सर्दियों में फ्लू के वायरस से कैसे रहें दूर

विनीता झा
कार्यकारी संपादक

सर्दियों के दौरान सांस की तकलीफ, सीने में जकड़न, नाक बंद, जुकाम ,छींक, खांसी ,सिरदर्द, गले में खराश आदि जैसी समस्याएं फ्लू के वायरस के कारण ही बढ़ जाती हैं। इसके अलावा ठंड लगने के साथ 100 से 104 डिग्री तक बुखार भी फ्लू के लक्षणों की पहचान है। हर साल अमूमन 10 फीसदी आबादी इस वायरस की चपेट में आ जाते हैं। यदि किसी साल इसका संक्रमण बढ़ जाता है तो 25 से 30 फीसदी लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं।

फ्लू के कारण होने वाली परेशानी

  • सर्दीके दौरान तापमान कम हो जाता है और घर के दरवाजे-खिड़कियां बंद रहती हैं, जहां इस वायरस को पनपने का माकूल माहौल मिल जाता है। यदि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत नहीं है तो विंटर फ्लू के वायरस कुछ समय के लिए आपको परेशान कर सकते हैं।
  •  फ्लू से संक्रमित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्तियों में इसका वायरस तेजी से फैलता है। इससे बचाव का एक सरल तरीका यह भी है कि जब वह व्यक्ति खांसे, छींके या बात करे तो आप उससे छह फुट की दूरी बनाए रखें।
  • बच्चों बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जहां यह वायरस अधिक तेजी से पनपता है और फ्लू की समस्या को खतरनाक स्तर पर पहुंचा देता है।
  • हृदय रोग से पीड़ित बुजुर्गों में तो इस वायरस से उभरने के बाद हार्ट अटैक तक का खतरा रहता है। दरअसल, बुजुर्गों को फ्लू के कारण अत्यधिक इनफेक्शन की शिकायत हो जाती है जो वायरस से मुकाबले के कारण होता है। इस वजह से उनके शरीर में कई पोशक तत्वों की कमी भी हो जाती है। यही कारण है कि हर साल फ्लू के ठीक बाद इनफेक्शन से उभरने वाले हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी स्थितियों के कारण होने वाली मौत दूसरा बड़ा कारण बन जाती है।
  • मोटापे जैसे गंभीर स्थितियां भी इनफेक्शन को बढ़ाती हैं और यह फ्लू को अधिक खतरनाक बना देती है।
  • फ्लू के कारण ब्रिटेन की महिलाओं में निमोनिया चौथा और पुरुषों में छठा सबसे जानलेवा रोग माना गया है।
  • विंटर फ्लू की महामारी किसी खास क्षेत्र में दो से तीन सप्ताह तक सक्रिय होते हुए पांच से छह सप्ताह तक बनी रहती है। इसके बाद यह जिस तेजी से आती है, उसी तेजी से गायब भी हो जाती है।
  •  नर्सिंग होम में यह बीमारी फैलना आम बात हैं और वहीं फ्लू के कारण कई लोग गंभीर लक्षणों तथा मौत तक की चपेट में आ जाते हैं।

लक्षण

  • बच्चों में कमजोर प्रतिरोधक क्षमता और साफ-सफाई का अभाव इसका मुख्य कारण है।
  • फ्लू के वायरस छींकने या खांसने के बाद छोटी छोटी बूंदों से फैलते हैं। इन बूंदों का आकार लगभग 1.5 माइक्रोमीटर होता है और ये सांस के जरिये नाक और फेफड़े तक पहुंचते हुए स्वस्थ लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। लिहाजा जहां सघन आबादी होती है, वहां इसका वायरस तेजी से फैलता है।
  • इसका एक और दिलचस्प पहलू है कि भूमध्यरेखा के पास वाले देशों में यह वायरस सालभर सक्रिय रहता है लेकिन मानसून या बरसात के मौसम में इसके मामले सर्वाधिक पाए जाते हैं।
  • सर्दियों के दौरान फ्लू के वायरस इतने सक्रिय होते हैं कि कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को दरवाजे के हैंडल, करेंसी नोट, हाथ मिलाने या सार्वजनिक चीजों के संपर्क में आने से भी यह अपनी चपेट में ले लेता है और फिर उन्हें एक सप्ताह से लेकर 17 दिनों तक परेशान कर सकता है।

विंटर फ्लू से बचाव के उपाय

  • फ्लू से बचाव के लिए टीका अब तक सबसे कारगर माना गया है। हालांकि यह आपको फ्लू से 50-60 फीसदी तक ही बचा सकता है लेकिन जब आप इसकी चपेट में आते हैं तो टीकाकरण के कारण आप इसके गंभीर लक्षणों की चपेट में आने से बच जाते हैं। इसका क्वाड्रिवैलंट टीका मांसपेशियों के बजाय त्वचा में लगाया जाता है इसलिए यह कम दर्द देता है और चार तरह के वायरसों से रक्षा करता है। 
  • नाक से स्प्रे लेने वाले टीके का इस्तेमाल 2 साल से लेकर 49 साल तक के व्यक्ति कर सकता है। हालांकि गर्भवती महिलाओं, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों और डायबिटीज, दिल या किडनी की बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • भारत में इनहेल्ड फ्लू वैक्सीन अभी उपलब्ध भी नहीं है और हम ट्राईवेलेंट और क्वाड्रावेलेंट इंट्रा मस्कुलर इंजेक्शन पर ही निर्भर हैं। छह माह से आठ साल के बच्चों को फ्लू से सुरक्षा के लिए टीके की दो खुराक दी जाती है।इसके अलावा कई एंटीवायरल दवाएं भी हैं जो एंटीबायोटिक्स से अलग होती हैं और इस वायरस के लक्षणों की गंभीरता और अवधि को कम कर सकती हैं। फ्लू की चपेट में आने से दो दिन के अंदर इनका सेवन करने से ये ज्यादा कारगर होती हैं।
  • अब कई दवाइयां भी विकसित हो चुकी हैं जो इस वायरस के कई रूपों पर काबू पाने में सफल रही हैं।

ध्यान देने योग्य बातें

  • फ्लू से मुक्त रहने के लिए सबसे ज्यादा साबुन और पानी से साफ-सफाई पर ध्यान दें। साबुन-पानी उपलब्ध न हो तो अल्कोहल से बने हैंड रब का इस्तेमाल करें।
  • पीड़ित व्यक्ति के बर्तन में खाना न खाएं या उन बर्तनों को इस्तेमाल करने से पहले गरम पानी और साबुन से जरूर धो लें।
  • सुनिश्चित कर लें कि फोन, कंप्यूटर कीबोर्ड, रिमोर्ट कंट्रोल, लाइट स्विच, दरवाजों के हैंडल आदि जैसी संपर्क वाली चीजों को संक्रमणमुक्त रखा जाए।
  • दूसरों की कलम इस्तेमाल करने के बजाय अपनी कलम रखें। सुपरमार्केट या एयरलाइन की ट्रॉलियों को इस्तेमाल करने से पहले उनके हैंडल को अच्छी तरह वेट टिश्यू से पोंछ लें।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से भी आप फ्लू से बचे रह सकते हैं। मेटाबॉलिज्म बढ़ाने और शरीर का तापमान स्थिर रखने के लिए शरीर को अधिक पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है। इसलिए खानपान अच्छा रखें।
  • विटामिन सी और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त चीजें खाएं जिनमें एलर्जी से लड़ने वाले प्राकृतिक एंटी-इनफ्लेमेटोरी तत्व हों। ओमेगा-3 के अच्छे स्रोतों में सोयाबीन, लौकी के बीज, अखरोट और सामन मछली शामिल हैं।
  • मांसाहारियों के लिए मछली सबसे अच्छा विकल्प है। फलों का रस और ग्रीन टी को अपने खानपान में शामिल करें क्योंकि इनमें विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते हैं जो एलर्जी से मुकाबला करने में मदद करते हैं।
  • जॉगिंग, दौड़ लगाना या तेज कदम से टहलना जैसे व्यायाम आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। अतः सर्दियों में लोगों को व्यायाम का सख्त पालन करना चाहिए।
  • (डॉ. गौरव जैन, सीनियर कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से बातचीत पर आधारित)
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