केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 में शुरू किया गया जल जीवन मिशन (जेजेएम) – हर घर जल अभियान, ग्रामीण भारत में स्वच्छ, सुरक्षित और सतत पीने योग्य जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल रही है। यह मिशन भारत सरकार और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच एक साझेदारी मॉडल पर कार्य करता है, जिसमें प्रत्येक ग्रामीण घर में नल कनेक्शन के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण पेयजल पहुंचाना लक्ष्य है।
गुणवत्ता और मानक आधारित जलापूर्ति की दिशा में प्रयास
जल जीवन मिशन के अंतर्गत जलापूर्ति के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा निर्धारित BIS:10500 मानकों का पालन किया जाता है, जिससे जल की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। चूंकि पेयजल राज्य का विषय है, अतः मिशन के अंतर्गत योजनाओं की स्वीकृति, क्रियान्वयन, संचालन और रखरखाव की ज़िम्मेदारी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अधीन है। भारत सरकार इस प्रक्रिया में आवश्यक तकनीकी एवं वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
प्रदूषित जल स्रोतों पर प्राथमिकता
मिशन के आरंभ से ही सरकार द्वारा फ्लोराइड, आर्सेनिक जैसे रासायनिक प्रदूषण से प्रभावित बस्तियों को प्राथमिकता दी जा रही है। इन क्षेत्रों में वैकल्पिक सुरक्षित जल स्रोतों पर आधारित पाइप जलापूर्ति योजनाएं विकसित करने के निर्देश दिए गए हैं। परिणामस्वरूप, वर्ष 2019 में जहां देश में 7,996 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियां थीं, वहीं 23 जुलाई, 2025 तक यह संख्या घटकर 248 रह गई है। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जो जल जीवन मिशन की प्रभावशीलता को दर्शाती है।
सामुदायिक जल शोधन संयंत्रों की स्थापना
जहां अभी तक पाइप जलापूर्ति योजनाएं लागू नहीं हो पाई हैं, वहां सामुदायिक जल शोधन संयंत्र (CWPP) अथवा व्यक्तिगत घरेलू शोधक (IHP) के माध्यम से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 8–10 लीटर सुरक्षित जल उपलब्ध कराया जा रहा है। जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार वर्तमान में 248 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों को इन वैकल्पिक माध्यमों से जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
राज्यवार विवरण (23 जुलाई 2025 तक)
| क्रमांक | राज्य | फ्लोराइड प्रभावित बस्तियां | सीडब्ल्यूपीपी से आच्छादित |
|---|---|---|---|
| 1 | ओडिशा | 14 | 14 |
| 2 | पंजाब | 119 | 119 |
| 3 | राजस्थान | 78 | 78 |
| 4 | पश्चिम बंगाल | 37 | 37 |
| कुल | 248 | 248 |
फ्लोरोसिस से निपटने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल
फ्लोराइड की अधिकता से उत्पन्न फ्लोरोसिस बीमारी की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम (NPPCF) चलाया जा रहा है, जो इस समय 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 163 जिलों में सक्रिय है। यह कार्यक्रम जनशक्ति सुदृढ़ीकरण, उपकरण उपलब्धता, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य शिक्षा, पोषण पूरकता और पुनर्वास जैसे अनेक पहलुओं पर केंद्रित है।
वित्तीय प्रगति: मिशन में निवेश और व्यय
जल जीवन मिशन के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को चरणबद्ध रूप में आवंटन और व्यय किया गया। वित्तीय वर्ष 2019-20 से लेकर 2025-26 तक की विवरणी निम्नलिखित है:
| वित्तीय वर्ष | प्रारंभिक जमा (₹ करोड़) | आवंटन (₹ करोड़) | जारी राशि (₹ करोड़) | व्यय (₹ करोड़) |
|---|---|---|---|---|
| 2019-20 | 2,436.37 | 11,139.21 | 9,951.81 | 4,090.79 |
| 2020-21 | 6,447.36 | 23,033.02 | 10,917.86 | 7,905.45 |
| 2021-22 | 4,825.92 | 92,308.77 | 40,009.77 | 18,226.18 |
| 2022-23 | 19,510.05 | 1,00,789.77 | 54,742.30 | 40,147.74 |
| 2023-24 | 23,584.58 | 1,32,936.83 | 69,885.01 | 69,219.37 |
| 2024-25 | 11,173.97 | 69,926.68 | 22,540.22 | 60,167.78 |
| 2025-26 | 3,875.74 | – | – | 3,063.52 |
(स्रोत: जल जीवन मिशन – आईएमआईएस, दिनांक 23 जुलाई 2025)