बढ़ती उम्र के साथ शरीर में कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है रीढ़ की हड्डी में झुकाव या डी-जेनरेशन। यह न केवल शरीर की मुद्रा को प्रभावित करता है बल्कि कमर और पीठ दर्द जैसी समस्याओं की वजह भी बनता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते सही उपाय किए जाएं, तो इस झुकाव को रोका जा सकता है — और इसमें योग एक प्रमुख भूमिका निभाता है।

समय से पहले बुढ़ापे को रोके योग
वर्तमान समय में दुनिया भर में यह शोध हो रहा है कि कैसे उम्र बढ़ने के प्रभाव को कम किया जाए। लेकिन अब तक ऐसा कोई शॉर्टकट नहीं मिला है, जो उम्र की रफ्तार को थाम सके। हां, यह ज़रूर संभव है कि यदि आप 40 की उम्र से पहले ही सचेत हो जाएं और योग को जीवन का हिस्सा बना लें, तो शरीर को स्वस्थ और सक्रिय बनाए रखा जा सकता है।
रीढ़ की हड्डी का स्वास्थ्य क्यों है आवश्यक?
शरीर की संरचना में रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) एक केंद्रीय भूमिका निभाती है। यह न केवल शरीर को संतुलन देती है, बल्कि पूरे तंत्रिका तंत्र का संचालन भी करती है। विशेषज्ञों के अनुसार, खराब मुद्रा, लंबा समय बैठकर काम करना, और गतिहीन जीवनशैली पिछले कुछ वर्षों में रीढ़ से जुड़ी समस्याओं को और गंभीर बना रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि 16 से 34 आयु वर्ग के युवाओं में भी अब कमर और रीढ़ से जुड़ी समस्याएं तेजी से सामने आ रही हैं।
नियमित योग से मिलता है स्थायी समाधान
योग और व्यायाम को जीवनशैली में शामिल करने वाले लोगों में रीढ़ से जुड़ी बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख योगासनों के बारे में, जो रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाए रखने में सहायक होते हैं।
1. मत्स्यासन
यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीलापन देने के साथ-साथ रक्त संचार को बेहतर बनाता है।
अभ्यास विधि:
- पीठ के बल लेट जाएं, हाथ शरीर के पास रखें।
- पैरों को पद्मासन की मुद्रा में मोड़ें।
- सिर और छाती को ऊपर उठाएं और फिर सिर का ऊपरी हिस्सा जमीन पर टिकाएं।
- 15-20 सेकंड इस स्थिति में रहें और फिर धीरे-धीरे वापस आएं।
2. ब्रिज पोज
यह योगासन पीठ के निचले हिस्से को मजबूती देता है और रीढ़ की संरचना को संतुलित बनाए रखता है।
अभ्यास विधि:
- पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़ें।
- हाथों को जमीन पर फैलाएं।
- सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाएं, सिर और कंधे जमीन पर ही रहें।
- धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए प्रारंभिक स्थिति में लौट आएं।
3. कोबरा पोज
इस मुद्रा से रीढ़ की पूरी लंबाई का व्यायाम होता है और पीठ दर्द में राहत मिलती है।
अभ्यास विधि:
- पेट के बल लेट जाएं और हाथों को कंधों के पास जमीन पर रखें।
- सांस लेते हुए छाती को ऊपर उठाएं और छत की ओर देखें।
- कुछ क्षण रुककर धीरे-धीरे वापस आएं।
4. धनुरासन
धनुरासन रीढ़ की लचीलापन बढ़ाता है और पीठ की मांसपेशियों को टोन करता है।
अभ्यास विधि:
- पेट के बल लेटें, घुटनों को मोड़ें और हाथों से टखनों को पकड़ें।
- सांस लेते हुए हाथ-पैर ऊपर उठाएं, चेहरे को ऊपर रखें।
- कुछ देर रुककर धीरे से वापस आएं।
प्राणायाम से मन और शरीर दोनों संतुलित
आज की पीढ़ी में चिंता, तनाव, नशा, असंयमित खान-पान और अत्यधिक विचारशीलता के कारण चेहरे की चमक खो रही है। प्राणायाम न केवल श्वसन प्रक्रिया को संतुलित करता है बल्कि मानसिक शांति भी देता है।
प्राचीन ऋषियों ने श्वास को ‘प्राण’ माना है — जीवन ऊर्जा। धीमी गति से लंबी सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया से शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है, जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है।
ध्यान से नियंत्रित होती हैं मानसिक समस्याएं
यदि हृदय की गति तेज है और रक्त प्रवाह तेज हो तो शरीर जल्दी थकता है और उम्रदराज़ दिखने लगता है। प्रतिदिन सिर्फ 20 मिनट का ध्यान आपके हृदय गति को संतुलित करता है, उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है और चिंता से मुक्ति दिलाता है।
उपवास: आंतरिक सफाई का उपाय
शरीर के भीतर जमी अशुद्धियों को बाहर निकालने का सबसे स्वाभाविक तरीका है उपवास। आयुर्वेद में उपवास को ‘शुद्धि साधना’ माना गया है। इससे पाचन तंत्र दुरुस्त होता है और शरीर हल्का महसूस करता है।
नियमित योग से थमेगा उम्र का असर
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर झुकने लगता है — लेकिन यदि समय रहते योग को अपनाया जाए, तो न केवल रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है, बल्कि बुढ़ापे में भी व्यक्ति आत्मविश्वास से खड़ा हो सकता है। आधुनिक वैश्विक कल्याण संस्थान (ट्रस्ट) और अखिल विश्व कल्याण न्यूज सर्विस के संयुक्त प्रयास से योग सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन का उद्देश्य योग के महत्व, लाभ और इसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रति जनसामान्य को जागरूक करना है। योग न केवल शरीर की मुद्रा को सुधारता है, बल्कि मन, प्राण और आत्मा को भी संतुलित करता है। सही दिशा में छोटे-छोटे प्रयास आपको दीर्घायु, स्वस्थ और तनावमुक्त जीवन की ओर ले जा सकते हैं।
