उपभोक्ता कार्य विभाग ने महाराष्ट्र सरकार के सहयोग से आज (18 अप्रैल, 2023) मुंबई में ‘रियल एस्टेट क्षेत्र से संबंधित शिकायतों का प्रभावी ढंग से निवारण कैसे करें’ विषय पर एक गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया। इस बैठक में सरकारी अधिकारियों, दिल्ली के रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष, महाराष्ट्र रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, आईबीबीआई के अधिकारियों, कानूनी विशेषज्ञों, उद्योग जगत के अग्रणियों तथा उपभोक्ता अधिकार संरक्षण कार्यकर्ताओं सहित हितधारकों के एक विविध समूह ने भाग लिया, जो रियल एस्टेट क्षेत्र में घर खरीदारों और भवन निर्माताओं के सामने आने वाले प्रमुख मुद्दों के लिए कार्रवाई योग्य समाधानों की तलाश करने के लिए इकठ्ठा हुए थे। सम्मेलन के दौरान अचल संपत्ति से संबंधित कई समस्याओं को शामिल किया गया था, जैसे आवास क्षेत्र में मुकदमेबाजी को कम करने के लिए प्रणालीयुक्त नीतिगत हस्तक्षेप, विशेष रूप से आवासन क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं के लिए रेरा जैसे अलग-अलग प्राधिकरणों के होने के बावजूद उपभोक्ता आयोगों के समक्ष दायर मामलों की उच्च संख्या और आवास क्षेत्र से सम्बन्धित मुद्दों का प्रभावी तथा समय पर समाधान सुनिश्चित करना।
भारत सरकार के उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने अपने संबोधन में विभिन्न उपभोक्ता आयोगों में दाखिल किये गए आवास क्षेत्र में लंबित मामलों की आश्चर्यजनक संख्या का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में समाधान की प्रतीक्षा कर रहे 5.5 लाख से अधिक मामलों में से 54,000 से अधिक केस आवास क्षेत्र से ही संबंधित हैं। घर संबंधी समस्याओं का यह बैकलॉग त्वरित न्याय प्रदान करने और घर खरीदने वालों के लिए प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के महत्व पर प्रकाश डालता है।
उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव ने इन चुनौतियों का समाधान प्राप्त करने के लिए एक सरल आदर्श क्रेता समझौते को लागू करने का सुझाव दिया, जो घर खरीदने की प्रक्रिया को कारगर बनाने और उपभोक्ताओं को संभावित दुर्व्यवहार से बचाने में मदद कर सकता है। यह समझौता घर खरीदारों तथा भवन निर्माताओं के बीच विवादों को कम करने में मदद कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि उपभोक्ताओं के पास प्रभावी, त्वरित, परेशानी मुक्त एवं सस्ते शिकायत निवारण तंत्र तक पहुंच सुनिश्चित हो।
उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के महत्व का भी जिक्र किया, जो आवास निर्माण को एक सेवा क्षेत्र के रूप में मान्यता देता है और भवन निर्माताओं को एक उत्पाद विक्रेता के रूप में वर्गीकृत करता है। इस स्वीकृति से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि घर के खरीदारों के पास उसी तरह से उपभोक्ता संरक्षण तक पहुंच प्राप्त है, जो उन्हें किसी अन्य प्रकार के उत्पाद या सेवा को खरीदते समय उपलब्ध कराई जाती है। बैठक के दौरान भारत में आवास क्षेत्र पर निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया, खासकर जब उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा और घर खरीदने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की बात आती है। उन्होंने कहा कि आदर्श खरीदार समझौते और प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र जैसे अचूक उपायों को लागू करके इन मामलों के बैकलॉग का निवारण किया जा सकता है और यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि घर के खरीदारों के साथ उचित व्यवहार किया जाए तथा संभावित दुर्व्यवहारों से उनकी हिफाजत की जाए।
भारत सरकार के उपभोक्ता कार्य विभाग में अपर सचिव निधि खरे ने एक विस्तृत प्रस्तुति के माध्यम से घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए बनाए गए विभिन्न क़ानूनों के तहत विधिक प्रावधानों के व्यापक अवलोकन को रेखांकित किया। उन्होंने रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (रेरा), उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 और दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 के तहत घर खरीदने वालों की भूमिकाओं तथा जिम्मेदारियों का वर्णन किया। इस प्रस्तुति के जरिये घर के खरीदारों द्वारा दर्ज किए गए मामलों की बढ़ती संख्या को भी प्रदर्शित किया गया। यह भी दर्शाया गया कि इन विवादों का असर घर के खरीदारों और भवन निर्माताओं दोनों पर पड़ेगा, जिससे इस क्षेत्र के भीतर एक अविश्वास पैदा होता है।
सम्मेलन के दौरान, एनसीडीआरसी के सदस्य बिनॉय कुमार ने रियल एस्टेट क्षेत्र में लेनदेन को नियंत्रित करने वाले मौलिक दस्तावेज के रूप में भवन निर्माता-खरीदार समझौते के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि खरीदार समझौते को और अधिक प्रभावशाली तथा सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुरूप बनाया जाना चाहिए, जो अंततः घर के खरीदारों द्वारा दायर किये गए मामलों की संख्या को कम करेगा।
सम्मेलन के दौरान, चर्चा के मुख्य बिंदुओं के रूप में कई महत्वपूर्ण बातें सामने आईं। उपभोक्ता आयोगों में अचल संपत्ति के मामलों की व्यापकता ने कानूनी प्रक्रिया में तेजी लाने के उद्देश्य से इसी तरह के निर्णयों का उपयोग करने और विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए सभी पार्टियों को चर्चा में शामिल होने हेतु प्रोत्साहित करने के सुझाव दिए। विवादों को हल करने में आपसी सहमति की सफलता पर जोर दिया गया, मुकदमेबाजी पर सुलह को प्राथमिकता देने में उपभोक्ता अदालतों और रेरा के बीच बेहतर सहयोग करने का आग्रह किया गया। सभी हितधारकों के बीच पारदर्शिता के आह्वान के साथ-साथ आईबीसी के तहत दिवालिया होने का विकल्प चुनने के बजाय अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने और वितरित करने के महत्व पर बल दिया गया।
भविष्य के कानूनी विवादों से बचने के लिए खरीदारों और भवन निर्माताओं के बीच बढ़ी हुई पारदर्शिता की आवश्यकता पर बल देते हुए रियल एस्टेट क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। सम्मलेन के अंत में, भवन निर्माता-क्रेता समझौते में सुधार करने के लिए सिफारिशें की गईं, जिसमें अतिरिक्त शुल्कों का खुलासा करना, समस्या निवारण प्रक्रियाओं की रूपरेखा तैयार करना, उपभोक्ताओं को परियोजना की प्रगति के बारे में अद्यतित रखने के लिए भवन निर्माताओं द्वारा कानूनी प्रक्रिया का सम्मान सुनिश्चित करना और केवल फोन कॉल के माध्यम से ही मामूली समस्याओं को हल करने की पहल को लागू करना शामिल है। इन सभी गतिविधियों का उद्देश्य रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता व उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा देना है।
इस सम्मेलन के दौरान, घर खरीदने वालों के सामने पहचानी गई प्रमुख समस्याएं इस प्रकार हैं:
- घर खरीदारों को संपत्ति के कब्जे के वितरण में देरी होना।
- घर खरीदने वालों को सम्पत्ति अधिकार में देरी के लिए कोई मुआवजा न मिलना।
- पक्षपातपूर्ण, एकतरफा और अनुचित भवन निर्माता-खरीदार समझौते।
- समझौते के अनुसार घर खरीदारों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान न किया जाना।
- घर खरीदने वालों को लुभाने के लिए भवन निर्माताओं तथा विचारों को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले लोगों द्वारा भ्रामक विज्ञापन किया जाना।
- रेरा द्वारा प्रस्तावित मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट का पालन न होना।
विचार-विमर्श के दौरान प्राप्त किये गए प्रमुख सुझाव इस प्रकार से हैं:
- क्रियान्वयन से पहले खरीदारों को मसौदा समझौता भेजना।
- समझौते के प्रथम पृष्ठ पर सक्षम अधिकारियों से प्राप्त अनुमतियों और प्रतिबंधों का स्पष्ट रूप से उल्लेख करना।
- भवन निर्माताओं को सभी आवश्यक अनुमतियां और दस्तावेज प्राप्त करने से पहले परियोजनाओं को शुरू करने से रोकना।
- सभी समझौतों में घर खरीदारों के लिए एग्जिट क्लॉज शामिल किया गया है, जो ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) या कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) प्राप्त होने तक वैध है और इससे भवन निर्माताओं द्वारा कब्जा देने की पेशकश की जाती है।
- सभी समझौतों में इकाई/अपार्टमेंट की लागत से परे अतिरिक्त शुल्कों की अनुसूची शामिल है।
- किसी भी प्राधिकरण/बैंकों से कोई बकाया नहीं होने और सक्षम अधिकारियों से सभी आवश्यक कानूनी मंजूरी तथा अनुमोदन के संबंध में अनिवार्य घोषणाओं को शामिल करने के लिए सभी समझौतों की आवश्यकता है।
- अनुचित तथा भ्रामक विज्ञापन दिये जाने पर भवन निर्माताओं और विज्ञापनकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना।
- इस मुद्दे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए राष्ट्रीय आयोग, विभिन्न राज्य उपभोक्ता आयोगों, रेरा, उपभोक्ता कार्य विभाग तथा आईबीबीआई के सदस्यों वाली एक समिति का गठन करना।
विभाग प्रस्तावित उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने, रियल एस्टेट क्षेत्र पर उनके प्रभाव की निगरानी करने और आवश्यकतानुसार जरूरी समायोजन करने के लिए अन्य संबंधित प्राधिकरणों तथा संगठनों के साथ भी सहयोग करेगा।
इसके अलावा, उपभोक्ता कार्य विभाग हितधारकों तथा जनता के साथ एक खुला संवाद जारी रखेगा, जो उन्हें उपभोक्ता आयोगों में अचल संपत्ति के मुद्दों को हल करने में हुई प्रगति के बारे में सूचित करेगा और निरंतर सुधार के लिए उनकी प्रतिक्रिया भी चाहेगा।
गोलमेज सम्मेलन का समापन विवादों को हल करने और शिकायतों को दूर करने के उद्देश्य से एक अधिक प्रभावी तथा कुशल ढांचा स्थापित करने के लिए सभी हितधारकों से सहयोग से काम करने की प्रतिबद्धता के साथ हुआ। कोई संदेह नहीं है कि इससे एक अधिक पारदर्शी तथा उपभोक्ता-अनुकूल रियल एस्टेट बाजार की ओर मार्ग प्रशस्त होगा।
अंत में, उपभोक्ता और रियल एस्टेट क्षेत्र पर गोलमेज सम्मेलन उपभोक्ता आयोगों में रियल एस्टेट मामलों के लंबित होने के दबाव वाले मुद्दे से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उपभोक्ता कार्य विभाग ने कार्रवाई योग्य समाधानों पर चर्चा करने और उनकी पहचान करने के लिए प्रमुख हितधारकों को एक मंच पर लाकर उपभोक्ता हितों की रक्षा करने तथा सभी घर खरीदारों के लिए एक निष्पक्ष, पारदर्शी एवं प्रभावशाली आवासीय बाजार सुनिश्चित करने हेतु अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है।