डीएवाई-एनआरएलएम ने शिलांग में खाद्य, पोषण और स्वास्थ्य पर दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया एसएचजी संचालित एफएनएचडब्ल्यू कार्यक्रमों को मजबूत करने की जरूरत पर बल

ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) की दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने मेघालय के राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) के सहयोग से 30 जून और पहली जुलाई, 2025 को मेघालय की राजधानी शिलांग में “संगठन, स्वास्थ्य, समृद्धि: खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य और वाश यानी शुद्ध पेयजल, स्वच्छता और स्वास्थ्यकारी आदतें (एफएनएचडब्ल्यू) पर महिला सामूहिक कार्रवाई” शीर्षक से दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।

इस कार्यशाला का उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों से संचालित एफ.एन.एच.डब्लू. कार्यक्रमों को मजबूत करना, राज्यों के बीच परस्पर-शिक्षण को प्रोत्साहित करना तथा पूरे भारत में समुदाय-संचालित मॉडलों को प्रदर्शित करना था। इसमें एफ.एन.एच.डब्लू. गतिविधियों को डी.ए.वाई.-एन.आर.एल.एम. ढांचे के भीतर एकीकृत करने, संबंधित विभागों, नागरिक समाज संगठनों के साथ साझेदारी को बढ़ावा देने तथा समावेशी और टिकाऊ नीतियों को आकार देने के लिए क्षेत्र की समझ को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

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इस कार्यक्रम में केंद्र सरकार के पूर्व सचिव श्री एन. एन. सिन्हा, ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती स्मृति शरण, मेघालय के सीएंडआरडी के निदेशक श्री सिभी सी. साधु और एसआरएलएम मेघालय के सीईओ श्री रामकृष्ण चित्तूरी भी शामिल हुए। इनके अलावा, इस कार्यशाला में ग्रामीण विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, राज्य मिशन निदेशकों, सीईओ, सीओओ और एफएनएचडब्ल्यू के राज्य प्रभारियों सहित 16 राज्यों – आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और मेघालय में सीएलएफ नेता और सीआरपी ने भाग लिया।

पहले दिन, पूर्वी खासी हिल्स जिले के लैटक्रोह और भोलागंज प्रखंडों में फील्ड विजिट आयोजित किए गए, जहां प्रतिनिधियों ने सीएलएफ, एसएचजी और सामुदायिक लिंग एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (सीजीएचए) के साथ बातचीत की। प्रतिभागियों ने संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने वाले समुदाय से संचालित ट्रांजिट होम का अवलोकन किया, कई आजीविका गतिविधियों में शामिल लखपति दीदी के साथ बातचीत की, स्थानीय चुनौतियों का सामूहिक समाधान करने वाले सीएलएफ का दौरा किया, महिला समूहों के संचालित बेबी शॉवर प्रदर्शन और कृषि-पोषण उद्यानों का दौरा किया, जिससे समुदाय-आधारित नवाचारों का उन्हें प्रत्यक्ष अनुभव हुआ। दूसरे दिन गणमान्य हस्तियों के साथ उद्घाटन सत्र, सामुदायिक स्वास्थ्य और महिला-पुरूष समानता को आगे बढ़ाने के लिए मजबूत दृश्य पहचान और एकीकृत प्रतिबद्धता के प्रतीक सीजीएचए के लिए वर्दी का शुभारंभ, एसआरएलएम के अनुभव-साझाकरण, सीआरपी से विचार-विमर्श और राज्य-विशिष्ट एफएनएचडब्ल्यू पहलों पर एक पैनल चर्चा हुई। सीआरपी और सामुदायिक नेताओं द्वारा तैयार और समझाए गए एफएनएचडब्ल्यू प्रथाओं, उत्पादों और आईईसी सामग्रियों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी ने एसएचजी, फेडरेशन कैडर, ग्रामीण विकास मंत्रालय, राज्य अधिकारियों और क्षेत्र के विशेषज्ञों के बीच समृद्ध परस्पर शिक्षण को सक्षम किया। श्री एनएन सिन्हा ने विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में बुनियादी ढांचे पर मानव विकास को प्राथमिकता देने की जरूरच पर जोर दिया। उन्होंने समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक सेवा वितरण और व्यवहार परिवर्तन में एसएचजी की भूमिका की सराहना की और विशेष रूप से कमजोर समूहों के लिए निवारक स्वास्थ्य में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया।

श्रीमती स्मृति शरण ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सीजीएचए के नेतृत्व को उजागर करते हुए उन्हें “बैंगनी टोपी वाले योद्धा” के रूप में सराहा। उन्होंने उनकी एकता, अग्रिम पंक्ति की भूमिका की स्पष्टता और एसआरएलएम में एफएनएचडब्ल्यू प्रयासों को बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। श्री रामकृष्ण चित्तूरी ने एसएचजी संचालित ट्रांजिट होम और वीओ के प्रबंधित वीआरएफ जैसे समुदायिक नवाचारों के माध्यम से संकट से कायापलट तक मेघालय की यात्रा के बारे में बात की। उन्होंने एसएएम मामलों में 91 प्रतिशत की गिरावट का श्रेय स्थानीय नेतृत्व को दिया। श्री सिभी सी. साधु ने कहा कि मेघालय मातृसत्तात्मक है लेकिन निर्णय लेने की प्रक्रिया अक्सर पुरुष-प्रधान रहती है। उन्होंने एफएनएचडब्ल्यू जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से महिला आरक्षण और शासन में उनकी भागीदारी के महत्व पर जोर दिया। असम एसआरएलएम के एसएमडी श्री कुंतल मोनी सरमाह बोरदोलोई ने एसएचजी का क्षमता निर्माण, एसबीसीसी और एकजुटता पर आधारित असम की दशसूत्र-आधारित रणनीति साझा की। उन्होंने मटका भस्मक, तंबाकू मुक्त ग्राम अभियान और स्तनपान के लिए जगहों जैसे नवाचारों पर जोर दिया। असम ने बाल विवाह में 88 प्रतिशत की कमी और मातृ मृत्यु दर में 33 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है और इसका लक्ष्य अपने संजोग सेतु अभिसरण मॉडल को बढ़ाना है।

पूर्वी खासी हिल्स की डिप्टी कमिश्नर श्रीमती रोसेटा मैरी कुर्बाह ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार के लिए जिले के विकेंद्रीकृत और अभिसारी मॉडल के बारे में बात की। प्रमुख पहलों में स्तनपान झोपड़ियां, एसएचजी संचालित क्रेच, कृषि-पोषण उद्यान और एसएएम बच्चों को लक्षित सहायता शामिल थी। संस्थागत प्रसव में वृद्धि और मातृ एवं शिशु मृत्यु में कमी में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई। सामुदायिक संसाधन लोगों (सीआरपी) ने एफएनएचडब्ल्यू जागरूकता का नेतृत्व करने, वीएचएसएनसी को मजबूत करने और एसएचजी घरों में कृषि-पोषक उद्यानों को बढ़ावा देने की प्रेरक कहानियां साझा कीं। स्थानीय अभियानों, स्कूल-आधारित शिक्षण मॉडल और अपशिष्ट प्रबंधन पर साझेदारी के माध्यम से, वे (सीआरपी) व्यवहार में बदलाव ला रहे हैं और सेवा में सुधार कर रहे हैं। उनके प्रयास दर्शाते हैं कि एसएचजी के नेतृत्व वाली पहल कैसे स्वस्थ, अधिक सशक्त और जलवायु के प्रति जागरूक समुदाय बना रही हैं।

एसआरएलएम पैनल चर्चा में इस बात पर जोर दिया गया कि एसएचजी संचालित आजीविका के भीतर एफएनएचडब्ल्यू को एकीकृत करने से आर्थिक और स्वास्थ्य दोनों लाभ सुनिश्चित होते हैं, जैसा कि नागालैंड के लखपति मॉडल में देखा गया है। तमिलनाडु ने महिला स्वास्थ्य स्वयंसेवकों के माध्यम से पोषण-उद्यमों, बाजरा कैफे, स्कूल पोषण कार्यक्रमों और स्वास्थ्य विभागों के साथ अभिसरण का प्रदर्शन किया। त्रिपुरा ने एसएचजी संचालित स्वास्थ्य संवर्धन, निवारक देखभाल और जमीनी स्तर पर समन्वय को 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण बताया।

बुजुर्गों की देखभाल पर एक सत्र में भारत के ग्रामीण इलाकों में बुजुर्गों की तेजी से बढ़ती आबादी और सामाजिक सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया। हेल्पएज इंडिया ने बुजुर्गों के लिए स्वयं सहायता समूहों, मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों और टेलीमेडिसिन का उपयोग करके समुदाय-नेतृत्व वाले पिरामिड मॉडल को प्रस्तुत किया, जिससे आयु-विशिष्ट, सम्मानजनक देखभाल और समावेश सुनिश्चित किया जा सकेगा। केरल एसआरएलएम ने के4 केयर और संतवनम जैसे देखभाल अर्थव्यवस्था मॉडल को लागू करने में कुदुम्बश्री के अनुभव को साझा किया, जो स्वास्थ्य और बुजुर्गों की देखभाल में सम्मानजनक रोजगार सृजित करते हैं। एलएसजीआई के साथ मिलकर बीयूडीएस संस्थान बौद्धिक रूप से अक्षम लोगों के लिए शिक्षा और आजीविका प्रदान करने में सहयोग करते हैं। ‘स्ट्राइड’ कार्यक्रम सहायक उपकरण विकसित करता है। देखभाल तथा समावेश प्रयासों को बढ़ाने के लिए नई पहल भी प्रस्तुत की गई। राष्ट्रीय परामर्श और क्षेत्रीय कार्यशालाओं के माध्यम से तैयार किए गए एफएनएचडब्ल्यू 2024 पर राष्ट्रीय सम्मेलन से उभरने वाली कार्य योजना पर चर्चा की गई। संस्थागत नियोजन, क्षमता निर्माण और सामुदायिक प्लेटफार्मों में एफएनएचडब्ल्यू प्राथमिकताओं को शामिल करने पर विचार-विमर्श किया गया। असम और केरल जैसे राज्यों ने एफएनएचडब्ल्यू एकीकरण और देखभाल सेवा वितरण के आकर्षक मॉडल साझा किए।

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