पंचायत उन्नति सूचकांक (पीएआई) संस्करण 2.0 की दो दिवसीय राष्ट्रीय लेखन कार्यशाला वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आज नई दिल्ली के डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में शुरू हुई। इस अवसर पर पंचायती राज सचिव श्री विवेक भारद्वाज, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन सचिव श्री सौरभ गर्ग, पंचायती राज अपर सचिव श्री सुशील कुमार लोहानी और नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार श्री राजीब कुमार सेन भी मौजूद थे। उद्घाटन के दौरान, पीएआई 2.0 पोर्टल https://pai.gov.in/ की शुरूआत की गयी। इस अवसर पर वित्त वर्ष 2023-24 के लिए स्थानीय संकेतक रूपरेखा (एलआईएफ) पुस्तिका और मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी जारी की गई।

पंचायती राज सचिव श्री विवेक भारद्वाज ने उद्घाटन भाषण में पंचायत उन्नति सूचकांक की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर दिया और कहा कि इससे पंचायतों को शासन और सेवा वितरण के प्रमुख क्षेत्रों में व्यवस्थित रूप से अपने प्रदर्शन का आकलन करने और सुधारने में मदद मिलेगी । आकांक्षी जिलों और आकांक्षी ब्लॉकों के लिए माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमें अब अपनी पंचायतों में उस भावना को आगे बढ़ाना चाहिए। जब हम सटीक आंकड़ा दर्ज करते हैं, तो हम केवल गिनती नहीं करते हैं; हम राष्ट्र के परिवर्तन में योगदान करते हैं ।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पीएआई केवल आंकड़ा संग्रह उपकरण नहीं है, बल्कि पारदर्शी, जवाबदेह और प्रदर्शन-आधारित पंचायत-स्तरीय शासन को संस्थागत बनाने की एक प्रणाली है। उन्होंने जमीनी कार्यकर्ताओं से पीएआई पोर्टल 2.0 पर सटीक आंकड़ा दर्ज करने का आग्रह किया जो भारत के समग्र विकास के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करेगा । उन्होंने सभी ग्राम पंचायतों से आग्रह किया कि वे जन भागीदारी और स्थानीय जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए अपने पीएआई स्कोरकार्ड को ग्राम पंचायत भवनों में प्रमुखता से प्रदर्शित करें।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन सचिव श्री सौरभ गर्ग ने अपने मुख्य भाषण में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप साक्ष्य आधारित एक मजबूत मंच बनाने के लिए पंचायती राज मंत्रालय की सराहना की। उन्होंने कहा कि “पिछले पांच वर्षों में भारत की एसडीजी आंकड़ों की उपलब्धता 55 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 95 प्रतिशतहो गई है इस प्रकार पीएआई 2.0 ‘हम जो संजोते हैं उसे मापें और जो मापते हैं उसे संजोएं‘ की भावना को मूर्त रूप देता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे पीएआई ढांचा बेहतर मानकीकरण, सामंजस्य और दृश्यीकरण के माध्यम से समावेशी, परिणामोन्मुख शासन के राष्ट्रीय लक्ष्य को आगे बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि पीएआई विकास के लिए नीचे से ऊपर की भागीदारी वाले दृष्टिकोण के आधार पर “सबका प्रयास” के माध्यम से विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने का आधार बनेगा और भारत की प्रगति को मापने में मदद करने वाले कई अन्य संकेतकों के लिए एक मानक के रूप में काम करेगा ।
नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार श्री राजीब कुमार सेन ने कहा कि पीएआई 2.0 स्थानीय प्रयासों को राष्ट्रीय और वैश्विक प्रतिबद्धताओं से जोड़ने वाला एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि यह एसडीजी इंडिया इंडेक्स का पूरक है और वैश्विक मंचों पर भविष्य की स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षाओं (वीएनआर) के लिए भारत की तैयारी को बेहतर बनाता है। उन्होंने पीएआई 2.0 के विचारशील डिजाइन और स्थानीय संस्थानों को विभिन्न योजनाओं के वास्तविक समय के प्रभाव का मूल्यांकन करने में सक्षम बनाने के लिए इसकी प्रासंगिकता की सराहना की।
पंचायती राज अपर सचिव श्री सुशील कुमार लोहानी ने कहा कि राष्ट्रीय लेखन कार्यशाला पंचायतों में आंकड़ा -समर्थित और साक्ष्य-आधारित नियोजन और निगरानी को संस्थागत बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पीएआई 2.0 पंचायतों को अपनी प्रगति का आकलन करने, कमियों की पहचान करने और सार्थक योजना बनाने के लिए व्यावहारिक उपकरण प्रदान करता है। यह स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और निरंतर सुधार की संस्कृति को प्रोत्साहित करता है।
पंचायत उन्नति सूचकांक 2.0
पीएआई एक बहुआयामी मूल्यांकन ढांचा है जिसे पंचायती राज मंत्रालय ने सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण के साथ संरेखित नौ विषयों में 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों के प्रदर्शन की देखरेख करने में सक्षम बनाने के लिए विकसित किया है। जबकि पीएआई संस्करण 1.0 ने आधार रेखा के रूप में काम किया और 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 2.16 लाख ग्राम पंचायतों से आंकड़ों को कवर किया, पीएआई संस्करण 2.0 कार्यक्षमता, दक्षता और प्रयोज्यता में एक बड़ी उपलब्धि है। पीएआई 1.0 से 2.0 में परिवर्तन विषयगत व्यापकता को बनाए रखते हुए प्रयोज्यता और विश्वसनीयता में सुधार करने के लिए संकेतकों और आंकड़ा बिंदुओं के एक तेज और अधिक व्यावहारिक सेट के साथ ढांचे के एक केंद्रित परिशोधन को दर्शाता है ।
पीएआई 1.0 और पीएआई 2.0 की तुलना :
| तत्व | पीएआई 1.0 | पीएआई 2.0 |
| संकेतक | 516 | 147 (72 प्रतिशत कमी) (तीव्र फोकस और बेहतर आंकड़ा गुणवत्ता के लिए युक्तिसंगत) |
| आंकड़ा बिंदु | 794 | 227 (दक्षता और स्पष्टता के लिए सुव्यवस्थित) |
संशोधित रूपरेखा न केवल रिपोर्टिंग बोझ को कम करती है बल्कि आंकड़ों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में भी सुधार करती है। एलएसडीजी से जुड़े नौ विषयों में शामिल हैं: गरीबी मुक्त और बेहतर आजीविका पंचायत, स्वस्थ पंचायत, बाल-अनुकूल पंचायत, जल-पर्याप्त पंचायत, स्वच्छ और हरित पंचायत, आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचे वाली पंचायत, सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायत, सुशासन वाली पंचायत और महिला-अनुकूल पंचायत।
इस लेखन कार्यशाला में पोर्टल कॉन्फ़िगरेशन, आंकड़ा फ़्लो और वैलिडेशन पर लाइव प्रदर्शन, तकनीकी वॉकथ्रू और व्यावहारिक अभ्यास शामिल हैं। दूसरे दिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से पीएआई 1.0 से मिले फील्ड अनुभवों और स्थानीय नियोजन और शासन को बेहतर बनाने के लिए पीएआई 2.0 का उपयोग करने की योजना सम्बंधित प्रस्तुतियां दी जाएंगी। इस कार्यक्रम में 32 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 250 से ज़्यादा प्रतिभागी, सम्बंधित मंत्रालयों/विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पंचायती राज विभागों/संस्थाओं/एसआईआरडी और पीआर के प्रतिनिधि और नीति आयोग, एमओएसपीआई, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी), यूनिसेफ, यूएनएफपीए, ट्रांसफ़ॉर्म रूरल इंडिया (टीआरआई) और पिरामल फ़ाउंडेशन सहित तकनीकी और ज्ञान भागीदार शामिल हुए।