प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा आज राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस वेबिनार श्रृंखला 2025-26 का दूसरा सत्र सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। इस मासिक वेबिनार का उद्देश्य राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कारों (एनएईजी) के अंतर्गत मान्यता प्राप्त एवं पुरस्कृत उल्लेखनीय ई-गवर्नेंस प्रणालियों का प्रसार करना और उन्हें अन्य राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में अनुकरणीय रूप से लागू करने को प्रोत्साहित करना है।

इस बार वेबिनार का विषय था – “डिजिटल परिवर्तन हेतु प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल द्वारा सरकारी प्रक्रिया पुनर्रचना में राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्तर की पहलों में उत्कृष्टता”।
सचिव डीएआरपीजी ने किया सत्र का नेतृत्व
सत्र की अध्यक्षता डीएआरपीजी के सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने की। उन्होंने सेवा वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों के महत्व पर बल दिया। श्रीनिवास ने कहा कि राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार प्राप्त पहलें इस बात का प्रमाण हैं कि किस प्रकार डिजिटल नवाचारों के माध्यम से प्रशासनिक प्रक्रियाओं को अधिक सुगम, पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित बनाया जा सकता है।
एनएईजी 2025 पुरस्कार विजेता पहलें प्रस्तुत
वेबिनार में दो उत्कृष्ट और पुरस्कृत पहलों की प्रस्तुति दी गई, जिन्हें एनएईजी 2025 पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
1. मध्य प्रदेश की ‘संपदा 2.0’ परियोजना
मध्य प्रदेश सरकार के पंजीयन महानिरीक्षक एवं स्टाम्प अधीक्षक श्री अमित तोमर ने ‘संपदा 2.0’ परियोजना का प्रदर्शन किया।
- यह पहल संपत्ति पंजीकरण प्रणाली को पूरी तरह कागज रहित, कतार-रहित और सीमा-रहित बनाती है।
- इसमें ई-स्टाम्पिंग, टेम्पलेट आधारित स्वचालित डीड ड्राफ्टिंग और ई-साइन या डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र (डीएससी) के जरिए दस्तावेजों का सत्यापन शामिल है।
- नागरिक कहीं से भी और कभी भी संपत्ति पंजीकरण करा सकते हैं।
- फेसलेस पंजीकरण की सुविधा भी उपलब्ध है, जिसके लिए उप-पंजीयक कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं होती।
- यह प्रणाली जीआईएस तकनीक का इस्तेमाल संपत्ति की लोकेशन निर्धारण में करती है और ओपन एपीआई इंटीग्रेशन के जरिए 20 से अधिक सिस्टमों से जुड़ी हुई है।
- इसने संपत्ति पंजीकरण एवं दस्तावेज प्रबंधन की प्रक्रिया को पूरी तरह स्वचालित और आधुनिक बना दिया है।
2. केरल की परियोजना निगरानी एवं जल गुणवत्ता सूचना प्रणाली
केरल सरकार के अमृत मिशन निदेशक श्री सूरज शाजी ने ‘परियोजना निगरानी प्रणाली और जल गुणवत्ता निगरानी सूचना प्रणाली’ की प्रस्तुति दी।
- यह डिजिटल प्लेटफॉर्म शहरी परियोजना प्रबंधन और जल सुरक्षा को अधिक प्रभावी बनाने के लिए तैयार किया गया है।
- यह वर्कफ्लो को स्वचालित करता है और परियोजनाओं की रियल-टाइम ट्रैकिंग की सुविधा प्रदान करता है।
- जल संदूषण की तत्काल पहचान कर अलर्ट जारी करने और सुधारात्मक कदम उठाने में मदद करता है।
- हितधारकों को डेटा तक सुरक्षित और पारदर्शी पहुंच प्रदान की जाती है, जिससे जवाबदेही और निर्णय क्षमता मजबूत होती है।
- इस प्रणाली में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूह ‘अमृत मित्र’ भी सक्रिय हैं, जो जल गुणवत्ता निगरानी और संबंधित गतिविधियों में भाग लेकर सामुदायिक भागीदारी और महिला सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
वेबिनार का महत्व और सहभागिता
इस वेबिनार में देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से वरिष्ठ अधिकारियों, जिला कलेक्टरों तथा केंद्रीय एवं राज्य प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधियों सहित 400 से अधिक अधिकारी शामिल हुए।
यह मंच न केवल पुरस्कृत पहलों के अनुभव साझा करने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि इससे राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को प्रेरणा मिलती है कि वे इन सफल मॉडलों को अपनी कार्यप्रणालियों में अपनाकर बेहतर शासन और सेवा वितरण सुनिश्चित करें।