केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राजधानी के विज्ञान भवन में आयोजित 14वीं पेंशन अदालत की अध्यक्षता की। डॉ. सिंह, जो केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) होने के साथ-साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पीएमओ, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग के भी राज्य मंत्री हैं, ने इस अवसर पर कहा कि पेंशन अदालतें केवल शिकायत निवारण का मंच नहीं हैं, बल्कि पेंशनभोगियों को गरिमा और न्याय दिलाने का एक सशक्त तंत्र हैं।
इस अदालत का आयोजन पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoPPW) द्वारा “पारिवारिक पेंशनभोगी एवं अति वरिष्ठ पेंशनभोगी” विषय पर किया गया। इसमें 21 मंत्रालयों और विभागों से संबंधित 894 पुराने और लंबित मामलों पर विचार किया गया।

“संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण” की सराहना
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए डॉ. सिंह ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि अदालत ने सभी संबंधित विभागों, मंत्रालयों और एजेंसियों को एक मंच पर लाकर समस्याओं के त्वरित समाधान की राह खोली है। उनके अनुसार, यह पहल “Whole of Government Approach” का उत्तम उदाहरण है, जिसने प्रक्रियात्मक देरी को कम करते हुए पेंशनभोगियों को शीघ्र न्याय सुनिश्चित किया।
उल्लेखनीय मामलों का समाधान
इस अदालत में कई ऐसे मामले निपटाए गए जो वर्षों से लंबित थे और जिनके चलते पेंशनभोगियों तथा उनके परिवारों को कठिनाई झेलनी पड़ रही थी। इनमें से कुछ प्रमुख मामले इस प्रकार हैं:
- ऑनररी लेफ्टिनेंट बलवीर सिंह (पंजाब रेजिमेंट) : जम्मू से 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त हुए। प्रक्रिया में देरी के बाद उन्हें दिव्यांगता और कम्यूटेशन पेंशन के रूप में ₹46,04,537 की राशि प्राप्त हुई।
- लेफ्टिनेंट कर्नल प्रताप चंद सूद : 31 अगस्त 1994 को सेवानिवृत्त हुए। उन्हें 1 जनवरी 2006 से देय पेंशन बकाया का निर्धारण नहीं मिला था। अदालत ने उनका मामला सुलझाया और उन्हें ₹18,89,331 का बकाया भुगतान हुआ।
- श्रीमती चंपा रौतेला (84 वर्ष) : दिवंगत पूर्व कांस्टेबल नारायण सिंह (बीएसएफ) की पत्नी। पति के निधन (26 फरवरी 2014) के बाद उन्हें कोई पारिवारिक पेंशन नहीं मिली थी। अब उन्हें ₹15 लाख की पारिवारिक पेंशन राशि प्रदान की गई।
इन मामलों का समाधान सिर्फ वित्तीय राहत नहीं है, बल्कि यह उन परिवारों के लिए न्याय और गरिमा की पुनःस्थापना है जो लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे।
विभागवार शिकायतें
कुल 894 शिकायतों में से अधिकतर मामले रक्षा, रेलवे और गृह मंत्रालय से जुड़े थे। प्रमुख विभागवार विवरण इस प्रकार है:
- पूर्व सैनिक कल्याण विभाग – 250 मामले
- रक्षा वित्त विभाग – 76 मामले
- गृह मंत्रालय (बीएसएफ, सीआरपीएफ, दिल्ली पुलिस आदि सहित) – 78 मामले
- वित्तीय सेवा विभाग (बैंकिंग प्रभाग) – 128 मामले
- पीसीडीए (पेंशन), प्रयागराज – 313 मामले
- रेल मंत्रालय – 11 मामले
अब तक का पेंशन अदालत अभियान
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि जून 2025 तक आयोजित 13 पेंशन अदालतों में कुल 25,831 मामलों पर विचार किया गया, जिनमें से 18,481 मामलों का समाधान किया गया। इस प्रकार पेंशन अदालतें धीरे-धीरे शिकायत निवारण की एक मजबूत प्रणाली के रूप में विकसित हुई हैं।
भविष्य की दिशा
मंत्री ने सभी विभागों और मंत्रालयों में शिकायत सहायता डेस्क स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उनका कहना था कि पेंशनभोगियों को यह महसूस होना चाहिए कि उनकी समस्याओं को शुरुआती स्तर पर ही सुना जा रहा है। इसके लिए डिजिटल शिकायत निगरानी प्रणाली को भी और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।