अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क का आधिकारिक तौर पर 2 सितंबर, 2021 को शुभारंभ किया गया था। इससे वित्तीय डेटा साझा करने के लिए एक सुरक्षित, सहमति-आधारित प्रणाली स्थापित हुई। वर्ष 2016 में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अकाउंट एग्रीगेटर इकोसिस्टम के लिए मास्टर निर्देश जारी किए थे।

अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क, उपयोगकर्ताओं को अपनी वित्तीय जानकारी (जैसे बैंक खाते, निवेश, ऋण, आदि) को विभिन्न स्रोतों से एकत्रित करने और ऋण आवेदन या वित्तीय योजना जैसी सेवाओं के लिए सेवा प्रदाताओं (जैसे, ऋणदाता, धन प्रबंधक) के साथ साझा करने की अनुमति देता है। अकाउंट एग्रीगेटर मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं और एन्क्रिप्टेड, अनुमति-आधारित डेटा साझाकरण के माध्यम से डेटा गोपनीयता और उपयोगकर्ता नियंत्रण सुनिश्चित करते हैं।
वर्ष 2023 में जी20 में भारत की अध्यक्षता के दौरान, अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क को एक आधारभूत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के रूप में मान्यता दी गई, जो डेटा विनिमय संग्रह के रूप में कार्य करते हुए, पहचान (आधार) और भुगतान (यूपीआई) संग्रह का पूरक होगा। अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क की भूमिका और प्रभाव को प्रमुख जी20 दस्तावेज़ों में स्वीकार किया गया है, जिनमें “डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के माध्यम से वित्तीय समावेशन और उत्पादकता लाभ को आगे बढ़ाने हेतु नीतिगत सिफारिशें” (2023) शामिल हैं। इसका महत्व “डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना पर भारत के जी20 कार्य बल की रिपोर्ट” (जुलाई 2024) में भी विस्तृत है।
इसके बाद से यह इकोसिस्टम तेज़ी से विकसित हुआ है और बैंकिंग, प्रतिभूति, बीमा और पेंशन क्षेत्रों में इसे तेज़ी से अपनाया जा रहा है, जिससे भारत का डीपीआई सशक्त हो रहा है। अद्ययतन, 112 वित्तीय संस्थानवित्तीय सूचना प्रदाता और वित्तीय सूचना उपयोगकर्ता (एफआईयू) दोनों के रूप में सक्रिय हो चुके हैं, जबकि 56 केवल वित्तीय सूचना प्रदाता और 410 वित्तीय सूचना उपयोगकर्ता के रूप में सक्रिय हुए हैं। इस प्रारूप के माध्यम से अब 2.2 अरब से ज़्यादा वित्तीय खातेसुरक्षित, सहमति-आधारित डेटा साझाकरण के लिए सक्षम हैं, जिनमें से 112.34 मिलियन उपयोगकर्तापहले ही अपने खातों को लिंक कर चुके हैं, जो इस परिवर्तनकारी पहल में बढ़ते स्तर और विश्वास को दर्शाता है।
एए इकोसिस्टम औपचारिक ऋण पहुंच में नई सीमाओं को खोलने के लिए तैयार है, विशेष रूप से एमएसएमई और व्यक्तिगत ऋण के लिए, जो विकसित भारत @2047 की दिशा में भारत की यात्रा में सार्थक योगदान देगा।