हरिद्वार में भूपतवाला स्थित महाराजा अग्रसेन अग्रवाल आश्रम ट्रस्ट में आयोजित इस सम्मेलन में देश भर से आए 350 से अधिक कवियों, लेखकों, साहित्यकारों, संतो, शिक्षकों, अधिवक्ताओं एवं बुद्धिजीवियों ने सहभागिता की। आयोजन की अध्यक्षता करते हुए शिवयोगी धाम हरिद्वार के परमाध्यक्ष आचार्य शिवयोगी जी महाराज ने कहा कि साहित्य में सनातन का समावेश नितांत आवश्यक है। संयम, साधना और अनुशासन का पालन करके ही समृद्ध साहित्य का सृजन संभव है।

मुख्य वक्ता के रूप में सम्मिलित फायर ब्रांड हिन्दूवादी नेत्री साध्वी डाॅ प्राची जी ने कहा कि सनातन भारत की आत्मा है। साहित्यकारों का परम कर्तव्य है कि वे अपनी कलम के माध्यम से सनातनी सिद्धांतों की रक्षा करें।
महामंडलेश्वर ललितानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि लेखकों और कवियों पर समाज और राष्ट्र की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। कलमकार अपनी कलम के माध्यम से समाज और राष्ट्र में एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। नेशनल बुक ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार डाॅ. बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि हिन्दी केवल एक भाषा ही नहीं बल्कि भावना है। हिन्दी पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने की शक्ति रखती है।
वैभव शर्मा फाउंडेशन (रजि.) के तत्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन में संत सम्मेलन, कवि सम्मेलन, पुस्तक विमोचन, सम्मान समारोह, भजन संध्या, महारुद्राभिषेक, फूलों की होली आदि विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
सम्मेलन के दूसरे दिन नंदगाँव से पधारी सुप्रसिद्ध भजन गायिका देवी लुभानी बृजवासी जी के भजनों ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
मंच संचालन स्वयं वैभव शर्मा फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय कवि वैभव शर्मा ने किया।
सम्मेलन में राज कौशिक, अजय बृजवासी, डाॅ. अनिल वाजपेयी, यथार्थ शर्मा, मधुकर त्यागी, सुबोध त्यागी, अभिषेक शर्मा, रंगनाथ अग्रवाल, लोकेश चौधरी, रेनू बंसल, प्रदीप बंसल, दीपा सिरोही, दर्शन अग्रवाल, महेश गोयल, आशीष जैन, संजय त्यागी, संजय जैन सत्यम, मंजू अग्रवाल, धन्वी अग्रवाल, रोहिणी सेठ, सुनीता छाबड़ा, मधुरबाला, अनीता श्रीवास्तव, अपर्णा भटनागर, हेमंत भटनागर, शालिनी शर्मा, अंकित त्यागी, भावना त्यागी, भावना अरोड़ा ‘मिलन’, अलका शर्मा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
वैभव शर्मा फाउंडेशन के माध्यम से अनेकानेक साहित्यकारों व भाषाविदों का सान्निध्य नवांकुर कवियों को मिला और उन्हें अपनी अभिव्यक्ति का मंच प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम की शुभ शुरुआत एक धार्मिक अनुष्ठान की भाँति महान सनातनी विभूतियों के वक्तव्य से हुई।
हरिद्वार जैसे धार्मिक स्थल और माँ गंगा के तट पर हुए इस महान आयोजन में सनातनी विभूतियों के करकमलों द्वारा दिल्ली से पधारी आशु कवयित्री श्रीमती भावना अरोड़ा ‘मिलन’ की पुस्तक ‘हरि गुणगान’ का विमोचन हुआ।
महामंडलेश्वर ललितानंद गिरी जी महाराज की आज्ञा पाकर कवयित्री भावना ‘मिलन’ ने अपनी पुस्तक से एक भजन ‘ओम नाम में समाया यह व्योम है…’ के चंद पंक्तियाँ भोलेनाथ को समर्पित कीं।

गाजियाबाद वसुंधरा से पधारी कवयित्री दिपुलिका शर्मा की पुस्तक ‘उम्मीदों का सफर’ एवं देहरादून से पधारी कवयित्री सिद्धि जी की पुस्तक का भी विमोचन हुआ।
इसके अतिरिक्त भी कई अन्य कवियों की पुस्तकों का विमोचन संपन्न हुआ।
मंगल कामनाओं सहित सभी प्रतिभागियों को सनातनी विभूतियों का आशीर्वचन प्राप्त हुआ।
वैभव शर्मा फाउंडेशन ने सनातनी परंपरा को साहित्य के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाने एवं प्रचार-प्रसार में अधिकतम योगदान देने की दिशा में अत्यंत सराहनीय कदम बढ़ाया है।
संस्था ने अपने अंतिम उद्घोष में साहित्यकारों को यह आश्वासन दिया कि भविष्य में भी देवभूमि को माध्यम बनाकर इस प्रकार के अनेकानेक कार्यक्रम व अधिवेशन आयोजित किए जाते रहेंगे, जो सनातन धर्म एवं देश के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत कारगर सिद्ध होंगे।
Bahut bahut aabhar aadarniya