देश के इस्पात क्षेत्र के लिए एक सुदृढ़ और भविष्य-उन्मुख कार्य-योजना तैयार करने के उद्देश्य से आज भुवनेश्वर स्थित मेफेयर कन्वेंशन में दो-दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर का शुभारंभ हुआ। उद्घाटन केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी ने किया। यह आयोजन भारतीय इस्पात उद्योग के तेजी से विकसित होते परिदृश्य, उसकी चुनौतियों, अवसरों और दीर्घकालिक रणनीतियों पर एक व्यापक संवाद का मंच प्रदान कर रहा है।

उद्घाटन सत्र में इस्पात राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा, ओडिशा सरकार के उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) श्री हेमंत शर्मा तथा इस्पात मंत्रालय के सचिव श्री संदीप पौंड्रिक सहित मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त सेल, एनएमडीसी, मॉयल, मेकॉन, एमएसटीसी जैसे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) के प्रमुख, आईएनएसडीएजी, आईएससीए, बीआईएसएजी के विशेषज्ञ तथा टाटा स्टील और जेएसडब्ल्यू सहित निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने भी इसमें सक्रिय भागीदारी दर्ज कराई।
प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरित विकास पथ
अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री श्री कुमारस्वामी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के रणनीतिक नेतृत्व के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की नीतियों ने देश के इस्पात क्षेत्र को लचीलेपन और विकास के नए आयाम प्रदान किए हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में इस्पात उद्योग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह क्षेत्र भारत की आर्थिक संरचना को मजबूती प्रदान करता है। मंत्री ने तकनीकी उन्नयन, आयात-निर्भरता में कमी तथा क्षमता संवर्धन को सरकार की प्राथमिकताओं में बताया।
उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और डिजिटलीकरण जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रतिस्पर्धात्मकता और परिचालन उत्कृष्टता को बढ़ाने के लिए नवाचार अनिवार्य है। उन्होंने अनुसंधान एवं विकास में निरंतर निवेश को आवश्यक बताते हुए कहा कि सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयास भारतीय इस्पात क्षेत्र को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाएंगे।

बुनियादी ढांचे और राष्ट्रीय विकास में इस्पात की भूमिका
इस अवसर पर इस्पात राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने कहा कि देश के बुनियादी ढांचे के निर्माण में इस्पात एक मूलभूत घटक है। उन्होंने कहा कि चिंतन शिविर के सभी विषय इस उद्देश्य के अनुरूप तैयार किए गए हैं कि इस्पात उद्योग को मजबूत किया जा सके और राष्ट्रीय विकास में इसका योगदान बढ़ाया जा सके।
ओडिशा सरकार के एसीएस श्री हेमंत शर्मा ने राज्य के खनिज संसाधनों और तटीय भौगोलिक स्थिति को ओडिशा की विशेष ताकत बताते हुए कहा कि ये परिस्थितियां इस्पात समेत कई उद्योगों के विकास के लिए इसे एक आदर्श स्थान बनाती हैं।
क्षेत्र की चुनौतियों, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर फोकस
इस्पात मंत्रालय के सचिव श्री संदीप पौंड्रिक ने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप इस्पात क्षेत्र के विकास, उसकी चुनौतियों और भविष्य की दिशा पर विस्तृत विचार-विमर्श के लिए ऐसे मंचों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की संयुक्त भागीदारी को बेहतर प्रथाओं के आदान–प्रदान के लिए आवश्यक बताया।
उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे पर बढ़ते सरकारी खर्च ने देश में इस्पात की खपत को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया है। सचिव ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि इन पहलों का नेतृत्व आंतरिक प्रतिभाओं द्वारा किया जाना चाहिए। इसी उद्देश्य से युवा अधिकारियों के लिए एक आंतरिक प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागियों को अपने अभिनव विचार प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया गया।
चिंतन शिविर के पहले दिन के प्रमुख सत्र
शिविर के प्रथम दिवस में तकनीक-संचालित नवाचार, परिचालन उत्कृष्टता, स्वदेशी प्रौद्योगिकियों, आधुनिक खनन विधियों, बुनियादी ढांचे के उन्नयन और क्षमता विस्तार से संबंधित सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में नीति-निर्माताओं, उद्योग नेतृत्व और तकनीकी विशेषज्ञों ने इस्पात क्षेत्र की वर्तमान स्थिति, भावी आवश्यकताओं और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखकर व्यापक चर्चा की।
विचार-विमर्श का मुख्य उद्देश्य एक ऐसी रणनीतिक रूपरेखा तैयार करना है जो भारतीय इस्पात उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाते हुए देश की औद्योगिक प्रगति को नई दिशा प्रदान कर सके।
दूसरे दिन दीर्घकालिक रणनीतियों पर होगी चर्चा
चिंतन शिविर का दूसरा दिन दीर्घकालिक रणनीतियों, बहुहितधारक सहयोग और कार्यान्वयन योग्य क्रियान्वयन योजनाओं पर केंद्रित रहेगा। इसमें चर्चा की जाएगी कि कैसे इस्पात उद्योग देश की आर्थिक वृद्धि, औद्योगिक उन्नति और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।