केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज हरियाणा के गुरूग्राम में NFTs, AI और Metaverse के युग में अपराध और सुरक्षा पर G-20 सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया

-केन्द्रीय गृह मंत्री ने तेजी से जुड़ रही दुनिया में साइबर रेज़िलिएन्स स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया-

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज हरियाणा के गुरूग्राम में NFTs, AI और Metaverse के युग में अपराध और सुरक्षा पर G-20 सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। उद्घाटन सत्र में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा, केन्द्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर और केन्द्रीय गृह सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

इस दो दिवसीय सम्मेलन में G20 देशों, 9 विशेष आमंत्रित देशों, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं, प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी लोगों, भारत और दुनियाभर के डोमेन विशेषज्ञों सहित 900 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।

अपने संबोधन की शुरूआत में केन्द्रीय गृह मंत्री ने तेजी से जुड़ रही दुनिया में साइबर रेज़िलिएन्स स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “इस वर्ष भारत G-20 की अध्यक्षता कर रहा है और भारत का G-20 अध्‍यक्षता का विषय – “वसुधैव कुटुम्बकम्” अर्थात “वन अर्थ – वन फैमिली – वन फ्यूचर” है, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।” उन्होंने कहा कि “यह वाक्य शायद आज की ‘डिजिटल दुनिया’ के लिए सबसे अधिक प्रासंगिक है।”

-मोदी जी ने टेक्नोलॉजी के humane aspect पर जोर दिया है, टेक्नोलॉजी के उपयोग में ‘compassion’ और ‘sensitivity’ सुनिश्चित करने के लिए “Internet of Things” को ‘Emotions of Things’ के साथ जोड़ा है-

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि “टेक्नोलॉजी आज सभी कन्वेंशनल जियोग्राफिकल, पॉलिटिकल और आर्थिक सीमाओं के पार पहुँच चुकी है और आज हम एक बड़े ग्लोबल डिजिटल विलेज में रहते हैं।” उन्होंने कहा कि “हालाँकि, टेक्नोलॉजी मानव, कम्युनिटी और देशों को और करीब लाने वाला एक पॉजिटिव डेवलपमेंट है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्व तथा स्वार्थी वैश्विक ताकतें भी हैं,

जो नागरिकों और सरकारों को, आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुँचाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही हैं।” उन्होंने कहा कि “यह सम्मेलन इसलिए अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह डिजिटल दुनिया को सभी के लिए सुरक्षित बनाने और को-ऑर्डिनेटेड एक्शन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक पहल हो सकती है।”

श्री अमित शाह ने कहा कि “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का मानना है कि, साइबर सुरक्षा अब केवल डिजिटल दुनिया तक ही सीमित नहीं है। यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा – वैश्विक सुरक्षा का मामला बन गया है।” उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी ने टेक्नोलॉजी के मानवीय पहलू पर जोर दिया है।” श्री शाह ने कहा कि “मोदी जी ने टेक्नोलॉजी के उपयोग में ‘कम्पैशन’ और ‘सेंसिटिविटी’ सुनिश्चित करने के लिए “इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स” को “इमोशन्स ऑफ़ थिंग्स” के साथ जोड़ा है।”

-एक दशक में सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी के इनिशिएटिव्स ने भारत को एक ‘डिजिटल राष्ट्र’ में बदल दिया है, भारत के ‘ओपन-एक्सेस डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर’ मॉडल आज विश्व में मिसाल बन रहे हैं-

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में, भारत जमीनी स्तर पर उभरती तकनीकों को अपनाने में अग्रणी रहा है और हमारा उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी को अधिक सुलभ और किफायती बनाना है।” गृह मंत्री ने कहा कि “आज 840 मिलियन भारतीयों की ऑनलाइन मौजूदगी है, और 2025 तक और 400 मिलियन भारतीय डिजिटल दुनिया में प्रवेश करेंगे।”

उन्होंने कहा कि “पिछले 9 वर्षों में इन्टरनेट कनेक्शन में 250% की बढ़ोतरी हुई है और प्रति GB डाटा की लागत में 96% कमी आई है।” उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत 500 मिलियन नए बैंक खाते खोले गए हैं और 330 मिलियन ‘रुपे डेबिट कार्ड’ वितरित किये गए हैं।”

श्री शाह ने कहा कि “भारत 2022 में 90 मिलियन लेनदेन के साथ वैश्विक डिजिटल भुगतान में अग्रणी रहा है और अब तक भारत में 35 ट्रिलियन रुपये के UPI ट्रांजेक्शन हुए हैं।” उन्होंने कहा कि “कुल वैश्विक डिजिटल भुगतान का 46% भारत में भुगतान हुआ है और 2017-18 से लेन-देन की मात्रा में 50 गुना बढ़ोत्तरी हुई है।”

श्री शाह ने कहा कि “डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर के अंतर्गत, 52 मंत्रालयों में 300 से अधिक योजनाओं को कवर करते हुए, 300 मिलियन रुपए की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुँचाई गई है।”

उन्होंने कहा कि “डिजीलॉकर में लगभग 6 बिलियन डाक्यूमेंट्स स्टोर्ड हैं। भारतनेट के तहत 6 लाख किलोमीटर की ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई जा चुकी है।” श्री शाह ने कहा कि “एकीकृत मोबाइल एप्लिकेशन उमंग एप्प लाया गया, जिसमें 53 मिलियन रजिस्ट्रेशन्स हैं। सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी के इनिशिएटिव्स ने, एक दशक में भारत को एक ‘डिजिटल राष्ट्र’ में बदल दिया है।”

-हमारी कन्वेंशनल सिक्यूरिटी चुनौतियों में ‘डायनामाइट से मेटावर्स’ और ‘हवाला से क्रिप्टो करेंसी’ का परिवर्तन दुनिया के देशों के लिए निश्चित ही चिंता का विषय है, इसके खिलाफ साझी रणनीति तैयार करनी होगी-

श्री अमित शाह ने कहा कि “साथ ही साइबर खतरों की संभावनाएँ भी बढ़ी हैं।” उन्होंने इन्टरपोल की वर्ष 2022 की ‘ग्लोबल ट्रेंड समरी रिपोर्ट’ को उद्धत करते हुए कहा कि “रैनसमवेयर, फिशिंग, ऑनलाइन घोटाले, ऑनलाइन बाल यौन-शोषण और हैकिंग जैसे साइबर अपराध की कुछ प्रवृतियाँ विश्वभर में गंभीर खतरे की स्थिति पैदा कर रही हैं और ऐसी संभावना है कि भविष्य में ये साइबर अपराध कई गुना और बढ़ेंगे।” 

श्री शाह ने कहा कि “इस संदर्भ में यह सम्मेलन, G-20 प्रेसीडेंसी की एक नई और अनूठी पहल है और G-20 में साइबर सुरक्षा पर यह पहला सम्मेलन है।” उन्होंने कहा कि “G-20 ने अब तक आर्थिक दृष्टिकोण से डिजिटल परिवर्तन और डेटा फ्लो पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन अब क्राइम और सिक्योरिटी आस्पेक्ट्स को समझना और समाधान निकालना बेहद आवश्यक है।” 

उन्होंने कहा कि “हमारा प्रयास है कि NFT, AI, मेटावर्स तथा अन्य इमर्जिंग टेक्नोलॉजी के युग में कोऑर्डिनेटेड और कोऑपरेटिव तरीके से नए और उभरते खतरों के लिए समय पर प्रतिक्रिया देकर हमें आगे रहना है।”

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि “G-20 के मंच पर साइबर सिक्योरिटी पर अधिक ध्‍यान देने से, अहम ‘इनफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर’ और ‘डिजिटल पब्लिक प्लेटफार्मों’ की सुरक्षा और संपूर्णता सुनिश्चित करने में सकारात्‍मक योगदान मिल सकता है।” उन्होंने कहा कि “G-20 के मंच पर साइबर सिक्योरिटी और साइबर क्राइम पर विचार-विमर्श करने से इंटेलिजेंस और इनफॉर्मेशन शेयरिंग नेटवर्क’ के विकास में मदद मिलेगी और इस क्षेत्र में ‘ग्लोबल कोऑपरेशन’ को बल मिलेगा।” श्री शाह ने कहा कि “इस सम्मेलन का उद्देश्य डिजिटल पब्लिक गुड्स और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को सशक्त एवं सुरक्षित बनाने और टेक्नोलॉजी की शक्ति का बेहतर उपयोग करने के लिए एक सुरक्षित और सक्षम अंतरराष्ट्रीय ढाँचे को बढ़ावा देना है।”

श्री शाह ने विश्वास व्यक्त किया कि “इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस के 6 सत्रों में इन्टरनेट गवर्नेंस, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा, डिजिटल ऑनरशिप से संबधित लीगल तथा रेगुलेटरी इशूज, AI का रिस्पोंसिबल यूज़ तथा डार्क नेट जैसे विषयों में इंटरनेशनल कोऑपरेशन फ्रेमवर्क पर सार्थक चर्चा होगी।” श्री शाह ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की, कि “अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने खुले मन से इस सम्मेलन का समर्थन किया है।” उन्होंने कहा कि “इस सम्मलेन में G-20 सदस्यों के अलावा, 9 अतिथि देश, और 2 प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठन, इंटरपोल और यूएनओडीसी (UNODC) के साथ-साथ विभिन्न अंतरराष्ट्रीय वक्ता भी भाग ले रहे हैं।”

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि “इस डिजिटल युग के मद्देनजर, साइबर सिक्यूरिटी, ग्लोबल सिक्यूरिटी की एक जरूरी पहलू बन गई है, जिसके इकोनॉमिकल तथा जिओ-पॉलिटिकल प्रभावों पर पर्याप्त ध्यान देने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि “आतंकवाद, टेरर फाइनेंसिंग, रेडिकलाइजेशन, नार्को, नार्को-टेरर लिंक्स, और मिस-इनफॉर्मेशन सहित नई और उभरती, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चुनौतियों से बेहतर ढंग से निपटने के लिए राष्ट्रों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की क्षमताओं को मजबूत बनाना आवश्यक है।”

श्री अमित शाह ने कहा कि “हमारी कन्वेंशनल सिक्योरिटी चुनौतियों में ‘डायनामाइट से मेटावर्स’ और ‘हवाला से क्रिप्टो करेंसी’ का परिवर्तन दुनिया के देशों के लिए निश्चित ही चिंता का विषय है और हम सभी को साथ में मिलकर इसके खिलाफ साझी रणनीति तैयार करनी होगी।” श्री शाह ने कहा कि “आतंकवादी हिंसा को अंजाम देने, युवाओं को रैडिकलाइज़ करने तथा वित्त संसाधन जुटाने के नए तरीके खोज रहे हैं और आतंकवादियों द्वारा वर्चुअल एसेट्स के रूप में नए तरीकों का उपयोग, फाइनेंसियल ट्रांजैक्शन के लिए किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि “आतंकवादी अपनी पहचान छिपाने के लिए और रेडिकल मैटेरियल को फ़ैलाने के लिए डार्क-नेट का उपयोग कर रहे हैं।” श्री शाह ने कहा कि “हमें डार्क-नेट पर चलने वाली इन गतिविधियों के पैटर्न को समझना होगा और उसके उपाय भी ढूँढने होंगे।” उन्होंने कहा कि “वर्चुअल एसेट्स माध्यमों के उपयोग पर नकेल कसने के लिए, एक “मजबूत और कारगर ऑपरेशनल सिस्टम” की दिशा में हमें एकरूपता से सोचना होगा।”

श्री अमित शाह ने कहा कि “मेटावर्स, जो कभी साइन्स फिक्शन था, अब वास्तविक दुनिया में कदम रख चुका है और इससे आतंकवादी संगठनों के लिए मुख्य रूप से प्रचार, भर्ती और प्रशिक्षण के नए अवसर पैदा हो सकते हैं।” उन्होंने कहा कि “इससे आतंकी संगठनों के लिए वलनरेबल लोगों का चयन करना, उन्हें टारगेट बनाना और उनकी कमजोरियों के अनुरूप मैटेरियल तैयार करना आसान हो जाएगा।”

उन्होंने कहा कि “मेटावर्स यूजर की पहचान की नकल करने के अवसर भी पैदा करता है, जिसे “डीप-फेक” कहा जाता है और व्यक्तियों के बारे में बेहतर बायोमेट्रिक जानकारी का उपयोग करके अपराधी, यूजर का रूप धरने और उनकी पहचान चुराने में सक्षम हो जाएँगे।” श्री शाह ने कहा कि “साइबर अपराधियों द्वारा रैंसमवेयर हमलों, महत्त्वपूर्ण व्यक्तिगत डेटा की बिक्री, ऑनलाइन उत्पीड़न, बाल-शोषण से लेकर फर्जी समाचार और ‘टूलकिट’ के साथ मिस-इनफॉर्मेशन कैंपेन जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।”

श्री अमित शाह ने कहा कि “इसके साथ ही, क्रिटिकल इनफॉर्मेशन और फाइनेंशियल सिस्टम्स को स्ट्रेटेजिक लक्ष्य बनाने की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है। ऐसी गतिविधियाँ राष्ट्रीय चिंता के विषय हैं क्योंकि इनकी गतिविधियों का सीधा प्रभाव राष्ट्रीय सुरक्षा, कानून व्यवस्था, और अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।”

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि “अगर हमें ऐसे अपराधों और अपराधियों को रोकना है, तो कन्वेंशनल जियोग्राफिक बॉर्डर से ऊपर उठकर सोचना होगा और कार्य भी करना होगा।” श्री शाह ने इंगित किया कि “डिजिटल युद्ध में टारगेट हमारे भौतिक संसाधन नहीं होते हैं, बल्कि हमारी ऑनलाइन कार्य करने की क्षमता को टारगेट किया जाता है और कुछ ही मिनट्स के लिए भी ऑनलाइन नेटवर्क में व्यवधान घातक हो सकता है।”

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि “आज, दुनिया की सभी सरकारें गवर्नेंस और पब्लिक वेलफेयर में डिजिटल माध्यमों को प्रोत्साहन दे रही हैं और इस दिशा में यह आवश्यक है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर नागरिकों का विश्वास बना रहे।” उन्होंने कहा कि “डिजिटल स्पेस में असुरक्षित होना, नेशन-स्टेट की लेजिटिमेसी और संप्रभुता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।”

श्री शाह ने कहा कि “हमारा इन्टरनेट विज़न न तो राष्ट्र के अस्तित्व को संकट में डालने वाला अत्यधिक फ्रीडम का होना चाहिए और न ही डिजिटल फ़ायरवॉल जैसे आइसोलेशनिस्ट स्ट्रक्चर का होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि “भारत ने कुछ ऐसे ‘ओपन-एक्सेस डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर’ मॉडल खड़े किये हैं, जो आज विश्व में मिसाल बने हुए हैं।

-साइबर अपराधों में सभी देशों के कानूनों में एकरूपता लाने के प्रयास होने चाहिए, साइबर सिक्यूरिटी नीतियों में इंटीग्रेटेड और स्टेबल एप्रोच से इंटर-ओपेरबिलिटी में आसानी होगी, इनफॉर्मेशन शेयरिंग में ट्रस्ट बढ़ेगा, और एजेंसियों के प्रोटोकॉल और रिसोर्सेस गैप में कमी होगी-

भारत ने डिजिटल आइडेंटिटी का आधार मॉडल, रियल-टाइम फ़ास्ट पेमेंट का UPI मॉडल, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC), हेल्थ के क्षेत्र में ओपन हेल्थ सर्विस नेटवर्क, जैसे और भी मॉडल्स विकसित किए हैं।” श्री शाह ने कहा कि “आज दुनिया को डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक नई व्यवस्था की जरूरत है, जो इनफॉर्मेशन और फाइनेंस के प्रवाह में मध्यस्थता करे और इससे दुनिया के देशों को अपने नागरिकों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने में सुविधा होगी।”

अमित शाह ने कहा कि “दुनिया के कई देश साइबर हमलों के शिकार हुए हैं और यह खतरा दुनियाभर की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंडरा रहा है।” उन्होंने कहा कि “विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2019-2023 के दौरान साइबर हमलों से दुनिया को लगभग 5.2 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता था। मेलिशियस थ्रेट एक्टर्स द्वारा क्रिप्टो करेंसी का उपयोग इसकी पहचान और रोकथाम को और जटिल बना देता है।”

श्री शाह ने कहा कि “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने एक समान साइबर कार्यनीति की रूपरेखा तैयार करने, साइबर-अपराधों की रियल-टाइम रिपोर्टिंग, लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसियों की कैपेसिटी बिल्डिंग, एनालिटिकल टूल्स डिजाइन करने, फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं का एक राष्ट्रीय नेटवर्क स्थापित करने, साइबर हाइजीन सुनिश्चित करने, और हर नागरिक तक साइबर जागरूकता के प्रसार करने  जैसे हर क्षेत्र में कार्य किया है।”

श्री शाह ने कहा कि “अब देश के सभी पुलिस थानों में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्‍टम (CCTNS) का कार्यान्वयन कर दिया गया है।” उन्होंने कहा कि “साइबर अपराध के विरुद्ध व्यापक जवाबी कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु भारत सरकार ने इंडियन साइबर-क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) की स्थापना की है। भारत सरकार ने ‘CyTrain’ पोर्टल नामक एक विशाल ओपन ऑनलाइन ट्रेनिंग प्लेटफॉर्म का निर्माण भी किया गया है, जो शायद साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा ट्रेनिंग प्रोग्राम होगा।”

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने एक सेफ एंड सिक्योर साइबर स्पेस सुनिश्चित करने के लिए प्रतिभागियों का ध्यान कुछ बिंदुओं की ओर आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि “डिजिटल अपराधों को काउंटर करने के लिए बने सभी देशों के कानूनों में एकरूपता लाने के प्रयास होने चाहिए।

साइबर अपराधों के बॉर्डर-लेस नेचर को ध्यान में रखते हुए, देशों के भिन्न-भिन्न कानूनों के तहत, रेस्पोंड करने की व्यवस्था, हमें खड़ी करनी होगी। इस क्षेत्र में ग्लोबल कोऑपरेशन से साइबर सिक्यूरिटी बेंचमार्क्स, बेस्ट प्रैक्टिसेज, और रेगुलेशन में तालमेल बनाने में मदद होगी।”

-प्रभावी प्रिडिक्टिव – प्रिवेंटिव – प्रोटेक्टिव एंड रिकवरी एक्शन हेतु एक 24×7 साइबर सिक्यूरिटी मैकेनिज्म होना चाहिए-

श्री शाह ने विश्वास व्यक्त किया कि इस दिशा में यह सम्मेलन एक ठोस एक्शन-प्लान हमारे सामने रखेगा। उन्होंने कहा कि “साइबर सिक्योरिटी नीतियों में इंटीग्रेटेड और स्टेबल एप्रोच से इंटर-ओपेरबिलिटी में आसानी होगी, इनफॉर्मेशन शेयरिंग में ट्रस्ट बढ़ेगा, और एजेंसियों के प्रोटोकॉल और रिसोर्सेस गैप में कमी होगी।” उन्होंने कहा कि “राष्ट्र के महत्त्वपूर्ण इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को सुरक्षित बनाने के लिए सदस्य देशों के बीच उद्योग और शिक्षा जगत के सक्रिय समर्थन से रियल टाइम साइबर थ्रेट इंटेलिजेंस साझा करना समय की माँग है।”

साइबर घटनाओं की रिपोर्टिंग और उन पर कार्यवाही में सभी देशों की साइबर एजेंसियों में अधिक तालमेल होना चाहिए। शांतिपूर्ण, सुरक्षित, प्रतिरोधी और ओपन इनफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्‍नोलॉजी वातावरण के निर्माण के लिए संयुक्त प्रयासों से सीमा पार साइबर अपराधों की जाँच में सहयोग आज अत्यंत आवश्यक है। इनफॉर्मेशन व कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के आपराधिक प्रयोग पर यूनाइटेड नेशन कन्‍वेंशन के अनुरूप तेजी से साक्ष्‍यों का संरक्षण, जाँच और सहयोग होना अनिवार्य है।

इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज के कारण उभरते खतरों से निपटने के लिए कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पोंस टीमों (सीईआरटी) को सुदृढ़ बनाना होगा। प्रभावी प्रिडिक्टिव – प्रिवेंटिव – प्रोटेक्टिव एंड रिकवरी एक्शन हेतु एक 24×7 साइबर सिक्योरिटी मैकेनिज्म होना चाहिए। साइबर थ्रेट लैंडस्केप का स्‍वरूप राष्‍ट्रीय सीमाओं से पार तक फैल गया है, जिसके कारण साइबर क्राइम्स से प्रभावी रूप से लड़ने के लिए राष्‍ट्रों, संगठनों और स्‍टेकहोल्‍डरों द्वारा कोऑपरेशन और इनफॉर्मेशन का आदान-प्रदान करना आवश्‍यक हो गया है।

रिस्पोंसिबल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए ‘ट्रांसपेरेंट और अकाउंटेबल AI और इमर्जिंग टेक्‍नोलॉजीज गवर्नेंस फ्रेमवर्क’ का निर्माण करने का समय आ गया है। डिजिटल करेंसी से लैस साइबर क्राइम में वृद्धि को देखते हुए राष्ट्रों के बीच एक ‘डेडिकेटेड कॉमन चैनल’ की आवश्यकता है, ताकि ऐसी वित्तीय अनियमितताओं को रोका जा सके। NFT प्लेटफॉर्मों की थर्ड-पार्टी वेरिफिकेशन से विश्वास बढ़ेगा और आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगेगी।

अपने संबोधन के अंत में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि “कोई भी देश या संगठन, अकेले साइबर खतरों का मुकाबला नहीं कर सकता है – इसके लिए एक संयुक्त मोर्चे की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि “हमारे भविष्य ने हमें यह अवसर दिया है कि हम संवेदनशीलता के साथ टेक्नोलॉजी का उपयोग करने और सार्वजनिक सुरक्षा तथा संरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर अटल रहें, और, यह कार्य अकेले सरकारों द्वारा नहीं संभाला जा सकता है।”

श्री शाह ने कहा कि हमारा लक्ष्य ‘साइबर सक्सेस वर्ल्ड’ का निर्माण करना है, न कि ‘साइबर फेल्योर वर्ल्ड’ का। उन्होंने कहा कि साथ मिलकर हम, सभी के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध डिजिटल भविष्य सुनिश्चित करते हुए इन टेक्नोलॉजीज की क्षमता का उपयोग कर सकते हैं।

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