भारत के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 31 अक्टूबर 2025 को मलेशिया की राजधानी कुआला लुम्पुर में आयोजित दूसरी भारत-आसियान रक्षा मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक के दौरान आसियान सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों से मुलाकात की। यह बैठक भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच रक्षा सहयोग, सामरिक समझ और क्षेत्रीय स्थिरता को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

बैठक के दौरान आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों ने भारत की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और संतुलन बनाए रखने में निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के साथ रक्षा सहयोग को और मज़बूत करने से क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था और सामरिक साझेदारी दोनों को लाभ होगा।
भारत-आसियान रक्षा सहयोग को नई दिशा
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत-आसियान रक्षा मंत्रियों की यह दूसरी अनौपचारिक बैठक भारत और आसियान के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने का एक ऐतिहासिक अवसर प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि यह बैठक विशेष रूप से 2026-2030 के लिए आसियान-भारत कार्य योजना के रक्षा और सुरक्षा घटकों को सशक्त करने में सहायक सिद्ध होगी।
रक्षा मंत्री ने दो नई दूरदर्शी पहलें घोषित कीं:
- संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में महिलाओं पर आसियान-भारत पहल, जिसका उद्देश्य महिला शांति सैनिकों की भूमिका को बढ़ावा देना है।
- आसियान-भारत रक्षा थिंक-टैंक संपर्क पहल, जो रणनीतिक संवाद, नीतिगत सहयोग और विचार-विमर्श को प्रोत्साहित करेगी।
इन पहलों के माध्यम से भारत और आसियान देशों के बीच रक्षा सहयोग का दायरा न केवल व्यापक होगा, बल्कि यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर स्थायी शांति और सुरक्षा को भी सुदृढ़ करेगा।
आसियान देशों की भारत के प्रति प्रशंसा
मलेशिया के रक्षा मंत्री, जो इस समय एडीएमएम (ASEAN Defence Ministers’ Meeting) के अध्यक्ष हैं, ने श्री राजनाथ सिंह का स्वागत करते हुए भारत को एक “महाशक्ति” बताया। उन्होंने कहा कि साइबर और डिजिटल रक्षा, रक्षा उद्योग तथा नवाचार के क्षेत्रों में भारत के साथ संबंधों को मजबूत करके आसियान को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा। उन्होंने भारत की आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन क्षमता और तकनीकी अनुसंधान प्रणाली की सराहना की और कहा कि आसियान देश भारत के अनुभव से लाभान्वित हो सकते हैं।

फिलीपींस के रक्षा मंत्री ने भी भारत को एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति बताते हुए अंतर्राष्ट्रीय कानून और बहुपक्षवाद के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) का पालन करते हुए क्षेत्रीय देशों के लिए एक आदर्श स्थापित किया है। फिलीपींस के रक्षा मंत्री ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की “प्रथम प्रतिक्रियादाता” (First Responder) की भूमिका की भी सराहना की और आगामी भारत-आसियान समुद्री अभ्यास में पूर्ण समर्थन व्यक्त किया।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone) में भारत के साथ होने वाली आगामी संयुक्त सहकारी गतिविधि दोनों देशों के सामरिक हितों को सुदृढ़ करेगी।
कंबोडिया के रक्षा मंत्री ने भारत के उदय और वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों, मानवीय सहायता (HMA) और सैन्य चिकित्सा प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
आसियान देशों का भरोसा और समर्थन
सिंगापुर के रक्षा मंत्री ने कहा कि आसियान को इस बात पर पूरा भरोसा है कि भारत इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा। उन्होंने भारत और आसियान के बीच युवा पीढ़ी के स्तर पर अधिक संवाद, संयुक्त अभ्यास और नीतिगत विचार-विमर्श बढ़ाने का सुझाव दिया, ताकि यह सहयोग आने वाली पीढ़ियों के लिए और गहरा हो सके।
थाईलैंड के रक्षा मंत्री ने कहा कि आसियान देशों को भारत के रक्षा उद्योग, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान प्रणाली से लाभ होगा। उन्होंने क्षेत्रीय स्तर पर ‘आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन’ को बढ़ावा देने का आह्वान किया, ताकि आसियान देश सामूहिक रूप से रक्षा क्षेत्र में अधिक स्वावलंबी बन सकें।
भारत-आसियान संबंधों में नई ऊर्जा
आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों ने भारत की नई पहलों का स्वागत करते हुए कहा कि वे भारत के साथ रक्षा, प्रौद्योगिकी और सामरिक सहयोग को और आगे बढ़ाना चाहते हैं। सभी मंत्रियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि भारत-आसियान रणनीतिक साझेदारी केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और विकास के लिए भी आवश्यक है।