बिहार में रविवार को हुए बड़े छात्र प्रदर्शन के बाद चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर, उनकी जन सुराज पार्टी, कुछ कोचिंग सेंटर मालिकों और 700 अज्ञात प्रदर्शनकारियों पर केस दर्ज किया गया है। इन पर आरोप है कि उन्होंने “अनधिकृत रूप से” भीड़ इकट्ठा की, उकसाया और कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी की।

गांधी मैदान पर हंगामा और झड़प
पुलिस के मुताबिक, जन सुराज पार्टी ने बिना अनुमति के प्रदर्शन मार्च निकाला और गांधी मैदान के पास भीड़ को लेकर पहुंचे। वहां प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के लाउडस्पीकर तोड़े और ड्यूटी पर तैनात मजिस्ट्रेट और पुलिसकर्मियों से झड़प की।
पुलिस का कहना है, “प्रशासन द्वारा बार-बार अनुरोध के बावजूद इन लोगों ने नियमों का उल्लंघन किया और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित की।”
छात्रों की मांग और पुलिस कार्रवाई
रविवार को बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के अभ्यर्थियों ने 70वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के पेपर लीक के आरोपों के बाद दोबारा परीक्षा कराने की मांग को लेकर गांधी मैदान में प्रदर्शन किया। इसके बाद छात्र जेपी गोलंबर की ओर बढ़े और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास तक पहुंचने का इरादा जताया।
प्रशांत किशोर ने छात्रों का पूरा समर्थन किया और उनके साथ जेपी गोलंबर तक मार्च में हिस्सा लिया। उन्होंने घोषणा की कि छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्य सचिव से मिलेगा। लेकिन छात्रों ने मुख्यमंत्री से मिलने की जिद की, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा।
“छात्र संसद” पर विवाद
इससे पहले प्रशांत किशोर ने गांधी जयंती के मौके पर शनिवार को गांधी मैदान में “छात्र संसद” का आयोजन करने की घोषणा की थी, जहां छात्रों की समस्याओं पर चर्चा और भविष्य की रणनीति तय होनी थी। लेकिन प्रशासन ने इस कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी।
जन सुराज का नया रूप और मिशन
जन सुराज, जिसने इस साल अक्टूबर में खुद को एक राजनीतिक पार्टी के रूप में पुनर्गठित किया, बिहार के अगले विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है।
दो साल तक राज्यभर में यात्रा और व्यापक जनसंपर्क के बाद प्रशांत किशोर ने इस समूह को पार्टी में बदला। उन्होंने कहा था कि यह पार्टी चुनावी राजनीति में एक नया आयाम लाएगी, जहां फोकस मुफ्त सुविधाओं से हटकर वास्तविक मुद्दों पर होगा, जो चुनावी एजेंडे का हिस्सा बनना चाहिए।