चक्रधर शुक्ल

बच्चों की दुनिया है न्यारी,
महक रही देखो फुलवारी।
पुस्तक की कविताएँ पढ़ते,
शिक्षा मिलती, कभी न लड़ते।
पूज्य गुरु को किया समर्पित,
पुस्तक होगी निश्चित चर्चित।
प्रथम बाल पुस्तक है आई,
उमेश जी को बहुत बधाई।।
इसमें सत्ताइस कविताएँ,
बच्चे पढ़कर इनको गाएं।
वृक्ष हमारे सच्चे-साथी,
चूहा, चिड़िया, बंदर, हाथी।।
ऑक्सीजन हमको देते हैं,
बदले में वो क्या लेते हैं ?
मोबाइल की महिमा न्यारी
फोटो भेज रही महतारी।।
मंजिल पाकर ही दम लेंगे,
दुश्मन को टक्कर हम देंगे।
एक लाइब्रेरी भी होगी,
जिसमें नंदन, चंपक होंगी।
जंगल का अखबार चलेगा,
तब जंगल स्मार्ट बनेगा।
सहज, सरल है इसकी भाषा,
जगा रही मन में अभिलाषा।।
सुंदर चित्र, छपाई है जी,
प्रियवर तुम्हें बधाई है जी।
पुस्तक दिया, मेरा मन हर्षा,
बाल जगत में होगी चर्चा।
छंद-बद्ध सारी कविताएँ,
बच्चे विद्यालय में गाएँ।
कहीं-कहीं मात्रा कम-ज्यादा,
पढ़ने में आती है बाधा।।
अंग्रेजी शब्दों से बचना,
शीर्षक हिंदी में ही रखना।
अक्षर पब्लिशर्स से आई,
सिरसवारी तुम्हें बधाई।।
स्मार्ट जंगल
बाल कविता संग्रह
कृतिकार- डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
संस्करण वर्ष- 2020