नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम परिसर में आज खेल जगत के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया। केंद्रीय युवा मामले एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने डिजिलॉकर के माध्यम से खेल प्रमाण-पत्र जारी करने की डिजिटल सुविधा का शुभारंभ किया। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय खेल विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र का भी उद्घाटन किया।

इस अवसर पर डॉ. मांडविया ने देश के खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार की सभी खेल नीतियां पूरी तरह से एथलीट-केंद्रित हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में प्रस्तुत राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2024, राष्ट्रीय खेल नीति 2024 और खेलों में आयु धोखाधड़ी के विरुद्ध राष्ट्रीय संहिता 2025 जैसे कदम देश में पारदर्शिता, निष्पक्षता और सुशासन सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए हैं।
डॉ. मांडविया ने बताया कि डिजिलॉकर से जारी होने वाले प्रमाण-पत्रों को राष्ट्रीय खेल रिपोजिटरी प्रणाली (NSRS) से जोड़ा जाएगा। इससे न केवल नकद पुरस्कार सीधे खिलाड़ियों के बैंक खातों में स्थानांतरित होंगे, बल्कि कागजी प्रक्रियाओं से भी मुक्ति मिलेगी। उन्होंने कहा, “जब कोई खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतता है, तो उसे पुरस्कार पाने के लिए आवेदन क्यों करना चाहिए? अगर देश ने देखा कि उसने पदक जीता है, तो सरकार को उसका हक सीधे देना चाहिए।”
भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करते हुए डॉ. मांडविया ने 2036 ओलंपिक की मेज़बानी के लिए भारत की तैयारियों का उल्लेख किया और 2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी में भारत की दिलचस्पी को दोहराया। उन्होंने सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों से अपील की कि वे सुशासन और खिलाड़ियों के हितों को सर्वोपरि रखें।
डॉ. मांडविया ने यह भी घोषणा की कि इच्छुक खेल महासंघों को दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में कार्यालय सुविधाएं दी जाएंगी, जिससे बेहतर समन्वय और विकास संभव होगा। साथ ही, उन्होंने ‘एक खेल-एक कॉर्पोरेट’ नामक नई नीति की भी घोषणा की, जिसका उद्देश्य कॉर्पोरेट क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से खेलों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना है। उच्च प्राथमिकता वाले खेलों के लिए ओलंपिक प्रशिक्षण केंद्रों का निर्माण पीपीपी मॉडल के तहत किया जाएगा।
राष्ट्रीय खेल विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि यह केंद्र खिलाड़ियों के प्रदर्शन को वैज्ञानिक शोध और नवाचार के माध्यम से नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। यह पहल वर्ष 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने में खेल क्षेत्र की अहम भूमिका को रेखांकित करती है।
कार्यक्रम में मौजूद ओलंपिक रजत पदक विजेता और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित मीराबाई चानू ने सरकार की इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा, “डिजिलॉकर से प्रमाण-पत्र मिलना खिलाड़ियों के लिए बड़ी राहत है। अब हमें जरूरी दस्तावेज़ों के लिए घर वापस नहीं जाना पड़ेगा। यह सुविधा न सिर्फ हमारी जिंदगी को आसान बनाएगी, बल्कि समय की भी बचत करेगी। मैं मंत्री महोदय को खिलाड़ियों की ओर से धन्यवाद देती हूं।”
कार्यक्रम का समापन करते हुए डॉ. मांडविया ने आह्वान किया—”आइये, हम सब मिलकर नए भारत के निर्माण हेतु एक मजबूत और प्रेरणादायी खेल संस्कृति को साकार करें।”