-18 जून विश्व पिकनिक दिवस पर विशेष-
पिकनिक शब्द सुनते ही बच्चों और युवाओं में एक अलग उल्लास और उमंग की बहार आ जाती है। हर कोई उल्लसित रहता है कि हम भी पिकनिक मनाएंगे, जंगल, पहाड़, नदी झरनों के बीच हरियाली में खुली सांस लेंगे और उमंग के साथ पिकनिक का आनंद लेगें। पिकनिक एक ऐसा आयोजन है जहां लोग अपने परिवार, मित्रों या सहकर्मियों के साथ बाहर जाकर भोजन और मनोरंजन एवं हरियाली प्रकृति का आनंद लेते हैं।

यह आमतौर पर प्राकृतिक स्थलों जैसे कि पार्क, झील, पहाड़ या समुद्र तट पर आयोजित किया जाता है। पिकनिक के दौरान, लोग अपने साथ भोजन, पेय, और मनोरंजन के साधन ले जाते हैं, जैसे कि खेल, संगीत, या पुस्तकें। यह एक ऐसा अवसर है जहां लोग अपने दैनिक जीवन से दूर होकर आराम कर सकते हैं और अपने प्रियजनों के साथ समय बिता सकते हैं।पिकनिक पहाड़ी स्थल पर आयोजित की जाती है, जिससे लोग प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकें।
“पिकानक” शब्द का उत्पत्ति फ्रेंच शब्द पाईकनाईक से हुई है, जिसका प्रयोग पहली बार 17 वीं शताब्दी में हुआ था। धीरे-धीरे यही शब्द पिकनिक के रूप में प्रचलित हो गया, यह शब्द ऐसे सामाजिक भोजन को दर्शाता था जहाँ हर व्यक्ति अपने हिस्से का भोजन लाता था। यूरोप में सर्वप्रथम प्रचलन 18वीं और 19वीं शताब्दी में पिकनिक यूरोप, विशेषकर इंग्लैंड और फ्रांस में सामाजिक जीवन का हिस्सा बन गया। वहाँ यह उच्च वर्ग और मध्यवर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय था। औद्योगिक क्रांति के बाद जैसे-जैसे नगरों का विकास हुआ और लोग ग्रामीण जीवन से दूर हुए, पिकनिक एक ऐसा साधन बना जिससे लोग प्रकृति के निकट जा सके। वहीं भारत में पिकनिक की परंपरा ब्रिटिश काल के दौरान आई और धीरे-धीरे भारतीय संस्कृति में भी समाहित हो गई। आज यह स्कूलों, परिवारों और ऑफिस समूहों के बीच एक आम सामाजिक गतिविधि बन गई है।
बिलासपुर के आसपास कुछ प्रमुख पिकनिक स्पॉट्स की जानकारी देते चलें जैसे :
- भैंसाझार बांध: कोटा तहसील के भैंसाझार गांव में स्थित यह बांध अरपा नदी पर बना है। यह स्थान पिकनिक के लिए आदर्श है, जहाँ आप प्रकृति के बीच समय बिता सकते हैं। बांध के आसपास गार्डन और वॉकवे जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।
- खुटाघाट: रतनपुर से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित यह डेम खरून नदी पर बना है। यहाँ आप नौका विहार, ट्रैकिंग और प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। यह स्थान पिकनिक के लिए एक बेहतरीन स्थल है।
- कानन पेंडारी चिड़ियाघर: बिलासपुर से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित यह चिड़ियाघर विभिन्न प्रकार के जानवरों और पक्षियों का घर है। यहाँ शेर, बाघ, सफेद बाघ, भालू, शुतुरमुर्ग आदि जानवर देखे जा सकते हैं। यह परिवार के साथ घूमने के लिए एक आदर्श स्थल है।
- बबल आइलैंड: बिलासपुर से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित यह वाटर पार्क गर्मियों में परिवार के साथ आनंद लेने के लिए एक बेहतरीन स्थल है। यहाँ विभिन्न प्रकार की जल स्लाइड्स, फ्लोटिंग नदी, टर्बो टॉवर,ब्लैक होल आदि सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
- बोइर पड़ाव पिकनिक पाइंट: बिलासपुर से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता और मनोरंजन की सुविधाओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ आप झील में नौका विहार, बच्चों के लिए पार्क और प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।
- रतनपुर: बिलासपुर से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित रतनपुर ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। यहाँ महमाया मंदिर और कचनार, बादल महल किला जैसे स्थल हैं। यह स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन के लिए आदर्श है।
- लाफागढ़: बिलासपुर से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित लाफागढ़ को छत्तीसगढ़ का ‘चित्तौड़गढ़’ कहा जाता है। यहाँ मैकल पर्वत की चोटी पर स्थित किला और नदी का उद्गम स्थल है। यह स्थान रोगिगों के लिए स्वास्थ्यप्रद एवं लाभदायक है।
- तालागांव: यह स्थान बिलासपुर से 55 किलोमीटर दूर रायपुर रोड पर स्थित है। यहां जाने के लिए का टैक्सी वह बस से भी जाया जा सकता है यह शिवनाथ नदी के द्वारा बनाई गयी एक प्राकृतिक टापू नुमा द्वीप में प्राकृतिक रूप से हरियाली और मनोरम दृश्य का आनंद लिया जा सकता है। वहीँ यहां पुरातात्विक महत्व के खुदाई में मिले पूरावशेषों का भी अवलोकन किया जा सकता है।यहीं पर विश्व प्रसिद्ध देवरानी जेठानी एवं भगवान शंकर के महाकाल भैरव के रूप में तांत्रिक अनुष्ठान हेतु बनाए गए भव्य मूर्ति के भी दर्शन किए जा सकते हैं।
- मल्हार: यह बिलासपुर से मस्तूरी रोड पर करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है! यहां पुरातात्विक महत्व के अनेक किले एवं मंदिरों के दर्शन किए जा सकते हैं! यहीं पर विश्व प्रसिद्ध माँ डिडनेश्वरी देवी का भी मंदिर स्थित है एवं पातालेश्वर महादेव का प्राचीन शिव मंदिर के भी दर्शन किए जा सकते हैं।
- औरपानी: यह स्थल बिलासपुर से करीब 45 किलोमीटर बेलगहना रोड पर स्थित है। यह अत्यंत ही मनोहारी एवं आकर्षक पहाड़ी एवं वनाच्छादित क्षेत्र है। इसी जगह पर दो झरनों सहित तीन तरफ से पहाड़ से घिरा हुआ एक झील नुमा डेम भी है जो अत्यंत ही मनोहरी प्रतीत होता है।
पिकनिक यानि जो लोगों को एक साथ लाने और उन्हें प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का अवसर प्रदान करता है। पिकनिक के कई शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक फायदे होते हैं। नवयह न सिर्फ मनोरंजन का एक साधन है, बल्कि स्वास्थ्य और रिश्तों के लिए भी लाभकारी होता है।
पिकनिक के मुख्य फायदेः
- मानसिक तनाव में कमी, प्रकृति में समय बिताने से दिमाग को शांति मिलती है।रोज़मर्रा के कामों और तनाव से छुटकारा मिलता है।
- रिश्तों में मजबूती,परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने से आपसी समझ और प्यार बढ़ता है।बातचीत, खेल और मिलकर खाना खाने से मेल-जोल बेहतर होता है।
- प्राकृतिक वातावरण का अनुभव,पेड़-पौधे, नदियाँ, झीलें आदि से जुड़ाव होता है।प्रदूषण से दूर, ताजगी भी और हरियाली मन को सुकून से भर देते हैं।
- शारीरिक सक्रियता,पिकनिक में चलना, दौड़ना, खेलना आदि शरीर को सक्रिय बनाता है।यह एक तरह का व्यायाम होता है जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
- मनोरंजन और खुशहाली,पिकनिक हँसी-मजाक, गेम्स और मस्ती से भरपूर होता है।यह मन को प्रसन्न करता है और नकारात्मक विचारों को दूर करता है।
- स्वादिष्ट भोजन का आनंद,घर से लाया गया या मौके पर बना हुआ भोजन परिवार के साथ खाने का अलग ही आनंद देता है।खाने में विविधता और आनंद दोनों मिलते हैं।खाने में विविधता और आनंद दोनों मिलते हैं।
- नई ऊर्जा का संचार,कुछ समय के लिए दिनचर्या से बाहर निकलना जीवन में नई ऊर्जा और प्रेरणा भर देता है।
हम कह सकते हैं कि पिकनिक केवल मौज-मस्ती नहीं, बल्कि यह स्वास्थ्य, संबंध और मानसिक ताजगी के लिए एक बहुत ही लाभदायक अनुभव है। इसे समय-समय पर ज़रूर करना चाहिए।
“चलो प्रकृति से करें दोस्ती,
पिकनिक में पाएँ सच्ची मस्ती “
