पपीता: गुणकारी एवं सर्वसुलभ फल

विनीता झा
कार्यकारी संपादक

पपीता एक ऐसा फल है, जो कच्चा और पका हुआ दोनों ही रूप में खाया जाता है। कच्चा फल हरे रंग का दिखाई देता है, अधिकतर इसकी सब्जी बनाई जाती है। फल के रूप में ज्यादातर पका हुआ पपीता ही खाया जाता है। कहा जाता है कि पपीते की तुलना में शीघ्र लाभदायक और प्रभाव दिखलाने वाला अन्य खाद्य पदार्थ शायद ही दूसरा कोई हो। स्वाद की दृष्टि से भी यह सभी को सहज ही पसंद आता है। इसे गर्म देशों की एक अमूल्य निधि के रूप में माना जाता है। पपीते में कैल्शियम भी अच्छी मात्रा में होता है, जो रक्त एवं तंतुओं के निर्माण एवं हृदय, नाड़ियों तथा पेशियों की क्रिया ठीक रहने में सहायक होता है। साथ ही बच्चों की वृद्धि में और रोगों से बचाव की क्षमता बढ़ाने में भी विटामिन ए की आवश्यकता रहती है। पपीता सालभर बाजार में उपलब्ध होता है। हर सीजन में मिलने वाला फल जोकि सस्ते दामों पर भी मिल जाता है। पपीता एक ऐसा फल है, जो कच्चा और पका हुआ दोनों ही रूप में खाया जाता है। कच्चा फल हरे रंग का दिखाई देता है, अधिकतर इसकी सब्जी बनाई जाती है। फल के रूप में ज्यादातर पका हुआ पपीता ही खाया जाता है।
पपीता बहुत ही जल्दी बढ़ने वाला पेड़ है। साधारण जमीन, थोड़ी गर्मी और अच्छी धूप मिले तो यह पेड़ अच्छा पनपता है, पर इसे अधिक पानी या जमीन में क्षार की ज्यादा मात्रा रास नहीं आती। इसकी पूरी ऊंचाई करीब 10-12 फुट तक होती है। जैसे-जैसे पेड़ बढ़ता है, नीचे से एक एक पत्ता गिरता रहता है और अपना निशान तने पर छोड़ जाता है। तना एकदम सीधा हरे या भूरे रंग का और अन्दर से खोखला होता है। पत्ते पेड़ के सबसे ऊपरी हिस्से में ही होते हैं। एक समय में एक पेड़ पर 80 से 100 फल तक भी लग जाते हैं। पेड़ के ऊपर के हिस्से में पत्तों के घेरे के नीचे पपीते के फल आते हैं, ताकि यह पत्तों का घेरा कोमल फल की सुरक्षा कर सकें। कच्चा पपीता हरे रंग का और पकने के बाद हरे पीले रंग का होता है। पपीते का फल थोड़ा लम्बा व गोलाकार होता है तथा गूदा पीले रंग का होता है।
हालांकि इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, बी और सी के साथ ही कुछ मात्रा में विटामिन-डी भी मिलता है। इसमें कैल्शियम और कैरोटीन भी अच्छी मात्रा में मिलता है। इसके अलावा फॉस्फोरस, पोटेशियम, आयरन, एंटीऑक्सीडेंट्स, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, सोडियम तथा अन्य खनिज-लवण भी उपस्थित रहते हैं, जो शरीर के स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक होते हैं। 100 ग्राम पपीते में 98 कैलरी, एक से दो ग्राम प्रोटीन, एक से दो ग्राम रेशे तथा 70 मिग्रा लोहा होता है साथ ही यह विटामिन सी और विटामिन बी का बड़ा अच्छा स्रोत है। इन्हीं गुणों के कारण इसे स्वास्थ्य के लिये सबसे लाभदायक फलों में से एक माना जाता है।
पपीते का लाभ
कच्चे पपीते में पपेन नामक एन्जाइम पाया जाता है। इस एन्जाइम का उपयोग मीट टेन्डराइजर में किया जाता है। कच्चे पपीते को छील कर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर के भी मांसाहार आसानी से गलाया जा सकता है। यह एनजाइम पाचन तंत्र के लिये बहुत लाभदायक होता है। पका हुआ पपीता छील कर खाने में बड़ा ही स्वादिष्ट होता है। इसका गूदा पेय, जैम और जेली बनाने में प्रयोग किया जाता है। कच्चे पपीते की सब्जी टिक्की और चटनी अत्यंत स्वादिष्ट और गुणकारी होती है। लौकी के हलवे की तरह पपीते का हलवा भी बनाया जा सकता है या इसके लच्छों को कपूर कंद की तरह शकर मे पाग कर भी खाया जाता है।
पपीता अत्यंत गुणकारी एवं सर्वसुलभ फलों में से एक है। इससे निकलने वाला रस अपने वजन से 100 गुना प्रोटीन बहुत जल्द पचा देता है, जिससे आमाशय तथा आंत संबंधी विकारों में बहुत लाभ मिलता है। कब्ज व कफ के रोग में लाभकारी है। हृदय, नाडियों तथा पेशियों की क्रिया ठीक रखने में सहायक है। त्वचा व नेत्र स्वस्थ रखने में उपयोगी है।
पपीता के नियमित उपयोग से शरीर में इन विटामिनों की कमी नहीं रहती है। इसमें पेप्सिन नामक तत्व पाया जाता है, जो बहुत ही पाचक होता है। यह पेप्सिन प्राप्त करने का एकमात्र साधन है। पपीते का रस प्रोटीन को आसानी से पचा देता है। इसलिए पपीता पेट एवं आंत संबंधी विकारों में बहुत ही लाभदायक है।
उदर के रोग दूर करने में पपीता बेजोड़ है। यह उदर और आंतों की सफाई कर क्षार का प्राकृतिक स्तर बनाने का काम उत्तम ढंग से करता है। पपीते में पाया जाने वाला विटामिन ए त्वचा एवं नेत्रों के लिए बहुत आवश्यक होता है। इस विटामिन से त्वचा स्वस्थ, स्वच्छ और चमकदार रहती है।
इसमें विटामिन ए और सी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें विटामिन बी काफी मात्रा में और डी अल्प मात्रा में पाया जाता है। इसमें फास्फोरस, मैग्नेशियम, सोडियम तथा अन्य खनिज-लवण भी उपस्थित रहते हैं, जो शरीर के स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक होते हैं।
यदि आंतें स्वच्छ रहें तो भोजन में आनंद आने लगता है तथा रुचिपूर्वक भोजन करने से उसका पाचन भी होता है। इस प्रकार के भोजन से तृप्ति भी मिलती है और स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। आंतें साफ हो जाने से सारे शरीर की सफाई हो जाती है और शरीर की समस्त प्रणालियां सशक्त होकर अपना कार्य सुचारु रूप से करने लगती हैं।
खास टिप्स
पपीता पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे पाचन तंत्र ठीक रहता है और पेट के रोग भी दूर होते हैं। पपीता पेट के तीन प्रमुख रोग आम, वात और पित्त तीनों में ही राहत पहुंचाता है। यह आंतों के लिए उत्तम होता है।
पपीते में बड़ी मात्रा में विटामिन-ए होता है। इसलिए यह आंखों और त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। इससे आंखों की रोशनी तो अच्छी होती ही है, त्वचा भी स्वस्थ, स्वच्छ और चमकदार रहती है।
पपीते में कैल्शियम भी खूब मिलता है। इसलिए यह हड्डियां मजबूत बनाता है। साथ ही यह प्रोटीन को पचाने में सहायक होता है।
पपीता फाइबर का अच्छा स्रोत है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, कैंसर रोधी और हीलिंग प्रॉपर्टीज भी होती है।
जिन लोगों को बार-बार सर्दी-खांसी होती रहती है, उनके लिए पपीते का नियमित सेवन काफी लाभकारी होता है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
इसमें बढ़ते बच्चों के बेहतर विकास के लिए जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। शरीर को पोषण देने के साथ ही रोगों को दूर भी भगाता है।
पपीता नेत्र रोगों में हितकारी होता है, क्योंकि इसमें विटामिन ए प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इसके सेवन से रतौंधी(रात को न दिखाई देना) रोग का निवारण होता है और आंखों की ज्योति बढ़ती है।
सेंधा नमक, जीरा और नीबू का रस मिलाकर पपीते का नियमित सेवन करने से मंदाग्नि, कब्ज, अजीर्ण तथा आंतों की सूजन में काफी लाभ होता है।
दांतों से खून जाता हो या दांत हिलते हों तो पपीता खाने से ये दोनों शिकायतें दूर हो जाती हैं।
बवासीर में प्रतिदिन सुबह खाली पेट पपीता खाएं, इससे कब्ज दूर होगी। शौच साफ होगा और बवासीर से छुटकारा मिलेगा, क्योंकि बवासीर का मूल कारण कब्ज ही है।

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