भारतीय सिनेमा जगत अपने सबसे प्रिय, सम्मानित और प्रतिष्ठित अभिनेताओं में से एक स्वर्गीय श्री धर्मेंद्र के निधन पर शोकाकुल है। सोमवार, 24 सितंबर 2025 को उनके दिवंगत होने से संपूर्ण राष्ट्र स्तब्ध रह गया और फिल्म जगत की भावनाओं को भी गहरी चोट पहुँची। 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में भी उनके सम्मान में आयोजित श्रद्धांजलि सत्र के दौरान शोक और स्मृति के भावों से भरा हुआ वातावरण दिखाई दिया।

इस अवसर पर प्रसिद्ध फिल्म निर्माता राहुल रवैल ने स्वर्गीय श्री धर्मेंद्र को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस महान कलाकार के साथ बिताए पलों को याद करते हुए उन्हें न सिर्फ एक सितारा, बल्कि एक महान इंसान और प्रेरक व्यक्तित्व बताया। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे इस दुख की घड़ी में धर्मेंद्र जी के परिवार के असहनीय दुःख को साझा करें और उनके अविस्मरणीय जीवन और योगदान को स्मरण करें।
सिनेमाई समर्पण और अद्वितीय पेशेवर अनुशासन
राहुल रवैल ने चर्चा करते हुए राज कपूर की मशहूर फ़िल्म “मेरा नाम जोकर” के दौरान अपने सहायक निर्देशक के दिनों को याद किया। उन्होंने बताया कि स्वर्गीय श्री धर्मेंद्र ने इसमें ट्रैपीज़ कलाकार महेंद्र कुमार की भूमिका अद्भुत समर्पण के साथ निभाई थी। उनके कार्यशैली का उदाहरण देते हुए उन्होंने साझा किया कि धर्मेंद्र जी लगभग एक महीने तक प्रत्येक शाम दिल्ली आते, रातभर शूटिंग करते और सुबह मुंबई लौटकर अपनी दूसरी फ़िल्म “आदमी और इंसान” की शूटिंग जारी रखते।
रवैल ने कहा कि यह अत्यंत थकाऊ और चुनौतीपूर्ण शेड्यूल था, किंतु धर्मेंद्र जी ने इसे अनुशासन और प्रतिबद्धता के साथ निभाया।
विरासत और पिता का गौरव
आगे अपने वक्तव्य में राहुल रवैल ने फ़िल्म “बेताब” के निर्माण काल को स्मरण किया। यह श्री धर्मेंद्र के पुत्र सनी देओल की पहली फ़िल्म थी। उन्होंने बताया कि कश्मीर में फिल्मांकन के दौरान धर्मेंद्र जी की एक झलक पाने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ती थी, जो उनके अपार लोकप्रियता और जन-स्नेह का प्रमाण था। फिल्म रिलीज़ होने के बाद धर्मेंद्र जी अक्सर बांद्रा के प्रसिद्ध ‘गेयटी सिनेमा’ में दर्शकदीर्घा में बैठे दिखाई देते और हर शाम अपने बेटे की पहली फ़िल्म देखने आते। इसके बाद वे निर्देशक राहुल रवैल के घर जाकर उतनी ही उत्सुकता से फिल्म पर चर्चा करते मानो उन्होंने फ़िल्म पहली बार देखी हो।
उन्होंने गर्व सहित कहा कि धर्मेंद्र जी की संतानें उनके द्वारा स्थापित गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। यह उस व्यक्तित्व की छाप है, जिसने न सिर्फ एक कलाकार के रूप में ऊँचाई प्राप्त की बल्कि अपने परिवार, उद्योग और दर्शकों के लिए समान रूप से प्रेरणा बने।
मानवीय संबंधों का अद्वितीय सेतु
श्रद्धांजलि समारोह के दौरान राहुल रवैल भावुक होकर बोले, “धरम जी उन लोगों में से थे जिनके जीवन का उद्देश्य लोगों को खुशी देना रहा। वे सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक आत्मीय व्यक्तित्व थे।”
उन्होंने दिल्ली के एक पुलिस अधिकारी का प्रसंग भी साझा किया, जो धर्मेंद्र जी से मिलने का वर्षों से सपना देखता रहा। उस अधिकारी के लिए यह पता चलना कि धर्मेंद्र जी अब नहीं रहे, एक व्यक्तिगत क्षति जैसा था। उसने सनी देओल से भेंट कर अपनी संवेदना व्यक्त करने की इच्छा जताई। रवैल ने कहा, “यही उनकी असली ताकत थी— वे सीधे लोगों के दिलों तक पहुँचते थे।”
पितातुल्य सहारा और निर्माताओं के निर्माता
राहुल रवैल ने यह भी बताया कि धर्मेंद्र जी उनके लिए पितातुल्य थे जिन्होंने उनके पूरे फिल्मी करियर में प्रत्येक कदम पर सहयोग और प्रोत्साहन दिया। उन्होंने बताया कि धर्मेंद्र जी न सिर्फ एक सफल अभिनेता थे बल्कि एक सूझबूझ वाले निर्माता भी रहे, जिनकी दृष्टि भविष्यवादी थी और जिनकी सोच कभी सीमित नहीं रही।
एक युग का अंत, लेकिन स्मृति अमर
अपने समापन शब्दों में रवैल ने कहा, “हमने एक महान इंसान खो दिया है। हम भाग्यशाली हैं कि हम उस युग में रहे जब धरम जी जैसे दिग्गज कलाकार हमारे साथ काम कर रहे थे।” उन्होंने आईएफएफआई आयोजकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि धर्मेंद्र की स्मृति में आयोजित यह श्रद्धांजलि समारोह वास्तव में भारतीय सिनेमा की सामूहिक भावनाओं का प्रतीक है।