देश में बिहार विधानसभा चुनाव की चर्चा हो रही है। पार्टी के प्रत्याशियों के साथ – साथ निर्दलीय प्रत्याशियों की भी चर्चा जोरों पर है। हम आपको बिहार चुनाव के बहाने झारखंड के एक नौजवान के बारे में बता रहे जिन्होंने भाजपा – कांग्रेस के बाद हजारीबाग लोकसभा में तीसरा स्थान प्राप्त किया। हजारीबाग, झारखंड की लोकसभा सीट से 2024 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में संजय मेहता ने नामांकन किया। वे जब मैदान में उतरे तब उन्हें लोगों ने बहुत गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद संजय मेहता ने 10 दिनों में अपनी भाषण शैली से लोगों को प्रभावित किया। एक तरफ़ मोदी की सभाएं एक तरफ़ राहुल प्रियंका की सभाएँ हो रही थी। एक तरफ़ संजय मेहता गाँव- गाँव जा रहे थे। वे गली- गली में प्रचार कर रहे थे।

इन्होंने चुनौती का सामाना किया और पूरे चुनावी मैदान में समा बाँध दिया। उन्होंने झारखंड ही नहीं देश के राजनीतिक जगत में एक नई मिसाल कायम की। विस्थापन और भूमि अधिग्रहण की आवाज उठाकर उन्होंने जनता के दिलों में पाँच साल से जगह बनायी थी। महज 30 साल की उम्र में उन्होंने 1 लाख 57 हजार 977 वोट हासिल कर सभी को चौंका दिया। हालांकि वे चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन उनका प्रदर्शन इतना प्रभावशाली रहा कि यह हजारीबाग की राजनीतिक इतिहास में एक अध्याय बन गया। संजय मेहता पेशे से वकील हैं और उन्होंने मास कम्युनिकेशन में स्नातक एवं पीजी के बाद एलएलबी एवं एलएलएम की शिक्षा हासिल की है। संजय मेहता देश में निर्दलीय में सबसे युवा लोकसभा प्रत्याशी हैं।
आजादी के बाद हजारीबाग में निर्दलीय उम्मीदवार का रिकॉर्ड-तोड़ प्रदर्शन
आजादी के बाद से हजारीबाग लोकसभा सीट पर किसी निर्दलीय उम्मीदवार ने इतने वोट नहीं लाए जितने संजय मेहता ने हासिल किए। इस सीट का इतिहास देखें तो अधिकतर चुनावों में प्रमुख पार्टियां जैसे कांग्रेस, भाजपा और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया हावी रही हैं। संजय मेहता का 1,57,977 वोटों का आंकड़ा न केवल ऐतिहासिक है। बल्कि यह दर्शाता है कि स्थानीय मुद्दों पर आधारित अभियान कैसे मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है। संजय मेहता ने स्थानीयता और विस्थापन के मुद्दे पर चुनाव को लड़ा था।
चुनाव में भाजपा के मनीष जायसवाल ने 6.54 लाख वोटों से जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस के जय प्रकाश भाई पटेल को 3.77 लाख वोट मिले। संजय मेहता तीसरे स्थान पर रहे, लेकिन उनके वोटों ने साबित कर दिया कि निर्दलीय भी बड़े दलों को कड़ी चुनौती दे सकते हैं। इस सीट से यशवंत सिन्हा जीतकर वित्त और विदेश मंत्री बने। उनके बेटे जयंत सिंह जीतकर नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री और वित्त राज्य मंत्री बने। हज़ारीबाग़ सीट को हमेशा से झारखंड में हॉट सीट माना जाता रहा है। इस सीट में आजादी के बाद भाजपा, कांग्रेस, सीपीआई को छोड़कर कभी किसी राजनीतिक दल ने कोई खास वोट प्राप्त नहीं किया।
झारखंड के दिग्गज नेताओं से आगे निकले
संजय मेहता का प्रदर्शन इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि उन्होंने झारखंड के कई बड़े और दिग्गज नेताओं, जो लोकसभा चुनाव में उतरे थे, उनसे भी अधिक वोट हासिल किए। झारखंड की 14 लोकसभा सीटों पर अब तक कई जाने-माने चेहरों ने चुनाव लड़ा, लेकिन संजय मेहता ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उनसे बेहतर प्रदर्शन किया। पूर्व विधायक मनोज यादव, पूर्व विधायक लोकनाथ महतो, पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ये सब झारखंड के दिग्गज नेता माने जाते हैं। इन नेताओं से भी ज़्यादा मत संजय मेहता ने प्राप्त किए।
उनकी यह उपलब्धि दर्शाती है कि बिना किसी बड़े राजनीतिक दल के समर्थन के भी, सही रणनीति और जनता से जुड़ाव के बल पर एक युवा नेता कितना प्रभाव छोड़ सकता है। उनके अभियान में स्थानीय मुद्दों जैसे बेरोजगारी, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर था, जिसने मतदाताओं का ध्यान खींचा। आज भी संजय मेहता को झारखंड में काफ़ी लोकप्रियता हासिल है। वे आज भी जनता के बीच बने हुए हैं।
देशभर में निर्दलीयों में पांचवें स्थान पर
2024 के लोकसभा चुनाव में 543 लोकसभा सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा हासिल किए गए वोटों की सूची में संजय मेहता पूरे देश में पांचवें नंबर पर हैं। इस सूची में रवीन्द्र सिंह भाटी, पवन सिंह, पप्पू यादव, विशाल पाटिल जैसे दिग्गजों का नाम शामिल है।

संजय मेहता के चुनावी परिणाम को चुनाव आयोग के वेबसाइट के इस लिंक पर देखा जा सकता है: https://results.eci.gov.in/PcResultGenJune2024/candidateswise-S2714.html
यह उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि निर्दलीय उम्मीदवारों को आमतौर पर पार्टी मशीनरी और फंडिंग का सहारा नहीं मिलता। संजय मेहता बेहद साधारण घर से आते हैं। उनकी माँ आज भी खेती करती है। पिता भी बहुत साधारण पृष्ठभूमि से हैं। युवा निर्दलीयों में सबसे अधिक मत हासिल करने वालों में संजय मेहता का आंकड़ा शीर्ष पर है। उनके अभियान में स्थानीय विकास, रोजगार और शिक्षा जैसे मुद्दे प्रमुख थे, जिसने विशेष रूप से युवा मतदाताओं को प्रभावित किया।
देश के सबसे युवा निर्दलीय लोकसभा प्रत्याशी
संजय मेहता न केवल वोटों के मामले में चर्चा में हैं, बल्कि वे पूरे देश के सबसे युवा निर्दलीय लोकसभा प्रत्याशी रहे हैं। 30 साल की उम्र में चुनाव लड़ना और इतने वोट हासिल करना युवा नेतृत्व की क्षमता को दर्शाता है। लोकसभा चुनाव में न्यूनतम उम्र 25 साल है, और कई युवा उम्मीदवार उतरे, लेकिन निर्दलीय श्रेणी में संजय मेहता की उम्र और प्रदर्शन उन्हें अलग बनाता है। वे झारखंड के छोटकी बरही गांव से आते हैं और उनके पिता महादेव मेहता हैं। संजय का मानना है कि राजनीति में युवाओं की भागीदारी से ही बदलाव आएगा। इनका पैतृक घर झारखंड के उग्रवाद प्रभावित जिला चतरा में है।
संजय मेहता का यह प्रदर्शन दर्शाता है कि भारतीय लोकतंत्र में निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी जगह बना सकते हैं। भविष्य में वे क्या भूमिका निभाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा, लेकिन 2024 का चुनाव उनके लिए एक मजबूत नींव साबित हुआ है। हजारीबाग के मतदाताओं ने उन्हें जो समर्थन दिया, वह स्थानीय राजनीति में एक नई दिशा दे सकता है।