शीघ्र ही सारे देश से टोल टैक्स गेट हटाए जाएंगे अनावश्यक देरी व लाइन लगने की बाधा होगी खत्म

-जून 2025 से सेटेलाइट आधारित टोल टैक्स कलेक्शन सिस्टम प्रारंभ-

अब अति शीघ्र ही सारे छत्तीसगढ़ सहित सारे देश में फास्टैग व टोल टैक्स के सारे गेट हटा दिए जाएंगे। इसके लिए सारी तैयारियां हो चुकी है।  इसके प्रथम चरण में आगामी जून 2025 से नए टोल टैक्स कलेक्शन रूल की व्यवस्था प्रारंभ हो जाएगी। सड़कों पर बढ़ती दुर्घटनाओं एवं सफर में अनावश्यक समय के अपव्यय को देखते हुए ट्रैफिक के रूल और नियम कायदों पर सरकार नित नए  प्रयोग व दुर्घटना रहित‌ सफर के लिए उपाय कर रही है। देश में पिछले कुछ समय से लगातार टोल टैक्स से संबंधित जानकारी सामने आ रही है कि टोल कटने का तरीका जल्दी ही बदलने वाला है। अब सरकार टोल टैक्स कलेक्शन के लिए नई टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है। पहले कैश उसके बाद फास्टैग के जरिए टोल टैक्स काटा जाता था जिससे कि आपके समय की भी काफी खपत होती है। लेकिन नए टोल कलैक्शन सिस्टम के बाद से आपको ऐसी कोई दिक्कत नही आने वाली है।

आइए जान लें कि कब शुरू होगा नया टोल सिस्टम और कैसे कटेगा आपका टोल टैक्स… 

टोल प्लाजा पर कई-कई देर इंतजार करने वालों में लगभग हर व्यक्ति शामिल है। चाहे फिर वो खुद वाहन चला रहा हो या फिर किसी के साथ ट्रेवल कर रहा हो। इस स्थिति का सामना तो लगभग सभी ने किया ही है। लेकिन अब इस समस्या को टाटा बाय-बाय करने का समय आ गया है। क्योंकि सारे देश में जल्द ही नए टोल सिस्टम की शुरूआत होने वाली है जिससे कि ये टोल गेट वगैरह हट जाएंगे और पूरे नए तरीके से आपका टोल टैक्स काटा जाएगा। इस नए सिस्टम के बाद से आपको टोल प्लाजा पर कतार में लगने जैसी समस्याओं से नही झूझना पड़ेगा, बल्कि सैटेलाइट की रेंज में आने से टोल का भुगतान अपने आप हो जाएगा। नए टोल सिस्टम की टेस्टिंग के लिए अगले सप्ताह कुछ गाड़ियों को ऑन-बोर्ड यूनिट यूनिट के साथ पेश करने की तैयारी चल रही है। ऑन बोर्ड यूनिट यूनिट एक ट्रैकर डिवाइस के जैसे काम करेगा जो सैटेलाइट तक आपकी गाड़ी का सिग्नल पहुंचाएगा। नए टोल सिस्टम के लागू होने के बाद मौजूदा आरएफआईडी आधारित फास्टैग सिस्टम को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।

क्या है जीपीएस बेस्ड टोल सिस्टम की खासियत, कैसे करेगा काम ?

 बहुत से लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर ये नया सिस्टम काम कैसे करेगा…? कैसे पता चलेगा कि कौन सा वाहन कहां से कहां तक की दूरी तय कर रहा है तो आपको बता दें कि नए सिस्टम में जीपीएस होगा जो कि इस काम को बेहद आसान बना देगा। इससे ये साफ पता चल जाएगा कि कौन से वाहन ने कितना ट्रेवल किया है। नए टोल सिस्टम की मुख्य विशेषता यह है कि गाड़ियों की आवाजाही की निगरानी के लिए सैटेलाइट या कुछ सैटेलाइट्स के समूह की मदद ली जाएगी। यात्रा की सटीक दूरी केआधार पर टोल या उपयोगकर्ता शुल्क को तय किया जाएगा। बता दें कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम का उपयोग करके टोल संग्रह की अनुमति देने के लिए एनएच शुल्क नियमों में संशोधन किया है। जानकारी के मुताबिक नए टोल सिस्टम को लागू करने के लिए भारतीय सैटेलाइट नाव0 का उपयोग किया जाएगा। मौजूदा समय नए टोल सिस्टम की टेस्टिंग के लिए कुछ गाड़ियों को ऑन-बोर्ड यूनिट के साथ चलाया जाएगा, लेकिन आपको कब तक इसे अपनी गाड़ी में लगाना होगा, आइए जानते हैं।

ऑन-बोर्ड यूनिट लगवाना अनिवार्य

अब टोल टैक्स लेने के लिए नए सिस्टम को चलाया जाएगा  तो जाहिर सी बात है कि इसके लिए वाहनों को भी अब उसी हिसाब से तैयार किया जाना है। सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम काम करे इसलिए गाड़ियों में ऑन-बोर्ड यूनिट लगवाना अनिवार्य होगा। वैसे जानकारी के लिए बता दें कि आने वाले कुछ सालों में नई गाड़ियां प्री-फिटेड ऑन-बोर्ड यूनिट के साथ आने लगेंगी। वहीं मौजूदा गाड़ियों में बाहर से ऑन-बोर्ड यूनिट लगवाया जा सकेगा। ऑन-बोर्ड यूनिट को फास्टैग की तरह जारी किया जाएगा और इसका काम इशुइंग अथॉरिटी को सौंपा जाएगा।

सबसे पहले ट्रकों में लगाए जाएंगे ओबीयू

इस नए सिस्टम के तहत सैटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम के लिए सबसे पहले ऑन-बोर्ड यूनिट को ट्रकों, बसों और खतरनाक सामान के जाने वाले वाहनों में लगाया जाएगा। इसके बाद अन्य तरह के कमर्शियल वाहनों को अगले चरण में शामिल किया जाएगा। हालांकि, निजी वाहनों को 2026-27 में अंतिम चरण के तहत नए टोल सिस्टम में शामिल किया जाएगा। ये नया टोल सिस्टम पूरे सिस्टेमैटिक तरीके से लॉन्च किया जाएगा।

अगले साल से शुरू होगा नया टोल कलेक्शन सिस्टम

इस सिस्टम के बारे में जानने के बाद वाहन चालकों में ये जानने की उत्सुक्ता बढ़ गई है कि ये नया टोल कलेक्शन सिस्टम कब से लागू होने वाला है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम को जून 2025 तक 2,000 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू किया जाएगा। इसे नौ महीनों में 10,000 किलोमीटर,पंद्रह महीनों में 25,000 किलोमीटर और दो सालों में 50,000 किलोमीटर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। नए टोल सिस्टम का कार्य प्रगति पर है।इसके लिए केंद्र सरकार की राजमार्ग-स्वामित्व वाली एजेंसियों ने राष्ट्रीय राजमार्गों की लगभग पूरी लंबाई की जियो-फेंसिंग पूरी कर ली है। टोल कैलकुलेशन के उद्देश्य से सटीक एंट्री और एग्जिट पॉइंट को चिह्नित करने के लिए जियो-फेंसिंग महत्वपूर्ण है। बता दें कि भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई लगभग 1.4 लाख किलोमीटर है, जिसमें से लगभग 45,000 किलोमीटर पर टोल वसूला जाता है। अगले साल से ये सारा टोल नए टोल कलेक्शन सिस्टम के जरिए काटा जाने वाला है।

सुरेश सिंह बैस "शाश्वत"
सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”
आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »