जी-20 देशों की डिजिटल अर्थव्यवस्था कार्य समूह (डीआईडबल्यूजी) की तीसरी बैठक आज वैश्विक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) शिखर सम्मेलन और वैश्विक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) प्रदर्शनी के उद्घाटन के साथ शुरू हुई। इस बैठक का उद्घाटन केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना उद्यमिता राज्य मंत्री और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री, श्री राजीव चंद्रशेखर ने 9 देशों अर्थात् सूरीनाम, आर्मेनिया, सिएरा लियोन, तंजानिया, एंटीगुआ और बारबुडा, केन्या, श्रीलंका, मलावी और त्रिनिदाद और टोबैगो के माननीय मंत्रियों की उपस्थिति में किया।
जी-20 डिजिटल अर्थव्यवस्था कार्य समूह (डीआईडबल्यूजी) के अध्यक्ष और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री अलकेश कुमार शर्मा ने उद्घाटन सत्र में प्रतिनिधियों का स्वागत किया और 3 दिनों में इस आयोजन की कार्यवाही की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने विशेष रूप से डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) से संबंधित एक भविष्य गठबंधन, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना भंडार, साइबर शिक्षा पर टूलकिट और बच्चों और युवाओं की साइबर जागरूकता, राष्ट्रीय कौशल ढांचे पर वर्चुअल उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) पर बल दिया। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री, श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि डीपीआई एक ढांचा नहीं है, जो सभी मॉडल में फिट बैठता है। देश और लोगों के उपयोग करने के लिए, यह वास्तव में खुले स्रोत और साझेदारी की शक्ति और अभिनव डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) प्लेटफॉर्म बनाने में सहयोग करने के बारे में है। उन्होंने इस दशक को ‘टेकएड’ बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) की सफलता के लिए एक परीक्षण का मामला है और दुनिया भर के देश डिजिटल परिवर्तन के लिए भारत की ओर देख सकते हैं। श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि भारत ने तीन देशों आर्मेनिया, सिएरा लियोन और सूरीनाम के साथ भारत स्टैक यानी जनसांख्यिकी पैमाने पर किए जा रहे सफल डिजिटल समाधानो साझा करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
‘डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) का अवलोकन‘ शीर्षक वाली पैनल चर्चा की अध्यक्षता एंटीगुआ और बारबुडा के मंत्री श्री मेलफोर्ड वाल्टर फिट्जगेराल्ड निकोलस ने की और इस सत्र का संचालन एनईजीडी के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्री अभिषेक सिंह, द्वारा किया गया। इस सत्र के दौरान वक्ताओं में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री सुशील पाल और जी-20 डिजिटल अर्थव्यवस्था कार्य समूह के भारत के सह-अध्यक्ष, डॉ. आर.एस. शर्मा, अध्यक्ष, जीएसडीपीडीसी, श्री एस गोपालकृष्णन, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एनएचए, श्री प्रभात कुमार, विशेष सचिव, विदेश मंत्रालय और सुश्री क्रिस्टीन मार्टिन मायर, निदेशक, डिजिटल पब्लिक गुड्स चार्टर और सुश्री कीज़ोम न्गोडुप मासली, डिजिटल प्रोग्राम्स की प्रमुख, यूएनडीपी शामिल थे। इस सत्र में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के सामान्य सिद्धांतों और डिजाइन, जैसे खुले मानक, खुली वास्तुकला, साझेदारी, डिजिटल ईको-सिस्टम, अंतर-संचालनीयता, कम लागत और अधिक भरोसे के समाधान और विभिन्न देशों और संयुक्त राष्ट्र की पहल पर चर्चा हुई।
‘लोगों को सशक्त बनाने के लिए डिजिटल पहचान‘ शीर्षक वाली पैनल चर्चा की अध्यक्षता केन्या के कैबिनेट सचिव श्री एलिउड ओकेच ओवालो ने की और सत्र का संचालन भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री रूपिंदर सिंह ने किया। इस सत्रह के दौरान वक्ताओं में श्री जोनाथन मार्सकेल, विश्व बैंक, श्री विवेक राघवन, एकस्टेप में मुख्य आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस इवेंजलिस्ट, श्री रेने सी. मेंडोज़ा, सहायक राष्ट्रीय एसएस और आईएसएस, फिलीपीन, सुश्री बारबरा उबाल्दी, ओईसीडी शामिल थे। चर्चाओं में डिजिटल पहचान को डिजिटल परिवर्तन की नींव, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और सामाजिक सामंजस्य के आधार पर बल दिया गया। कार्यान्वयन के विभिन्न मॉडल जैसे, केंद्रीकृत, संघीय और विकेंद्रीकृत शामिल थे। भारत के आधार और फिलीपीन के फिलिस पर विस्तार से चर्चा हुई।
‘डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन‘ शीर्षक वाली पैनल चर्चा की अध्यक्षता श्री मोहम्मद खामिस अब्दुल्ला, स्थायी सचिव, तंजानिया ने की और सत्र का संचालन श्री दिलीप अस्बे, प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने किया। इस सत्र के वक्ताओं में श्री पवन बख्शी, इंडिया लीड, फाइनेंशियल सर्विसेज फॉर द पूअर, बीएमजीएफ, सुश्री नीलिमा रामटेके, वरिष्ठ वित्तीय क्षेत्र विशेषज्ञ, विश्व बैंक और सुश्री प्रेरणा सक्सेना, एशिया क्षेत्रीय प्रमुख, यूएनसीडीएफ शामिल थे। मुख्य चर्चा बिंदुओं में तेजी से भुगतान, निपटान के प्रकार (वास्तविक समय, आवधिक, हाइब्रिड), जोखिम प्रबंधन, उपयोगकर्ता ऑनबोर्डिंग आदि के लिए लागत मॉडल और सबसे महत्वपूर्ण रूप से वित्तीय समावेशन और डिजिटल भुगतान पर डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) का उपयोग करके वित्तीय अंतर को कम करना शामिल था।
दिन की अंतिम पैनल चर्चा ‘न्यायिक प्रणालियों और विनियमों के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई)’ पर आयोजित की गई थी, जिसकी अध्यक्षता त्रिनिदाद और टोबैगो के अध्यक्ष (उपाध्यक्ष रैंक) श्री मार्क रामकेरीसिंह ने की थी। सत्र का संचालन श्री सूर्य प्रकाश बी.एस., फेलो और कार्यक्रम निदेशक, दक्ष इंडिया द्वारा किया गया था। इस सत्रह के वक्ताओं में श्री एस.के.जी रहाटे, सचिव, न्याय विभाग, भारत सरकार, श्री आशीष जे. शिराधोंकर, रजिस्ट्रार, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, सुश्री आर. अरुलमोझीसेल्वी, जिला न्यायाधीश, जीई और डॉ. मारियाग्राज़िया स्क्वीसिआरिनी, सामाजिक नीतियों के निदेशक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सामाजिक और मानव विज्ञान क्षेत्र, यूनेस्को, फ्रांस शामिल थे। सत्र के मुख्य आकर्षण में ई-कोर्ट, ई-फाइलिंग, पेपरलेस कोर्ट, अदालतों में लाइव स्ट्रीमिंग आदि की मुख्य विशेषताएं शामिल थीं। डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई)-संवर्धित न्यायपालिका प्रणाली में विश्वास बढ़ाने के लिए सही संस्थानों और विनियमों की आवश्यकता है, आम तौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा संचालित पर बल दिया गया था।
वैश्विक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) प्रदर्शनी में डिजिटल पहचान, तेज़ी से भुगतान, डिजिलॉकर, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, ई-राष्ट्रीय कृषि बाज़ार, न्यू-एज गवर्नेंस के लिए एकीकृत मोबाइल ऐप, डिजिटल विपणन के लिए ओपन नेटवर्क, एनामॉर्फिक एक्सपीरियंस, एयरपोर्ट पर निर्बाध यात्रा अनुभव, भाषा अनुवाद, शिक्षण समाधान, टेली-मेडिकल परामर्श अनुभव और डिजिटल इंडिया जर्नी का गेमिफिकेशन पर 14 अनुभव क्षेत्र प्रदर्शित किए गए।
कल डिजिटल अर्थव्यवस्था कार्य समूह की तीसरी बैठक बंद कमरे में होगी। वैश्विक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) सम्मेलन में डेटा विनिमय, प्रमुख सार्वजनिक अवसंरचना, डिजिटल शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य, जलवायु कार्रवाई, कृषि इको-सिस्टम और वैश्विक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) इको-सिस्टम के निर्माण से जुड़े 6 महत्वपूर्ण सत्र होंगे।