भारत सरकार ने डिजिटल भारत अभियान के तहत पेपरलेस शासन को सशक्त बनाने की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत कार्यरत राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD) और भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) द्वारा विनियमित सूचना उपयोगिता केंद्र राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सर्विसेज लिमिटेड (NeSL) ने एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका उद्देश्य व्यवसायों और सरकारी संस्थाओं के लिए डिजिटल दस्तावेज़ प्रबंधन को और अधिक सुव्यवस्थित, एकीकृत और सुरक्षित बनाना है।

यह समझौता ज्ञापन ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 के दौरान संपन्न हुआ, जिसमें एनईजीडी के निदेशक श्री जे.एल. गुप्ता और एनईएसएल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री देबज्योति रे चौधरी उपस्थित रहे।
एंटिटी लॉकर और डीडीई प्लेटफ़ॉर्म का एकीकरण: डिजिटल दस्तावेज़ प्रबंधन में क्रांति
इस सहयोग के तहत एनईजीडी के क्लाउड-आधारित दस्तावेज़ प्रबंधन प्लेटफ़ॉर्म “एंटिटी लॉकर” को एनईएसएल के डिजिटल दस्तावेज़ निष्पादन (DDE) प्लेटफ़ॉर्म के साथ एकीकृत किया जाएगा। एंटिटी लॉकर, डिजिलॉकर पहल का विस्तार है, जिसका उद्देश्य दस्तावेज़ों के निर्गमन, भंडारण, साझा करने और सत्यापन की प्रक्रिया को सरल और सुरक्षित बनाना है।
वहीं, एनईएसएल का डीडीई प्लेटफ़ॉर्म इलेक्ट्रॉनिक अनुबंधों और दस्तावेज़ों के डिजिटल, सुरक्षित और पेपरलेस निष्पादन के लिए एक अग्रणी समाधान है। इसके माध्यम से विशेष रूप से ई-बैंक गारंटी (e-BG) जैसे दस्तावेज़ों को कानूनी रूप से बाध्यकारी डिजिटल स्वरूप में जारी और प्रबंधित किया जा सकेगा।
ई-बैंक गारंटी के लिए नया युग: तेज़, पारदर्शी और सुरक्षित प्रक्रिया
इस समझौते के परिणामस्वरूप, ई-बैंक गारंटी के लाभार्थी और आवेदक अब एनईएसएल के ई-बीजी रिपॉजिटरी से सीधे अपने एंटिटी लॉकर खातों में डिजिटल रूप से निष्पादित बैंक गारंटी प्राप्त कर सकेंगे और सुरक्षित रूप से उन तक पहुंच पाएंगे। यह एकीकरण न केवल प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाएगा, बल्कि इसे कानूनी रूप से अनुपालन योग्य भी बनाएगा।
ई-बीजी के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
- पूरी तरह से सुरक्षित और छेड़छाड़-रोधी दस्तावेज़
- पारंपरिक बीजी की तुलना में कुछ दिनों के बजाय कुछ ही मिनटों में प्रक्रिया पूर्ण
- डिजिटल मोड के माध्यम से जारी और नवीनीकरण, आह्वान जैसी सभी जीवनचक्र घटनाओं का प्रबंधन
- पेपरलेस और पर्यावरण अनुकूल प्रक्रिया
- केंद्रीय भंडार के माध्यम से सरल और त्वरित सत्यापन
डेटा सुरक्षा और कानूनी अनुपालन पर विशेष ध्यान
एनईजीडी और एनईएसएल ने इस साझेदारी के माध्यम से डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। दोनों संस्थाएं दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 सहित लागू कानूनों और डेटा गोपनीयता नियमों के सख्त अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह गठबंधन वित्तीय जानकारी के सुरक्षित आदान-प्रदान को सुनिश्चित करता है और भविष्य में डिजिटल समाधान क्षेत्र में और अधिक सहयोग एवं नवाचार के लिए एक मजबूत आधार तैयार करता है।
सरकार और व्यवसायों के बीच डिजिटल संपर्क में दक्षता
इस पहल से न केवल सरकारी संस्थानों और व्यवसायों के बीच डिजिटल संपर्क में दक्षता आएगी, बल्कि व्यवसाय-से-व्यवसाय (B2B) और सरकार-से-व्यवसाय (G2B) इंटरैक्शन में भी उल्लेखनीय सुधार होगा। इससे प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी, समय और संसाधनों की बचत होगी, और निवेशकों एवं उद्यमों के लिए वातावरण और अधिक अनुकूल बनेगा।
वरिष्ठ अधिकारियों के वक्तव्य
एनईजीडी के निदेशक श्री जे.एल. गुप्ता ने इस साझेदारी पर कहा, “हम भविष्य में एनईएसएल के साथ इस तरह के और अधिक सहयोग की उम्मीद कर रहे हैं। एनईएसएल की ई-स्टाम्प पेपर सेवा के साथ, कोई भी व्यक्ति ई-स्टाम्प पेपर खरीद सकता है और ई-हस्ताक्षर सुविधा का उपयोग करके वास्तविक समय में डिजिटल रूप से अनुबंध पर हस्ताक्षर कर सकता है। यह प्रक्रिया निर्बाध, कागज़ रहित और कानूनी रूप से वैध है।”
एनईएसएल के एमडी और सीईओ श्री देबज्योति राय चौधरी ने कहा, “एनईएसएल का ई-बीजी पारंपरिक बैंक गारंटी से जुड़ी सभी चुनौतियों का समाधान प्रदान करता है। यह सरलता से सुलभ, किफायती और सुरक्षित है। एमईआईटीवाई के साथ यह समझौता एमएसएमई जैसे हमारे उपयोगकर्ताओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगा, जो अब एंटिटी लॉकर के माध्यम से अपने ई-बीजी और अन्य सेवाओं तक आसानी से पहुंच सकते हैं।”
डिजिटल इंडिया की दिशा में एक बड़ा कदम
यह समझौता भारत के पेपरलेस शासन और डिजिटल शासन प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल दस्तावेज़ प्रबंधन की प्रक्रिया तेज़, पारदर्शी और सुरक्षित बनेगी, बल्कि यह भारत को डिजिटल युग में वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी अग्रणी स्थान दिलाने में सहायक सिद्ध होगी।
एनईजीडी और एनईएसएल के बीच यह सहयोग “डिजिटल इंडिया – सशक्त भारत” की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो आने वाले वर्षों में सरकारी सेवाओं और व्यापार प्रक्रियाओं को और अधिक सहज, कुशल और पारदर्शी बनाएगा।