लखनऊ: बिना किसी अपराध के किसी महिला को प्रताड़ित करना पुलिस अधिकारियों को महंगा पड़ गया। अयोध्या के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) कोर्ट ने वर्ष 2008 के एक उत्पीड़न मामले में 3 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया है। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले में कई बार वेलेबल (जमानती) वारंट जारी किया था, लेकिन अधिकारियों की ओर से बार-बार कोर्ट में अनुपस्थिति के कारण अब गैरजमानती वारंट जारी किया गया है।
कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तीनों अधिकारियों को अगली सुनवाई में उपस्थित होने का निर्देश भी दिया है। इनमें तत्कालीन सर्किल आफिसर (सीओ) और वर्तमान में एडिशनल एसपी, वाराणसी राजेश पांडे, नवीन मंडी चौकी प्रभारी मुकुल वर्मा और एसपी जायसवास शामिल हैं। दरअसल, वर्ष 2008 में में नाका पहाड़गंज स्थित उर्मिला पांडे पत्नी आरपी पांडे वैद्य के घर पर रात में इन तीनों अधिकारियों ने छापा मार कर उत्पीड़न किया था। तब धारा 156/3 के तहत उर्मिला पांडे ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसमें कई बार वेलेबल वारंट जारी हो चुका था। लेकिन अधिकारियों के बार-बार अनुपस्थिति को देखते हुए कोर्ट ने अब गैरजमानती वारंट जारी किया है।
इस मामले के अधिवक्ता अमित शुक्ला ने बताया है कि वर्ष 2008 में रायबरेली रोड मंडी चौकी के अंतर्गत रहने वाली उर्मिला पांडे के घर में बिना किसी वारेंट एवं अपराध के उपरोक्त पुलिस टीम द्वारा घुसकर तोड़फोड़ करने और आरपी पांडे वैद्य को पुलिसिया उत्पीड़न करके परेशान किया गया था। जिसके मामले में पीड़ित ने सीजेएम अदालत मे परिवाद दाखिल करके पुलिस टीम को दंडित करने की अदालत से मांग की थी। लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार पांडे परिवार को न्याय मिलने की राह आसान हो गई है। क्योंकि अब अदालत ने अब कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है और इन अधिकारियों को मामले को गंभीरता से लेते हुए अगली सुनवाई पर हाजिर होने के लिए गैरजमानती वारंट जारी किया है।
