केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में CRCS-सहारा रिफन्ड पोर्टल के माध्यम से सहारा समूह की सहकारी समितियों के वैध जमाकर्ताओ को धनराशि ट्रांसफर करने की शुरुआत की। इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री श्री बी एल वर्मा, उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश श्री आर. सुभाष रेड्डी, सहकारिता मंत्रालय के सचिव श्री ज्ञानेश कुमार, रिफंड प्रक्रिया में सहायता के लिए नियुक्त चार वरिष्ठ विशेष कार्याधिकारी (OSD) और रिफन्ड प्राप्त करने वाले कुछ जमाकर्ता भी उपस्थित थे।
अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार देश के हर गरीब व मध्यम वर्ग के व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा और समाज के अंतिम तबके के व्यक्ति की तकलीफें दूर करने के लिए कटिबद्ध है, इसे साकार रुप देने में आज सहकारिता मंत्रालय को बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि निवेशकों को उनकी जमापूँजी वापस दिलाने के लिए सभी एजेंसियों ने रिकार्ड समय में प्रशंसनीय काम किया है, जिससे लोगों को उनकी जमापूँजी वापस मिल रही है। 18 जुलाई 2023 को CRCS-सहारा रिफन्ड पोर्टल के शुभारंभ के समय कहा गया था कि पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के 45 दिन में वैध जमाकर्ताओं को धनराशि का भुगतान किया जाएगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति और भारत सरकार की एजेंसियों ने मिलकर रिकॉर्ड समय में अति प्रशंसनीय काम करते हुए एक महिने से भी कम समय में धनराशि ट्रांसफर करने की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है, जिसके चलते 112 लाभार्थियों के बैंक अकाउंट में 10-10 हजार रुपये जमा हो रहे हैं। श्री शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय की इस पहल से करोड़ों निवेशकों के मन में संतोष और विश्वास पैदा हुआ है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय के गठन के समय मंत्रालय के सामने सहकारिता के ढांचे को फिर से मजबूत करने, लगभग 75 साल पहले बने सहकारिता कानूनों में समयानुकूल परिवर्तन करने और जनता में सहकारिता के प्रति खोए हुए विश्वास को पुनः स्थापित करने जैसी अनेक चुनौतियां थी। इन सभी चुनौतियों के समाधान के लिए सहकारिता मंत्रालय ने काम किया है। इसी क्रम में देश के करोड़ों निवेशकों का सहारा समूह की चार सहकारी समितियों में पिछले करीब 15 साल से फंसे करोड़ों रुपये के भुगतान के लिए प्रयास किया गया। श्री शाह ने कहा कि CRCS-सहारा रिफन्ड पोर्टल पर अब तक लगभग 33 लाख निवेशकों द्वारा रजिस्ट्रेशन किया गया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि सहारा समूह की चार सहकारी समितियों में फंसे निवेशकों के पैसे के भुगतान के लिए सहकारिता विभाग ने लगभग एक साल पहले मीटिंग की श्रृंखला शुरू की। सभी स्टेकहोल्डर्स को एक साथ लाकर, सभी विभागों के साथ मिलकर सहकारिता मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की और उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति का गठन कर उनके निर्देशन में पारदर्शी तरीके से हर वैध जमाकर्ता को भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज 10 हजार रुपये की धनराशि वाले 112 निवेशकों को भुगतान किया जा रहा है क्योंकि भुगतान की जाने वाली धनराशि पर सबसे पहला अधिकार छोटे निवेशकों का है। मगर आने वाले समय में निश्चित रूप से सभी निवेशकों को उनके पैसे लौटाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भुगतान की अगली किस्त जारी करने में और भी कम समय लगेगा क्योंकि ऑडिट की कार्यवाही पूरी हो चुकी है।
श्री शाह ने कहा कि देश के शासन और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि संविधान द्वारा दिए गये कानून बनाने के अधिकारों का उपयोग करते हुए देश के हर नागरिक की जमापूंजी को सुरक्षित करें और उनकी फंसी हुई जमाराशि को उन्हें वापस लौटाएं। श्री शाह ने सहारा समुह की सहकारी समितियों के निवेशकों को आश्वस्त किया कि मोदी सरकार निवेशकों की गाढ़े पसीने की कमाई की पाई-पाई वापस दिलाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
श्री अमित शाह ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश श्री आर. सुभाष रेड्डी, सहकारिता मंत्रालय के सचिव श्री ज्ञानेश कुमार, विशेष सचिव श्री विजय कुमार सहित सहकारिता मंत्रालय और सभी संबंधित एजेंसियों के अधिकारियों को रिकॉर्ड समय में धनराशि ट्रांसफर करने की प्रक्रिया की शुरुआत करने के लिए धन्यवाद दिया। सहारा समूह के जमाकर्ताओं ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सहकारिता मंत्रालय द्वारा उनकी धनराशि के रिफंड को लेकर किये गए प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया।
आज प्रथम चरण में सहारा समूह की सहकारी समितियों के 112 जमाकर्ताओं को 10-10 हजार का भुगतान उनके आधार सीडिड बैंक खातों के माध्यम से किया गया है। प्रथम चरण के विश्लेषण के अनुभव के आधार पर लेखापरीक्षक द्वारा दावों के सत्यापन/ त्वरित जाँच के लिए “SOP(Standard Operating Procedure)” न्यायमित्र की मदद से तैयार की जा रही है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने 18 जुलाई 2023 को नई दिल्ली में केन्द्रीय पंजीयक-सहारा रिफंड पोर्टल https://mocrefund.crcs.gov.in का शुभारंभ किया था। इस पोर्टल को सहारा समूह की 4 सहकारी समितियों – सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के प्रामाणिक जमाकर्ताओं द्वारा दावे प्रस्तुत करने के लिए विकसित किया गया है।
गौरतलब है कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने 29 मार्च, 2023 के अपने आदेश में निर्देश दिया था कि सहारा समूह की सहकारी समितियों के प्रामाणिक जमाकर्ताओं के वैध बकाए के भुगतान के लिए “सहारा-सेबी रिफंड खाते” से 5000 करोड़ रुपये सहकारी समितियों के केन्द्रीय रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) को हस्तांतरित किए जाएं।
भुगतान की पूरी प्रक्रिया की निगरानी और इसका पर्यवेक्षण माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी कर रहे हैं जिसमें उनकी सहायता के लिए वकील श्री गौरव अग्रवाल (Amicus Curiae) को नियुक्त किया गया है। इन चारों समितियों से संबंधित रिफंड प्रक्रिया में सहायता के लिए 4 वरिष्ठ अधिकारियों को ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (Officers on Special Duty) के रूप में नियुक्त किया गया है।
भुगतान की पूरी प्रक्रिया डिजिटल और पेपरलैस है और दावे प्रस्तुत करने के लिए बनाया गया पोर्टल यूज़र फ्रेंडली, कुशल और पारदर्शी है। केवल प्रामाणिक जमाकर्ताओं की वैध राशि लौटाने को सुनिश्चित करने के लिए पोर्टल में ज़रूरी प्रावधान किए गए हैं। पोर्टल को सहकारिता मंत्रालय की वेबसाइट के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है। इन समितियों के प्रामाणिक जमाकर्ताओं को पोर्टल पर उपलब्ध ऑनलाइन आवेदन पत्र को ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ अपलोड कर अपने दावे प्रस्तुत करने होंगे। उनकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए जमाकर्ताओं का आधार कार्ड के ज़रिए सत्यापन किया जाएगा।
उनके दावों और अपलोड किए गए दस्तावेजों के सत्यापन के लिए नियुक्त सोसायटी, ऑडिटर्स, और OSDs द्वारा सत्यापन के बाद उपलब्धता के अनुसार धनराशि, जमाकर्ताओं द्वारा ऑनलाइन दावे पेश करने के 45 दिनों के अंदर सीधे उनके आधार से जुड़े बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी और उन्हें SMS/पोर्टल के माध्यम से इसकी सूचना दे दी जाएगी। समितियों के प्रामाणिक जमाकर्ताओं को ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास आधार-लिंक्ड मोबाइल नंबर और बैंक खाता है।