मानवता से ओतप्रोत”रक्तदान महादान”

14 जून विश्व रक्तदाता दिवस पर विशेष-

सुरेश सिंह बैस "शाश्वत"
सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”

    विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है। मुझे इस विषय पर लिखते लिखते अकस्मात ही अभी हाल में ही भीषण रेल दुर्घटना जो उड़ीसा के बालासोर में घटित हुई।  यह त्रासद ट्रेन दुर्घटना अकस्मात मस्तिष्क में कौंध गई।  हालांकि यह बहुत ही दु:खद और मानवीय त्रासदी थी। दुर्घटना के बारे में देख सुनकर मन बहुत ही व्यथित था। लेकिन मैंने जब टीवी और अखबारों में देखा मानवीयता और करुणा के प्रतिमूर्ति रूप में दुर्घटनाग्रस्त रेल के यात्रियों को स्थानीय लोगों ने तत्काल और त्वरित सहायता पहुंचाने के लिए जिसको जहां मिला वही बचाव कार्य और सहायता कार्य के लिए दौड़ पड़ा। लोगों में होड़ लगी थी दुर्घटना ग्रसित यात्रियों को बचाने की। फिर देखा लंबी कतारें अपना रक्तदान करने के लिए लगी हुई थी। इन रक्तदाताओं का कहना था कि कोई भी यात्री रक्त की कमी से मौत के मुंह में ना जा सके। इसलिए जितनी भी रक्त की आवश्यकता होगी, देने को हर व्यक्ति आतुर – तत्पर था। यह देखकर मुझे बड़ा सुखद एहसास हुआ। शोक संतप्त मन को यह देखकर बड़ा ही सुकून मिला कि आज भी मानव और मानवता का संबंध उतना ही अटूट है। मनुष्य तो हमेशा ही मानवता और करुणा के साथ है। यह इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मैंने देखा। मैं इन स्वप्रेरित बचाव और सहायता करने वाले देवता तुल्य लोगों को सैल्यूट करता हूं। जिनके कारण कई घायल यात्री और मौत के मुंह में जाते यात्रियों की जान सलामत बच सकी।

    अब रक्तदान के जरिए लोगों की जान बचाने के लिए जागरुकता फैलाने के लिए इसे प्रतिष्ठित किया जा रहा है। हर साल दुनिया भर में लाखों लोग रक्त और प्लाज्मा दान करने का निर्णय लेते हैं; यही कारण है कि इसे विश्व रक्तदाता दिवस कहा गया है। हर साल विश्व रक्तदाता दिवस जैसे रक्तदान कार्यक्रमों में लोग क्यों हिस्सा लेते हैं? इसके कई कारण हैं। सबसे पहले, यह कई लोगों के जीवन को बचाने का एक तरीका है, जो बीमारियों और स्थितियों से प्रभावित हैं। इसके अलावा, रक्तदान करने से ये रोगी अपना चिकित्सा उपचार जारी रख सकेंगे, जिससे उन्हें बीमारी से बचने के बेहतर मौके मिलेंगे। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें अपनी दवाओं या दवाओं को छोड़ना होगा अगर वे उन्हें लेने में असहज महसूस करते हैं तो वे हमेशा उनसे पीछे हटने का विकल्प चुन सकते हैं।

2004 में विश्व रक्तदाता दिवस को पहली बार डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रतिष्ठित किया गया था।  58वीं विश्व स्वास्थ्य सभा, 2005 में इसे रक्तदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक वार्षिक वैश्विक कार्यक्रम के रूप में घोषित किया गया था। कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिन को विश्व रक्तदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है, वह ऑस्ट्रियाई अमेरिकी इम्यूनोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट और 1930 में एबीओ रक्त समूह प्रणाली और आधुनिक रक्त आधान के विकास और खोज के कारण नोबेल पुरस्कार विजेता थे।विश्व रक्त दाता दिवस की स्थापना दुनिया के विभिन्न हिस्सों के लोगों को एक साथ लाने के लिए की गई थी, जिनका समान हित है ।    

      कोरोना वायरस, एचआईवी / एड्स, हेपेटाइटिस आदि जैसी बीमारियों से प्रभावित पुरुषों और महिलाओं के जीवन को बचाना। इस दिन, दुनिया के विभिन्न देशों से पुरुषों और महिलाओं सहित स्वयंसेवक, जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए रक्त और प्लाज्मा दान करते हैं।  यदि आप उन लोगों में से एक हैं जो मदद करना चाहते हैं और रक्त दान और प्लाज्मा दान में भाग लेने का समय नहीं पा सकते हैं, तो आप अपना रक्त साझा करके इसकी भरपाई कर सकते हैं। विश्व रक्तदाता दिवस के दौरान अन्य लोगों की मदद करने का यह सबसे आसान तरीका है।रक्तदान का महत्व न केवल जीवन से वंचित हजारों लोगों के जीवन को बचाने के लिए है, बल्कि कई अन्य लोगों के जीवन को बचाने के लिए भी है जो विभिन्न बीमारियों से प्रभावित हैं और उन्हें कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।

       यह भी देखा गया है कि जब लोगों ने अपना रक्तदान किया है, तो उन्हें कई स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हुए हैं। अधिकांश लोग जो अपना रक्त दान करते हैं वे अपनी बीमारियों से तेजी से ठीक हो जाते हैं और लंबा जीवन भी जीते हैं, यह वजन घटाने में भी मदद करता है, स्वस्थ यकृत और लोहे के स्तर को बनाए रखने में, दिल के दौरे और कैंसर के जोखिम को कम करता है।

    हम आपकी रक्तदान से जुड़ीं भ्रांतियों को दूर करते हैं और इस महादान से संबंधित जरूरी बाते आपको बताते हैं –  एक औसत व्यक्ति के शरीर में दस यूनिट यानी (5-6 लीटर) रक्त होता है। रक्तदान करते हुए डोनर के शरीर से केवल एक यूनिट रक्त ही लिया जाता है। कई बार केवल एक कार एक्सीडेंट (दुर्घटना) में ही, चोटील व्यक्ति को सौ यूनिट तक के रक्त की जरूरत पड़ जाती है। एक बार रक्तदान से आप तीन लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं। भारत में सिर्फ सात प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्रुप ‘O नेगेटिव’ है। ‘O नेगेटिव’ ब्लड ग्रुप यूनिवर्सल डोनर कहलाता है, इसे किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को दिया जा सकता है। इमरजेंसी के समय जैसे जब किसी नवजात बालक या अन्य को खून की आवश्यकता हो और उसका ब्लड ग्रुप ना पता हो, तब उसे ‘O नेगेटिव’ ब्लड दिया जा सकता है। ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया काफी सरल होती है और रक्त दाता को आमतौर पर इसमें कोई तकलिफ नहीं होती हैं।कोई व्यक्ति 18 से 60 वर्ष की आयु तक रक्तदान कर सकता हैं।रक्त दाता का वजन, पल्स रेट, ब्लड प्रेशर, बॉडी टेम्परेचर आदि चीजों के सामान्य पाए जाने पर ही डॉक्टर्स या ब्लड डोनेशन टीम के सदस्य आपका ब्लड लेते हैं।पुरुष 3 महीने और महिलाएं 4 महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान कर सकती हैं। हर कोई रक्तदान नहीं कर सकता। यदि आप स्वस्थ हैं, आपको किसी प्रकार का बुखार या बीमारी नहीं हैं, तो ही आप रक्तदान कर सकते हैं। अगर कभी रक्तदान के बाद आपको चक्कर आना, पसीना थे वो आना, वजन कम होना या किसी भी अन्य प्रकार की समस्या लंबे समय तक बनी हुई हो तो आप रक्तदान ना करें।

   – सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”

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