भारत का स्पेस स्टेशन: ISRO का SpaDeX मिशन बना ऐतिहासिक कदम

तीन देशों के बाद भारत की बारी: स्पेस डॉकिंग की ओर पहला कदम

अब तक केवल तीन देश – अमेरिका, रूस और चीन – अंतरिक्ष में दो स्पेसक्राफ्ट या सैटेलाइट को डॉक करने की क्षमता रखते हैं। लेकिन अब भारत भी इस उपलब्धि के करीब है। इसरो (ISRO) का साल 2024 का आखिरी मिशन, SpaDeX (Space Docking Experiment), 30 दिसंबर को रात 10 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया।

दुनिया में वर्तमान में केवल दो सक्रिय स्पेस स्टेशन हैं:

  1. अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) – जिसे अमेरिका (NASA) और रूस (Roscosmos) ने मिलकर बनाया है, और इसमें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का भी योगदान है।
  2. तियांगोंग स्पेस स्टेशन – जिसे चीन ने बनाया है।

भारत का सपना है कि वह “भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन” (Bharatiya Antriksh Station) 2035 तक स्थापित करे।

स्पेस डॉकिंग: अंतरिक्ष विज्ञान का सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू

हर बार जब अंतरिक्ष यात्री अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर जाते हैं, तो उनके स्पेसक्राफ्ट को डॉकिंग प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है। यह एक अत्यंत जटिल प्रक्रिया है, जहां छोटी-सी गलती भी बड़ा हादसा बन सकती है।

इस प्रक्रिया का एक अद्भुत उदाहरण साइंस-फिक्शन फिल्म “इंटरस्टेलर” में देखने को मिला था। फिल्म में, एक छोटी-सी गलती के कारण अंतरिक्ष स्टेशन अनियंत्रित स्पिन में चला गया था। इसी तरह, ISRO का SpaDeX मिशन भी दो सैटेलाइट्स के बीच डॉकिंग, इंटरलॉकिंग, प्रेशर जांच और अनडॉकिंग को अंजाम देगा।

SpaDeX मिशन के मुख्य तथ्य

SpaDeX मिशन में ISRO ने दो स्पेसक्राफ्ट तैयार किए हैं:

  • चेसर (SDX01): जिसका काम लक्ष्य तक पहुंचना है।
  • टारगेट (SDX02): जिससे चेसर को डॉक करना है।

दोनों स्पेसक्राफ्ट का वजन 220 किलोग्राम है। इनका उद्देश्य पृथ्वी के चारों ओर तेज गति से चक्कर लगाते हुए डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करना है।

SpaDeX मिशन की टाइमलाइन

  • लॉन्च: 30 दिसंबर, रात 10 बजे, श्रीहरिकोटा से।
  • रॉकेट: PSLV-C60, जो दोनों सैटेलाइट्स को लगभग 475 किमी की ऊंचाई पर लो-अर्थ ऑर्बिट में पहुंचाएगा।
  • डॉकिंग प्रक्रिया: जनवरी के पहले हफ्ते में।

पहले चरण में दोनों सैटेलाइट्स 20 किमी की दूरी पर अलग-अलग परिक्रमा करेंगे। इसके बाद वैज्ञानिक बेंगलुरु के मिशन कंट्रोल से सटीक और जटिल डॉकिंग प्रक्रिया शुरू करेंगे।

SpaDeX मिशन के उद्देश्य

  1. अंतरिक्ष में रेंडेजवस, डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक विकसित करना।
  2. डॉकिंग के बाद बिजली का स्थानांतरण प्रदर्शित करना, जो भविष्य में इन-स्पेस रोबोटिक्स के लिए आवश्यक है।
  3. स्पेसक्राफ्ट का रिमोट कंट्रोल और नियंत्रण।
  4. अनडॉकिंग के बाद पेलोड ऑपरेशन।

भविष्य की योजनाएं

SpaDeX मिशन भारत के चंद्रयान-4 और भविष्य के मून मिशन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, यह भारत के RLV (रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल) को डॉकिंग क्षमता देने में मदद करेगा, जो नासा के स्पेस शटल की तरह है।

SpaDeX मिशन की सफलता भारत को दुनिया का चौथा ऐसा देश बना देगी, जो अंतरिक्ष में डॉकिंग की तकनीक में महारत रखता है। यह भारत के अपने स्पेस स्टेशन के सपने की नींव रखने वाला कदम है।

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