दिल से जुड़ी बीमारियों के प्रति लोगों को किया जागरूक

दिल का साइज बढ़ जाना है, काफी घातक

डॉ. रजनीश मल्होत्रा

वाराणसी : अलग-अलग रिपोर्ट व स्टडीज के मुताबिक, पूरी दुनिया में भारत में सबसे ज्यादा कार्डियोवैस्कुलर डिसीज (सीएडी) हैं. वहीं, अगर भारत की तुलना पश्चिमी देशों से की जाए भारत में ये संख्या लगभग 2 से 3 गुना ज्यादा है. हालांकि, एक अच्छी चीज ये है कि कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में एडवांस उपकरण आने से इसके केस में गिरावट आना स्टार्ट हुई है. पिछले कुछ वक्त में हार्ट से जुड़ी बीमारियों के मामलों में वृद्धि देखी गई है. इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल साकेत ने एक अवेयरनेस सेशन आयोजित किया ताकि लोगों को दिल से जुड़ी दिक्कतों के उपलब्ध इलाज के बारे में समझाया जा सके. दिल से जुड़ी बीमारियों के मामले में अगर डायग्नोज समय पर हो जाए और सही इलाज मिल जाए तो इनसे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. लेकिन लोगों में इससे जुड़ी जानकारियों का अभाव एक बड़ी चिंता की बात है. खासकर दिल का साइज बढ़ (कार्डियोमेगाली) जाने वाले मामले को लेकर लोगों को ज्यादा अवेयर करने की आवश्यकता है.

मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल साकेत में कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग के प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. रजनीश मल्होत्रा ने कार्डियोमेगाली के बारे में बात करते हुए कहा, जब दिल का साइज बढ़ जाता है, तो वो शरीर के दूसरे हिस्सों में अच्छे तरीके से ब्लड सप्लाई नहीं कर पाता है. इसकी वजह से दिल से जुड़ी दूसरी दिक्कतें भी होने लगती हैं, हार्ट फेल या हार्ट स्ट्रोक का खतरा रहता है. हालांकि, बढ़े हुए दिल के मामले में कुछ मरीजों को किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन कुछ लोगों को सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, दिल तेजी से धड़कना, एरिथमिया (दिल की धड़कन सही न होना) और बेचौनी जैसे लक्षण महसूस होते हैं. दिल का साइज बढ़ जाने के कई कारण होते हैं. जब किसी को कोरोनरी आर्टरी डिसीज हो, हार्ट वाल्व डिसीज हो, कार्डियोमायोपैथी हो, हार्ट अटैक, पल्मोनरी हाइपरटेंशन और हार्ट इंफेक्शन जैसी समस्याओं के कारण दिल का साइज बढ़ जाता है. कुछ मामलों में जेनेटिक कारणों से भी दिल का साइज बड़ा हो जाता है.
कार्डियोमेगाली में कई तरह के ट्रीटमेंट किए जाते हैं. हार्ट बीट को संतुलित करने के लिए मेडिकल डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है, हार्ट वाल्व सर्जरी की जाती है, कोरोनरी बाईपास सर्जरी, लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस और हार्ट ट्रांसप्लांट जैसे ट्रीटमेंट किए जाते हैं, ताकि हार्ट को उसके ओरिजिनल साइज में लाया जा सके और वो प्रॉपर तरीके से फंक्शन कर सके. चेस्ट का एक्स-रे, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, इकोकार्डियोग्राम, कार्डियक सीटी या मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) की मदद से कार्डियोमेगाली का जल्दी पता लगाया जा सकता है. इससे मरीज को काफी लाभ मिलने की संभावना रहती है. डॉ.रजनीश मल्होत्रा ने अपने बयान में ये भी बताया कि जेनेटिक प्रॉब्लम के कुछ मामलों में बीमारी को खत्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन काफी लोग खुद को दिल से जुड़ी बीमारियों से बचा सकते हैं.

इसके लिए लोगों को हार्ट को स्वस्थ रखने वाली चीजें खानी चाहिए, फल-सब्जियां खाएं, मछली खाएं, कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट खाएं, अनाज खाएं. इसके साथ ही ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल लेवल लगातार चेक कराते रहें. तंबाकू व शराब का सेवन न करें, साथ ही अन्य गलत आदतों को भी दूर करें.

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