नई दिल्ली स्थित यशोभूमि में 2 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सेमीकॉन इंडिया-2025 सम्मेलन का शुभारंभ किया। यह सम्मेलन भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को गति प्रदान करने और देश को वैश्विक स्तर पर आत्मनिर्भर एवं प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
वैश्विक उद्योग जगत और युवा शक्ति की सहभागिता
कार्यक्रम में भारत सहित दुनिया भर के 40 से 50 देशों से आए सेमीकंडक्टर उद्योग के विशेषज्ञों, उद्यमियों, स्टार्ट-अप प्रतिनिधियों और हजारों छात्रों की उपस्थिति ने इसे ऐतिहासिक बना दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि भारत की नवाचार क्षमता और युवा शक्ति के साथ विश्व का विश्वास जुड़कर यह संदेश देता है कि भविष्य का सेमीकंडक्टर भारत की धरती पर आकार लेगा।
प्रधानमंत्री ने हाल ही में जापान और चीन की अपनी यात्रा का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने जापान के प्रधानमंत्री श्री शिगेरु इशिबा के साथ टोक्यो इलेक्ट्रॉन कारखाने का दौरा किया था। उन्होंने कहा कि तकनीक के प्रति उनका जुनून उन्हें लगातार इस क्षेत्र से जुड़े लोगों और संस्थानों के बीच लाता है।

भारत की प्रगति और आर्थिक परिदृश्य
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए कहा कि हाल ही में जारी पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों में भारत ने 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की है। यह वृद्धि विनिर्माण, सेवा, कृषि और निर्माण—सभी क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर कर रही है।
प्रधानमंत्री ने सेमीकंडक्टर को 21वीं सदी की शक्ति बताते हुए कहा कि यदि पिछली सदी को तेल ने आकार दिया, तो इस सदी की गति और भविष्य छोटे-से चिप पर आधारित होगा। वैश्विक सेमीकंडक्टर बाज़ार वर्तमान में 600 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है और आने वाले वर्षों में इसके 1 ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक होने की संभावना है। उन्होंने विश्वास जताया कि भारत इस विशाल बाज़ार में अपनी मजबूत हिस्सेदारी सुनिश्चित करेगा।
भारत का सेमीकंडक्टर सफर
प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि 2021 में सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया गया था। 2023 तक पहला सेमीकंडक्टर संयंत्र स्वीकृत हुआ, 2024 में कई अन्य संयंत्रों को मंजूरी मिली और 2025 तक पांच अतिरिक्त परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं। वर्तमान में दस सेमीकंडक्टर परियोजनाएं जारी हैं जिनमें लगभग 18 अरब डॉलर यानी 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश हो रहा है।
उन्होंने बताया कि 28 अगस्त को सीजी पावर का पायलट प्लांट परिचालन शुरू कर चुका है, जबकि केनेस का पायलट प्लांट भी शीघ्र शुरू होने वाला है। माइक्रोन और टाटा के परीक्षण चिप पहले से ही उत्पादन में हैं और इस वर्ष वाणिज्यिक उत्पादन की शुरुआत हो जाएगी। यह भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगा।
नीतिगत सुधार और इन्फ्रास्ट्रक्चर
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार का ध्यान “फ़ाइल से फ़ैक्टरी” तक का समय घटाने पर है। इसके लिए राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली लागू की गई है, जिससे निवेशकों को सभी स्वीकृतियां एक ही स्थान पर प्राप्त हो रही हैं। देशभर में प्लग-एंड-प्ले इन्फ्रास्ट्रक्चर मॉडल पर सेमीकंडक्टर पार्क विकसित किए जा रहे हैं, जिनमें भूमि, बिजली, बंदरगाह, हवाई अड्डे और कुशल श्रमिकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।
उन्होंने कहा कि पीएलआई प्रोत्साहनों और डिज़ाइन लिंक्ड अनुदानों के माध्यम से भारत एक व्यापक क्षमता विकसित कर रहा है, जिससे यह केवल बैकएंड ऑपरेशंस तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि एक पूर्ण-स्टेक सेमीकंडक्टर राष्ट्र बनेगा।
अनुसंधान, नवाचार और स्टार्ट-अप्स की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत दुनिया की सेमीकंडक्टर डिज़ाइन प्रतिभा का 20 प्रतिशत योगदान देता है। देश के युवा इस उद्योग के लिए सबसे बड़ी मानव श्रम पूंजी का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई को इस मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया।
सरकार ने युवाओं और उद्यमियों के लिए डिज़ाइन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना और चिप-टू-स्टार्टअप कार्यक्रम शुरू किए हैं। प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि डिज़ाइन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय बौद्धिक संपदा (आईपी) के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और राष्ट्रीय अनुसंधान कोष इसके लिए रणनीतिक सहयोग प्रदान करेगा।
उन्नत तकनीकों और खनिज मिशन पर ध्यान
प्रधानमंत्री ने कहा कि नोएडा और बेंगलुरु में विकसित किए जा रहे डिज़ाइन केंद्र दुनिया के सबसे उन्नत चिप पर काम कर रहे हैं। भारत केवल निर्माण नहीं, बल्कि नई तकनीकों और अनुसंधान में भी अग्रसर है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत “राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन” पर काम कर रहा है ताकि दुर्लभ खनिजों की घरेलू मांग पूरी हो सके।
समापन विचार
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन इस विश्वास के साथ किया कि भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा भले ही देर से शुरू हुई हो, लेकिन अब इसे कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने कहा कि भारत की नीतियां दीर्घकालिक प्रतिबद्धताओं पर आधारित हैं और निवेशकों को हर प्रकार का सहयोग मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि निकट भविष्य में दुनिया कहेगी—भारत में डिज़ाइन, भारत में निर्माण और विश्व द्वारा भरोसा।
सम्मेलन की विशेषताएं
तीन दिवसीय इस सम्मेलन में 20,750 से अधिक प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं। इसमें 48 से ज्यादा देशों के 2,500 प्रतिनिधि, 150 से अधिक वक्ता, 50 से अधिक वैश्विक नेता और 350 से अधिक प्रदर्शक भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में देश-स्तरीय मंडप, गोलमेज चर्चाएं, स्टार्ट-अप और कार्यबल विकास पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।
सेमीकॉन इंडिया-2025 न केवल एक सम्मेलन है, बल्कि भारत के तकनीकी भविष्य की ठोस रूपरेखा प्रस्तुत करने वाला मंच है। यह भारत की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है जिसके माध्यम से देश आत्मनिर्भरता, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और सतत विकास की दिशा में मज़बूती से आगे बढ़ रहा है।