिन, बुलबुला चंदवा, इलेक्ट्रिक फ्लैप्स
वैश्विक मंच पर भारत की पहचान
CSIR की महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेल्वी ने कहा कि एयरो इंडिया 2025 में हंसा-3 (NG) का प्रदर्शन भारत की स्वदेशी क्षमताओं को दुनिया के सामने लाने का अवसर होगा। साथ ही, वाणिज्यिकरण की दिशा में CSIR की प्रतिबद्धता को भी दर्शाएगा।
CSIR-NAL के निदेशक डॉ. अभय पशिलकर ने जानकारी दी कि देशभर के FTOs (Flight Training Organizations) से 110+ विमानों के लिए LOI (आशय पत्र) प्राप्त हो चुके हैं। इसके निर्माण के लिए मुंबई की कंपनी पायनियर क्लीन एम्प्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ साझेदारी की गई है, जो प्रति वर्ष 36 विमान बनाने की योजना पर काम कर रही है, जिसे आगे बढ़ाकर 72 विमानों तक स्केल किया जाएगा।
हंसा-3 (NG) केवल एक विमान नहीं, बल्कि भारत के विमानन आत्मनिर्भरता की दिशा में उड़ती एक प्रेरणादायी मिसाल है। यह प्रयास न केवल तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देता है, बल्कि हजारों युवाओं को आसमान छूने का अवसर भी प्रदान करता है। भारत अब सिर्फ हवाई जहाज उड़ाएगा नहीं, उन्हें बनाएगा भी — और वो भी पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से।