बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के शिक्षा और अध्ययन का प्रमुख केंद्र न्यायधानी रहा है, आज न्यायाधानी की यह स्थिति है कि यहां कोचिंग और शैक्षणिक इंस्टिट्यूट में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या एक लाख से भी अधिक है। यहाँ दूर-दूर क्षेत्रों से छात्रगण इंस्टिट्यूट और कोचिंग में पढ़ाई के लिए और जाब की तैयारी के लिए आते हैं। ऐसी शैक्षणिक और साकारात्मक स्थिति से प्रदेश में बिलासपुर शहर एक “शिक्षा हब” के रूप में स्थापित और विख्यात हो चुका है। पर ना जाने क्यूँ न्यायधानी के लिए एमबीबीएस की सिम्स में सीटें बहुत सीमित रखी गई थी इसे बढ़ाने के लिए पिछले कई वर्षों से छात्रों एवं नागरिकों की मांग थी, जो लंबित होते हुए भी आवश्यक थी। प्रदेश की सरकार व केंद्र की सरकार ने भी इस विषय में अब तक केवल आश्वासन ही दिया था, जो अब जाकर के अंततः सफलीभूत हुई है।

अब एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए छात्रों को ज्यादा सीटें मिलेगी। जिससे उनको एमबीबीएस करने के लिए ज्यादा अवसर प्राप्त होंगे।अब सिम्स में एमबीबीएस के लिए सीटों की संख्या बढाते हुए 150 कर दी गई है। छात्रों के लिए यह आवश्यक था, इस जानकारी से क्षेत्र के एमबीबीएस अभ्यर्थियों में हर्ष व्याप्त है।
सिम्स में एमबीबीएस की सीट बढ़कर 150 होने से छात्रों में हर्ष
छत्तीसगढ़ के चिकित्सा शिक्षा जगत से जुड़ी एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक खबर सामने आई है। बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग द्वारा शैक्षणिक सत्र 2025-26 में एमबीबीएस पाठ्यक्रम की 150 सीटों पर प्रवेश हेतु मान्यता प्रदान की गई है। एनएमसी द्वारा, 11 जुलाई 2025 को जारी पत्र के माध्यम से यह मान्यता दी गई, जिससे क्षेत्र के विद्यार्थियों और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों में उत्साह की लहर दौड़ गई है।सिम्स, बिलासपुर संभाग का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित उच्च चिकित्सा शिक्षण संस्थान है, जो न केवल चिकित्सा शिक्षा का केंद्र है बल्कि स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी निरंतर प्रगति कर रहा है। संस्थान की पहचान यहाँ की नियमित रूप से बढ़ती ओपीडी और आईपीडी संख्या, गंभीर बीमारियों के उपचार में दक्षता और सरल-सुलभ चिकित्सा सुविधा के लिए जानी जाती है। कैंसर, ट्यूमर, अस्थिरोग, नेत्र ट्रांसप्लांट और दंतरोग जैसे जटिल क्षेत्रों में संस्थान ने समय-समय पर उत्कृष्ट सेवाएं दी हैं, जिससे आमजन के बीच संस्थान के प्रति विश्वास और भी गहराया है।
मान्यता के पीछे मजबूत आधार
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग की टीम ने 18 जून 2025 को सिम्स का निरीक्षण किया था। अधिष्ठाता एवं चिकित्सा अधीक्षक की उपस्थिति में संस्थान की व्यवस्थाओं का गहन मूल्यांकन किया गया। आयोग ने निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं के आधार पर एमबीबीएस प्रथम वर्ष में प्रवेश की स्वीकृति प्रदान कीः
- प्रतिदिन 2000 से अधिक मरीजों की ओपीडी उपस्थिति
- 85% से अधिक रोगी भर्ती दर 3.पर्याप्त ऑपरेशन की संख्यार्गाप्त
ऑपरेशन की संख्या 4.शैक्षणिक गुणवत्ता 5.छात्रावास और लैब जैसी
बुनियादी सुविधाएँ
हालांकि, फैकल्टी और रेसिडेंट डॉक्टरों की कम संख्या एक चुनौती के रूप में चिन्हित की गई है, जिसकी पूर्ति के लिए राज्य सरकार द्वारा नियमित नियुक्तियाँ की जा रही हैं। वहीं सिम्स प्रबंधन द्वारा संविदा आधारित नियुक्तियों की प्रक्रिया भी जारी है।
2017 में रद हुई थीं सीटें
ज्ञात हो सिम्स में वर्ष 2017 में कुछ कमियों और खामियों के चलते 50 एमबीबीएस सीटें रद हो गई थीं। तब कालेज को दो साल तक केवल 100 सीटों पर ही पढ़ाई करनी पड़ी थी। बाद में सुधार के प्रयासों के चलते अब 150 सीटों की मान्यता बहाल हुई है।
विद्यार्थियों के लिए सौगात
एमबीबीएस के स्नातक स्तर की 150 सीटों के साथ ही एमडी/एमएस के 68 स्नातकोत्तर सीटों पर भी शिक्षा प्रदान की जा रही है। 2025-26 की मान्यता न केवल संस्थान की उपलब्धि है, बल्कि पूरे अंचल के विद्यार्थियों के लिए यह एक सौगात है, जो अब अपने ही राज्य में उच्च स्तरीय चिकित्सा शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।
एनएमसी की मान्यता मिलने से छात्रों को अपने ही अंचल में उच्च स्तरीय चिकित्सा शिक्षा का अवसर मिलेगा। स्वास्थ्य सेवाओं और शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार लगातार जारी है। भविष्य में संस्थान की गुणवत्ता और सीट संख्या दोनों बढ़ाने का प्रयास रहेगा।
-डा. रमणेश मूर्ति डीन, सिम्स बिलासपुर
