केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने बीआरएस सीओपी में “कार्यान्वयन के माध्यम” पर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लिया

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, श्री भूपेंद्र यादव ने बेसल, रॉटरडैम और स्टॉकहोम सम्मेलनों (बीआरएस-सीओपी) के कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज की बैठकों के उच्च स्तरीय हिस्से के दूसरे दिन “कार्यान्वयन के माध्यम” विषय पर मंत्रिस्तरीय संवादात्मक पैनल चर्चा में भाग लिया।

श्री यादव ने मंत्रिस्तरीय संवादात्मक पैनल चर्चा के दौरान 30 अप्रैल, 2025 को अन्य देशों के साथ आयोजित गोलमेज चर्चाओं में उभरे प्रमुख बिंदुओं का सारांश प्रस्तुत किया। गोलमेज चर्चाओं के सारांश में पूर्वानुमानित अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण प्रक्रियाओं के महत्व और प्रगतिशील कराधान, कार्बन शुल्क और विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) जैसे माध्यमों से घरेलू संसाधनों को जुटाने पर जोर दिया गया।

गोलमेज सम्मेलन में नवीन वित्तपोषण समाधानों की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई, जिसमें ग्रीन बांड, डेब्ट फॉर नेचर स्वैप्स, रासायनिक प्रमाणपत्र और ग्रीन लोन शामिल हैं, जो निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण माध्यम हैं – विशेष रूप से सीमित राजकोषीय क्षमता वाले देशों या संकट से उभर रहे देशों में इनकी अहम भूमिका है।

इस दौरान एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध और हरित प्रौद्योगिकियों के लिए कर प्रोत्साहन जैसी सहायक नीतियों के माध्यम से निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने वाले सुसंगत और पारदर्शी विनियामक ढांचे की आवश्यकता का सुझाव दिया गया। इसमें परिवर्तनकारी परिणामों को आगे बढ़ाने के लिए पर्यावरणीय लक्ष्यों के अंतरक्षेत्रीय संरेखण के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया।

गोलमेज चर्चा में मजबूत संस्थागत तंत्र की भूमिका पर प्रकाश डाला गया, जिसमें शामिल मंत्रियों ने अंतर-एजेंसी समन्वय, क्षमता निर्माण और पर्यावरण मंत्रालयों के सशक्तिकरण पर जोर दिया ताकि बहुपक्षीय पर्यावरण समझौतों (एमईए) के कार्यान्वयन का प्रभावी ढंग से नेतृत्व किया जा सके। साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने और जनता का विश्वास बनाने के लिए डेटा संबंधी मजबूत बुनियादी ढांचे और पारदर्शी निगरानी प्रणालियों की आवश्यकता का उल्लेख किया गया।

मंत्रियों ने क्षेत्रीय सहयोग के महत्व पर भी सहमति जताई, जिसमें तकनीकी आदान-प्रदान, साझा बुनियादी ढांचे और क्षमता विकास को सक्षम करने के लिए क्षेत्रीय केंद्रों को मजबूत करना शामिल है। संघर्ष प्रभावित राष्ट्रों और सीमित संस्थागत क्षमताओं वाले देशों की जरूरतों पर विशेष ध्यान दिया गया। प्रस्तावों में अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण तक सीधी पहुंच, संघर्ष-संवेदनशील प्रोग्रामिंग और समावेशी एवं न्यायसंगत कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए अनुरूप तकनीकी साझेदारी शामिल थी।

जिनेवा में बीआरएस सीओपी के दौरान, श्री यादव ने प्रमुख द्विपक्षीय बैठकों में भी भाग लिया:

केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने समुद्री पर्यावरण पर इसके प्रभाव सहित प्लास्टिक प्रदूषण पर कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय साधन विकसित करने के लिए आगामी अंतर-सरकारी वार्ता समिति (आईएनसी-5.2) से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की कार्यकारी निदेशक सुश्री इंगर एंडरसन से मुलाकात की।

श्री यादव ने कतर के पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. अब्दुल्ला बिन अब्दुलअजीज बिन तुर्की अल सुबाई के साथ पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता संरक्षण में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण चर्चा की। कतर को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया।

श्री यादव ने जिनेवा में इंडिया हाउस में आयोजित रात्रिभोज के दौरान बेसल, रॉटरडैम और स्टॉकहोम सम्मेलनों के कार्यकारी सचिव श्री रॉल्फ पेएट, सीआईटीईएस की महासचिव सुश्री इवोन हिगुएरो, रामसर सम्मेलन की महासचिव सुश्री मुसोंडा मुंबा, विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव प्रो. सेलेस्टे साउलो और मिनामाता सम्मेलन की कार्यकारी सचिव सुश्री मोनिका स्टैनकीविक्ज़ से मुलाकात की। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जलवायु कार्रवाई और वन्यजीव संरक्षण में भारत द्वारा किए जा रहे सकारात्मक प्रभाव की व्यापक रूप से सराहना की गई। इसमें शामिल नेताओं ने वैश्विक पर्यावरणीय प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने में भारत की सक्रिय भूमिका की सराहना करते हुए भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में गहरी रुचि व्यक्त की।

2025 बीआरएस उच्च-स्तरीय खंड में भारत की भागीदारी “2047 तक विकसित भारत” के प्रति अपनी जोरदार प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है, जिसमें रसायनों और अपशिष्ट का पर्यावरण की दृष्टि से उचित प्रबंधन इसकी सतत विकास रणनीति की आधारशिला है।

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