पुण्य लाइफ फाउंडेशन ने दिल संबंधी बीमारियों को देश से खत्म करने और लोगों को बचाने के लिए इस मिशन की शुरुआत की है
आज की इस भागती दौड़ती जिंदगी का सबसे बड़ा शिकार हुआ है, हमारा दिल, जो हमारे शरीर का सबसे नाजुक भाग भी है। दरअसल यह बीमारी व्यक्तियों की जीवनशैली से जुड़ी है। वास्तव में हृदय रोग किसी बाहरी वायरस या बाहरी संक्रमण से नहीं फैलता बल्कि हम खुद ही इस बीमारी को न्योता देते हैं। अज्ञानता, अत्यधिक व्यस्तता, तनाव, भोजन की गलत आदतें आदि इसके प्रमुख कारण हैं जिन्हें जाने अनजाने में हम अपने दिल पर हावी कर देते हैं और इसके फलस्वरूप हमें उपहार में हृदय रोग मिल जाता है। हृदय रोग जिन्हें प्राय: हम एंजाइना, कोरोनरी हार्ट डिसी$ज, कोरोनरी आर्टरी डिसी$ज, इस्केमिया व इस्केमिया हार्ट डिसी$ज के नाम से भी जानते हैं।
ये समस्याएं तभी उत्पन्न होती हैं जब किसी प्रकार हमारे दिल की धमनियों में रूकावट हो जाने से उस तक सहीप्रकार से रक्त नहीं पहुंच पाता है। दरअसल ये ब्लॉकेज (हृदय की धमनियोंं में रूकावट) एकदम से नहीं बनते, यह धीरे-धीरे बनते हैं, लेकिन जिस तरह यह बनते हैं उन्हें वैसे ही घटाया भी जा सकता है। इसके लिए आधुनिक तकनीकों की आवश्यकता होती है और हम गत कई वर्षों से इसी दिशा में काम कर रहे है।
साइंस एंड आर्ट ऑफ लिविंग (साओल) ने अपने सीएसआर प्रोग्राम पुण्य लाइफ फाउंडेशन के तहत लोगों को सेहतमंद बनाने के लिए एक और बेहतर पहल की है। पुण्य लाइफ फाउंडेशन ने दिल संबंधी बीमारियों को देश से खत्म करने और लोगों को बचाने के लिए इस मिशन की शुरुआत की है।
साओल पिछले 20 सालों से ज्यादा वक्त से जनता की सेवा में लगा है और हार्ट डिसीज से जुड़े अलग-अलग एजुकेशन प्रोग्राम चलाकर लोगों में जागरुकता पैदा कर रहा है। इस तरह के अबतक 5 लाख से ज्यादा लोगों को गाइड किया जा चुका है। फाउंडेशन ने अब एडु-वैक्सीन के नाम से लाइफस्टाइल को सुधारने का सिंपल और आसान फॉर्मूला तैयार किया है। हार्ट को सुरक्षित रखने के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक ये है कि लोगों को हार्ट से जुड़ी चीजें बताई जाएं, उन्हें स्वस्थ शरीर की इंपोर्टेंस समझाई जाए, साथ ही ये भी बताया जाए कि कैसे गलत लाइफस्टाइल उनकी सेहत को नुकसान पहुंचाती है। एक बार लोग अपनी बॉडी और लाइफस्टाइल को लेकर सचेत हो जाएं तो फिर हमने जो एडु-वैक्सीन मॉड्यूल तैयार किया है, वो लोगों के लिए अपनी जिंदगी में उतारना काफी आसान हो जाएगा। इससे फायदा ये होगा कि लोगों की लाइफस्टाइल बेहतर हो पाएगी और वो स्वस्थ रह सकेंगे।
दुनिया के तमाम देशों में आज भी हार्ट से जुड़ी बीमारियों के चलते मौत के मामले काफी ज्यादा आते हैं। भारत की बात की जाए तो पूरी दुनिया में दिल के मरीजों के मामलों में ये सबसे ऊपर है और लगातार पेशंट की संख्या में भी इजाफा ही हो रहा है। देश में करीब 8-10 करोड़ हार्ट पेशंट हैं और हर 10 सेकंड में यहां हार्ट की बीमारी के कारण एक मरीज की मौत हो जाती है। यानी हर दिन करीब 9 हजार मौतें दिल के रोगों के कारण होती हैं, और एक साल में ये आंकड़ा 30 लाख तक पहुंच जाता है। मौतों का ये डाटा देखकर कहा जा सकता है कि कार्डियोलॉजी का विज्ञान फेल हो रहा है। हम लाइफस्टाइल ठीक करने, खाने-पीने, मेडिकल और ईईसीपी यानी एक्सटर्नल इको काउंटर पल्सेशन ट्रीटमेंट पर दिया जाता है जिससे दिल को सेहतमंद रखने के लिए दोहरे रास्ते खुलते हैं।
आज इन सभी थेरेपियों से अलग एक नई पद्घति है-‘बॉयोकेमिक्ल एंजियोप्लास्टी’ इसका प्रतिष्ठïापन साओल हार्ट सेंटर ने ही किया है। यह तकनीक ठीक उसी तरह काम करती है जिस प्रकार आजकल घर की औरतें रसोईघर के रूके हुए पाइपों को साफ करने के लिए उसमें ड्रेनैक्ïस डाल देती है। ठीक उसी प्रकार मिश्रित रसायनों को शरीर में डाला जाता है जिससे फंसे हुए या जमे हुए कण बाहर आ जाएं व धमनियां पुन: ठीक प्रकार से काम करने लगे।
बॉयोकेमिकल एंजियोप्लास्टी के परिणाम अधिक प्रभावशाली हो सकते हैं यदि इन्हें जीवनशैली बदलाव कार्यक्रम जैसे (खाना-पीना,व्यायाम,योग,ध्यान,स्ट्रेस मैनेजमेंट)के साथ अपनाया जाए। याद रखिए कि हृदय संबंधी रोगों के पनपने का कारण है-रक्त में चर्बी या कोलेस्ट्रोल का बढऩा, उच्च रक्तचाप, नशा करना, दीमागी तनाव, मधुमेह, मोटापा, व्यायाम न करना, ठीक प्रकार से खाना न खाना आदि। यदि हम इन सब पर पूरा ध्यान दे पाएं तो हृदय रोगों को कम किया जा सकता है। यह बॉयोकेमिकल एंजियोप्लास्टी बहुत बेहतर व सुरक्षित पद्घति है क्योंकि इसमें रोगी के शरीर में किसी भी प्रकार की चीडफ़ाड़ करने की आवश्यकता नहीं होती, रोगी को अस्पताल में भर्ती करने की भी जरूरत नहीं होती। कुछ रोगियों को केवल दो या तीन हफ्तों में ही इस बीमारी से निजात मिल जाता है।