सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर और सीएसआईआर-एनआईओ ने समुद्री और संबद्ध विज्ञान में उभरते अनुसंधान विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया

सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर), नई दिल्ली ने सीएसआईआर-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईओ), गोवा के सहयोग से 27 मई 2025 को “ भारतीय भू-समुद्री विज्ञान जर्नल (आईजेएमएस) पर ध्यान केंद्रित करते हुए समुद्री एवं संबद्ध विज्ञानों में उभरते अनुसंधान” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया। प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं ने इस कार्यक्रम में समुद्री विज्ञान में वर्तमान प्रगति, स्वदेशी विद्वानों के प्रकाशन और आत्मनिर्भर भारत के लिए स्थायी अनुसंधान प्रणालियों पर विचार-विमर्श किया।

कार्यशाला की शुरुआत औपचारिक दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई, जिसके बाद सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पुष्पांजलि त्रिपाठी ने गर्मजोशी से स्वागत किया। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक प्रो. रंजना अग्रवाल ने स्वागत भाषण दिया और आत्मनिर्भर शोध प्रकाशन के महत्व पर जोर दिया। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक ने कहा, “हमारे शोध पत्रिकाएं लेखकों और पाठकों दोनों के लिए निःशुल्क हैं, जो हरित और खुली पहुंच वाले मॉडल को अपनाती हैं। यह कार्यशाला भारतीय जर्नल ऑफ जियो-मरीन साइंसेज (आईजेएमएस) पर केंद्रित है, जो भारत में समुद्री विज्ञान में एक अग्रणी समर्पित पत्रिका है, जहां हम युवा वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों को प्रकाशित करने के लिए चयनित और प्रोत्साहित करते हैं।”

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मुख्य अतिथि डॉ. हर्ष के. गुप्ता, पूर्व सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय समुद्री विज्ञान पर वर्चुअल कार्यशाला को संबोधित करते हुए

सीएसआईआर-एनआईओ के निदेशक प्रो. सुनील कुमार सिंह ने वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में समुद्री अनुसंधान की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। प्रो. सिंह ने कहा, “अगर हमें एक अर्थव्यवस्था के रूप में आगे बढ़ना है, तो नीली अर्थव्यवस्था की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी, और वैज्ञानिक समुदाय को इस पर कार्य करने की ज़रूरत है। हमारी स्वदेशी पत्रिकाओं को अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के समकक्ष होना चाहिए और वैश्विक मान्यता प्राप्त करनी चाहिए; ऐसे प्रयासों से, भविष्य में यह संभव है।”

गोवा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरिलाल बी. मेनन के मुख्य भाषण ने कार्यक्रम की दिशा तय की। प्रो. मेनन ने कहा कि भारत को अपनी विशाल तटरेखा और विविध समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों के साथ ऐसे शोध जारी रखने चाहिए जो आधारभूत और व्यावहारिक दोनों पहलुओं को संबोधित करते हों, जिसमें शिक्षा जगत अहम भूमिका निभा सकता है।

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सीएसआईआर-एनआईओ के निदेशक प्रोफेसर सुनील कुमार सिंह समुद्री विज्ञान पर वर्चुअल कार्यशाला को संबोधित करते हुए

मुख्य अतिथि डॉ. हर्ष के. गुप्ता, पूर्व सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) ने अपने संबोधन में कहा, “भारतीय भू-समुद्री विज्ञान जर्नल पिछले 25 वर्षों में समुद्री विज्ञान में भारत की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर विशेष अंक प्रकाशित करने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है और पूरे भारत से विषय विशेषज्ञों को गुणवत्तापूर्ण शोधपत्र लिखने के लिए आमंत्रित कर सकता है, जिससे जर्नल को प्रोत्साहन मिलेगा। अगर हम अपने प्रयासों को सम्मिलित करते हैं, तो हम प्रकाशन की गुणवत्ता में बडा सुधार प्राप्त कर सकते हैं।

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक एवं शोध पत्रिका प्रभाग की प्रमुख डॉ. चारु वर्मा ने उद्घाटन सत्र के लिए धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. निर्मल्या मजूमदार ने एक विशेष व्याख्यान में स्वदेशी विद्वत्तापूर्ण प्रकाशन को प्रोत्साहन देने में संस्थान के योगदान के संबंध में जानकारी दी। तकनीकी सत्रों में आईजेएमएस के संपादक डॉ. दिनेश वेलिप ने पत्रिका (आईजेएमएस) का परिचय दिया और समुद्री और संबद्ध विज्ञानों में अनुसंधान को आगे बढ़ाने में इसकी भूमिका के बारे में बताया। एमओईएस की कार्यक्रम निदेशक (संचार) डॉ. भव्या खन्ना ने प्रभावी विद्वत्तापूर्ण लेखन और संचार पर जानकारी दी।

कार्यशाला का मुख्य आकर्षण “लीडर्स डायलॉग: ब्लू होराइजन्स एंड बियॉन्ड – रिसर्च ओरिएंटेशन, पॉलिसी, सस्टेनेबिलिटी, एंड साइंटिफिक लीडरशिप इन कंटेम्परेरी रिसर्च फॉर एन आत्मनिर्भर भारत” पर परिचर्चा था। पैनल की अध्यक्षता पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के चेयर प्रोफेसर/वैज्ञानिक डॉ एस सतीश चंद्र शेनॉय ने की। सत्र में डॉ विनीत कुमार गहलौत, निदेशक, डब्ल्यूआईएचजी, देहरादून;  डॉ एस रमेश, वैज्ञानिक जी, एनआईओटी, चेन्नई; डॉ राहुल मोहन, वैज्ञानिक जी, एनसीपीओआर, गोवा; डॉ मंगूज यू गौंस, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईओ, गोवा  और डॉ रेखा जे नायर, प्रधान वैज्ञानिक, आईसीएआर-सीएमएफआरआई, कोच्चि सहित कई प्रतिष्ठित वार्ताकार सम्मिलित थे। संवाद ने समुद्री अनुसंधान को आगे बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत के लिए सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रणनीतियों और नीति अभिविन्यास की खोज की और समुद्री अनुसंधान और भविष्य के अवसरों में वर्तमान विकास को भी प्रदर्शित किया।

प्रोफेसर देविका पी. मदल्ली, निदेशक, आईएनएफएलआईबीएनईटी सेंटर, यूजीसी-आईयूसी, गांधीनगर द्वारा आमंत्रित व्याख्यान, “ओपन साइंस और ओएनओएस – एक भारतीय परिप्रेक्ष्य” पर केंद्रित था, जिसमें स्वदेशी अनुसंधान को प्रोत्साहन देने में ओपन साइंस की परिवर्तनकारी क्षमता और विद्वानों की रचना तक समान पहुंच पर प्रकाश डाला गया।

समापन सत्र में डॉ. दिनेश वेलिप ने कार्यशाला का सारांश प्रस्तुत किया, जिसके बाद सीएसआईआर-एनआईओ के निदेशक प्रो. सुनील कुमार सिंह ने समापन भाषण दिया। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की मुख्य वैज्ञानिक और शोध पत्रिका प्रभाग की प्रमुख डॉ. चारु वर्मा ने अंतिम भाषण दिया और धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया।

कार्यशाला में समुद्री एवं संबद्ध विज्ञानों में सहयोगात्मक अनुसंधान, प्रभावी संचार और सतत प्रथाओं के महत्व को रेखांकित किया गया, तथा वैज्ञानिक उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने और स्वदेशी विद्वत्तापूर्ण प्रकाशन परिदृश्य को प्रोत्साहन देने के लिए सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर और सीएसआईआर-एनआईओ की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ किया गया।

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