युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सान्निध्य में मुम्बई में आयोजित अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के कन्या अधिवेशन में सर्वोच्च नारी अलंकरण ‘श्राविका गौरव’ श्रीमती भंवरीदेवी भंसाली को दिये जाने की घोषणा की गई। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती नीलम सेठिया ने श्रीमती भंवरीदेवी भंसाली की उल्लेखनीय गुरुभक्ति एवं शासनसेवा को देखते हुए वर्ष-2023 का ‘श्राविका गौरव’ अलंकरण दिये जाने की घोषणा करते हुए कहा कि श्रीमती भंसाली की सुदीर्घ शासन सेवाएं रही। वे नारी शक्ति का एक आदर्श हैं जिन्होंने आध्यात्मिक एवं संस्कारमय जीवन जीकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
श्रीमती सेठिया ने बताया कि यह अलंकरण अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के मुम्बई में आयोजित 7-9 अक्टूबर 2023 के वार्षिक अधिवेशन में आचार्य श्री महाश्रमणजी के सान्निध्य में समारोह पूर्वक प्रदत्त किया जाएगा।
विदित हो कि श्रीमती भंसाली सुजानगढ़ निवासी एवं मुम्बई प्रवासी स्व. श्री फतेहचंदजी भंसाली की धर्मपत्नी एवं डाॅ. चैनरूप भंसाली की माताजी हैं। आपका जन्म रतननगर के हिरावत परिवार में पिता श्री जीतमलजी हिरावत एवं माता श्रीमती इन्दिरादेवी की कुक्षी से 29 अक्टूबर 1940 को हुआ। आपने एक श्रद्धानिष्ठ श्राविका के रूप में अनूठा इतिहास बनाया। आचार्य श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ एवं वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमणजी की निरंतर सेवा करते हुए सेवा का एक अनूठा इतिहास रचा है। उन्होंने अपने संपूर्ण परिवार को संस्कारी बनाया है।
श्रीमती भंवरीदेवी भंसाली ने इस सर्वोच्च अलंकरण से अलंकृत होने पर कहा कि मैं इस अलंकरण को गुरुभक्ति एवं संघ सेवा का मूल्यांकन मानती हूं। स्व. श्री फतेहचंदजी भंसाली (पूज्य काकोजी) के साथ मुझे सुदीर्घ काल तक आचार्यों की सेवा करने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। निश्चित ही यह मेरे पूर्वजन्म के संचित सुकर्मों का सुफल है। मैं इस विशिष्ट अलंकरण को पूज्य काकोजी की सेवा का ही का मूल्यांकन मानती हूं।
मुझे उन जैसा जीवनसाथी मिला जिससे संघ और संघपति की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैं इसे शासनमाता साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी का भी आशीर्वाद और अनुकंपा मानती हूं। मेरा भविष्य पूर्व की भांति आगे भी गुरु सेवा एवं संघ सेवा में व्यतीत हो, यही मेरे जीवन की कामना है। मैं अधिक तत्परता से गुरु सन्निधि में धार्मिक गतिविधियों में संलग्न रहना चाहती हूं।
पूज्य आचार्य श्री तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञजी एवं वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमणजी ने महत्ती कृपा करते हुए स्व. श्री फतेहचंदजी भंसाली की सेवाओं का मूल्यांकन करते हुए उन्हें 250 वर्षों के तेरापंथ इतिहास का विरल श्रावक होने का गौरव प्रदान किया। श्रीमती भंसाली की धर्म में अनन्य श्रद्धा एवं आस्था है। धर्म को वे परम कल्याणकारी एवं मंगलकारी मानती हैं। धर्म तत्व पालनकत्र्ता के लिए ऐहिक और पारलौकिक दोनों दृष्टियों से श्रेयस्कर है।