देश में एनसीडी के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए अंतः क्षेत्रवार प्रयासों एवं सार्वजनिक और निजी सेक्टरों के सहयोगों की आवश्यकता : स्वास्थ्य सचिव

राष्ट्रीय गैर संचारी रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम के संशोधित प्रचालनगत दिशानिर्देशों को अधिक व्यापक कवरेज के साथ जारी किया गया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज यहां विश्व उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) दिवस  के अवसर पर 2025 तक उच्च रक्तचाप तथा मधुमेह वाले 75 मिलियन लोगों की जांच करने और उन्हें मानक देखभाल के तहत लाने की एक महत्वाकांक्षी पहल आरंभ की। इसकी घोषणा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ द्वारा आयोजित जी20 सह-ब्रांडेड कार्यक्रम ‘‘उच्च रक्तचाप तथा मधुमेह की रोकथाम और प्रबंधन में तेजी लाना” में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के विशेष सचिव श्री एस. गोपालकृष्णन की उपस्थिति में की गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस और डब्ल्यूएचओ एसईएआरओ की निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने वर्चुअल तरीके से इस कार्यक्रम को संबोधित किया।

इस नवोन्मेषी स्कीम को रेखांकित करते हुए, डॉ. पाल ने कहा कि यह प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्तर पर आरंभ एक समुदाय आधारित दृष्टिकोण के साथ विश्व में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम में एनसीडी का सबसे बड़ा विस्तार होगा। उन्होंने कहा कि यह संसाधनों के आवंटन, क्षमता में वृद्धि, गतिशीलता और बहु-क्षेत्रवार सहयोग द्वारा एनसीडी पर ध्यान देने के सरकार के स्पष्ट संकल्प को इंगित करता है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व के तहत, भारत अमृत काल में अगले 25 वर्षों में एक विकसित देश बन जाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। इस लक्ष्य को अर्जित करने की दिशा में, भारत विकसित देशों के समकक्ष जीवन प्रत्याशा, मातृ मृत्यु दर, एनसीडी जैसे सामाजिक संकेतकों में परिणाम प्राप्त करने का प्रयत्न कर रहा है। आम बजट 2023-2024 के आउटकम बजट दस्तावेज में पहली बार उच्च रक्तचाप और मधुमेह उपचार का प्रावधान किया गया है जो आउटपुट संकेतकों के रूप में उच्च रक्तचाप और मधुमेह कवरेज सेवाओं में तेजी लाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

डॉ. पॉल ने उल्लेख किया कि एनसीडी के विरुद्ध लड़ाई प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्तर के माध्यम से लड़ी जानी है और बताया कि भारत ने 1.5 लाख से अधिक एचडब्ल्यूसी के सृजन तथा टेलीमेडिसिन और डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के प्रचालन के माध्यम से इसके प्रकोप का मुकबला करने के लिए एक मंच का सृजन किया है।

उच्च रक्तचाप की रोकथाम और प्रबंधन में तेजी लाने के लिए डॉ. वी. के. पॉल ने राज्य की टीमों से अनुरोध किया कि वे सभी एसओपी का विशेष रूप से एसओपी की स्क्रीनिंग को जमीनी स्तर पर सही तरीके से करें, क्योंकि स्क्रीनिंग ही किसी भी रोग के सफल प्रबंधन की आधारशिला है। बहरहाल, उन्होंने कहा कि केवल स्क्रीनिंग ही पर्याप्त नहीं है। उन्होंने सभी हितधारकों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि निदान किए गए कम से कम 80 प्रतिशत लोगों को उपचार किया जाए। इस प्रयास में निजी सेक्टर के सहयोग की आवश्यकता और महत्वाकांक्षी लक्ष्य अर्जित करने के लिए मॉडलों का निर्माण तथा विभिन्न प्राथमिक बाधाओं को दूर करने के लिए शैक्षणिक और अनुसंधान क्षेत्र के योगदान की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।

डॉ. पॉल ने इस बात पर भी बल दिया कि रोकथाम के लिए अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है जिसमें अच्छा खाना खाने, व्यायाम करने और अन्य वेलनेस अभ्यासों के माध्यम से जीवन शैली में बदलाव शामिल हैं। उन्होंने सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से इस प्रयास को और अधिक दृष्टिगोचर बनाने के लिए एक जनआंदोलन की आवश्यकता तथा देशों को ‘‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” की भावना से मिल जुल कर काम करने और एक दूसरे की सफलताओं को साझा करने की जरुरत भी रेखांकित की।

इस विलक्षण पहल पर भारत को बधाई देते हुए डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा कि भारत सरकार का 2025 तक उच्च रक्तचाप वाले 75 मिलियन लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में मानक देखभाल के तहत लाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए विश्व में एनसीडी का सबसे बड़ा कवर है।

अपने वर्चुअल संबोधन में डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने भी महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य देखभाल पहलों को लांच करने के लिए भारत सरकार को बधाई दी। उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की सराहना की और एक उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में 1.5 लाख से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्रों के प्रचालनगत होने को रेखांकित किया। उन्होंने एनसीडी नियंत्रण में तेजी लाने के लिए एक नए तथा प्रभावी क्षेत्रीय रोडमैप का निर्माण करने के लिए दक्षिणपूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से भी अपील की।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने अर्थव्यवस्था, समाजगत बलों और महामारी विज्ञान बलों के बीच परस्पर क्रिया को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में 7 प्रतिशत से अधिक की आर्थिक वृद्धि दर के साथ, भारत में लोगों की औसत जीवन प्रत्याशा उल्लेखनीय रूप से बढ़ कर आज लगभग 70 पर पहुंच गई है। आबादी के एक बड़े हिस्से की जीवनशैली पहले की तुलना में अधिक गतिहीन हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि एनसीडी की समस्या का समाधान एक समाजगत दृष्टिकोण में निहित है जहां जागरूकता, रोकथाम, स्वास्थ्य संवर्धन और वेलनेस को एक समेकित रूप में देखा जाता है। उन्होंने ‘‘ देश में एनसीडी के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए अंतः क्षेत्रवार प्रयासों एवं सार्वजनिक और निजी सेक्टरों के सहयोगों की आवश्यकता ‘‘ पर भी बल दिया।

75/25 पहल के अतिरिक्त, 40,000 प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सा अधिकारियों को समुदाय के निकट स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को प्रदान करने के लिए एनसीडी के लिए मानक उपचार कार्यप्रवाह पर प्रशिक्षित करने के लिए सशक्त पोर्टल भी लांच किया गया। राष्ट्रीय गैर संचारी रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) के संशोधित प्रचालनगत दिशानिर्देशों को अधिक व्यापक कवरेज के लक्ष्य के साथ जारी किया गया। यह कार्यक्रम अब उच्च रक्तचाप और मधुमेह तथा ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल सहित तीन सामान्य कैंसरों के अतिरिक्त क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पुलमोनरी रोग (सीओपीडी) और अस्थमा, क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग (एनएएफएलडी), एसटी इलेवेशन ऑफ मायोकार्डियल इनफ्रक्शन (एसटीईएमई) के लिए भी सेवाएं प्रदान कर रहा है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री विशाल चौहान, भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि डॉ. रोडरिको एच ओफरिन ऑफरिन, जी20 प्रतिनिधियों, डब्ल्यूएचओ एसईएआरओ देशों के प्रतिभागियों, डब्ल्यूएचओ, यूएन तथ अन्य संगठनों के उच्च रक्तचाप और मधुमेह पर काम करने वाले अंतर्राष्ट्रीय साझीदारों, राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों, राष्ट्रीय एनसीडी साझीदारों और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। 

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