न रहे विशिष्ट भाषा का पूर्वाग्रह

-21 फरवरी अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष-

प्रतिवर्ष 21 फरवरी के दिन अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है । इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व में भाषायी एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा मिले। मातृभाषा के महत्ता  इसी  बानगी में देखिए की मातृभाषा के लिए एक देश के दो टुकड़े हो गए। जब हमारा देश आजाद हुआ तब पाकिस्तान दो भागों में विभक्त था एक पूर्वी पाकिस्तान और दूसरा पश्चिमी पाकिस्तान। आज जो बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र देश के रूप में जाना जाता है वही पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था और बांग्ला भाषा यानी मातृभाषा के लिए वहां के लोगों ने क्रांति का बीजारोपण किया और अपनी भाषा के लिए उन्होंने पाकिस्तान से विद्रोह करके अपना अलग देश स्थापित कर लिया। हालांकि सब के पीछे और भी कारण थे लेकिन अपनी मातृभाषा यानि बांग्ला भाषा को सर्वोत्तम स्थान देने के लिए भी इस देश में हुए क्रांति के पीछे  अहम भूमिका रही।

अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की घोषणा से बांग्लादेश के भाषा आन्दोलन दिवस को अन्तरराष्ट्रीय स्वीकृति मिली, जो बांग्लादेश में सन १९५२ से मनाया जाता रहा है। बांग्लादेश में इस दिन एक राष्ट्रीय अवकाश होता है। २००८ को अन्तरराष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए, संयुक्तराष्ट्र आम सभा ने अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्त्व को फिर दोहराया है।

वर्तमान विकट स्थिति के बावजूद भारत मातृभाषा आधारित शिक्षा को मान्यता देती है। क्योंकि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के शुरुआती चरण से लेकर उच्च शिक्षा तक मातृभाषा आधारित शिक्षा को मान्यता देती है । इससे इन भाषाओं को दीर्घावधि तक बनाए रखने में मदद मिल सकती है, हालाँकि भाषा के न्याय के प्रश्न का समाधान करना और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि भाषा शिक्षा के लिए कोई बाधा नहीं है। भारत में मध्य प्रदेश के और उत्तर प्रदेश के बहुत बड़े क्षेत्र में बुंदेलखंड में बुंदेलखंडी भाषा बोली जाती है। और इसके बोलने वाले यद्यपि बहुत हैं। तथापि बच्चों में अन्य भाषाओं के प्रति लगाव रहा है, इसलिए इसके लिए  बुंदेलखंडी भाषा के उन्नयन तथा शासकीय प्रयोजनों में बोलने की कोशिश करना आवश्यक है। आज 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है।

दुनियाभर में भाषा एक ऐसा साधन है, जो लोगों को एक दूसरे से जोड़ता है और उनकी संस्कृति को प्रदर्शित करता है। एक देश में कई मातृभाषा हो सकती हैं। भारत में ही 122 ऐसी भाषाएं हैं, जिनको बोलने वालों की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। वहीं 29 भाषाएं ऐसी हैं, जिन्हें 10 लाख लोग बोलते हैं। भाषाओं में हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, पंजाबी,ओड़िया अरबी,गुजराती, मराठी, मलयालम, तमिल, तेलुगू जापान,रूसी, पुर्तगाली, मंदारिन और स्पैनिश बोली जाती हैं। विश्व में भाषाई व सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए और कई मातृ भाषाओं के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से प्रति साल 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1999 में यूनेस्को ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया था। पहली बार इस दिन को मनाने की शुरुआत बांग्लादेश ने की थी। बाद में वर्ष 2000 से विश्व भर में यह दिन मनाया जाने लगा।

 जब 1947 में भारत से अलग होकर पाकिस्तान बना तो भौगोलिक रूप से दो हिस्सों में बांटा गया। पहला -पूर्वी पाकिस्तान और दूसरा पश्चिमी पाकिस्तान। पाकिस्तान ने उर्दू में देश की मातृभाषा घोषित किया। लेकिन पूर्वी पाकिस्तान में बांग्ला भाषा अधिक होने के कारण उन्होंने बांग्ला को अपनी मातृभाषा बनाने के लिए संघर्ष शुरू किया। बाद में पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बन गया। 21 फरवरी को उनका संघर्ष पूरा हुआ और बांग्लादेश की वर्षगांठ भी इसी दिन से मनाई जाने लगी।

भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो भारत विविध संस्कृति और विभिन्न भाषाओं का देश है। 1961 की जनगणना के मुताबिक, भारत में लगभग 1652 भाषाएं बोली जाती हैं। हालांकि एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल भारत में लगभग 1365 मातृभाषाएं हैं, जिनका क्षेत्रीय आधार अलग- अलग है। हिंदी दूसरी सबसे लोकप्रिय मातृभाषा है। देश में लगभग 43 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं, इसमें लगभग 12 फीसद द्विभाषी है। इस 2024 वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। हालाँकि, उत्सव का मूल विचार मातृभाषाओं के बारे में जागरूकता फैलाना और समावेशिता को प्रोत्साहित करना है। चूँकि बांग्लादेश का अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के साथ ऐतिहासिक संबंध है, इसलिए इसे दु:खद गोलीबारी की याद में और उन शहीदों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने अपनी मातृभाषा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

 वैश्विक स्तर पर, अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस बहुभाषी शिक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने और प्रोत्साहित करने के लिए मौजूद है। जैसे अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के बारे में विभिन्न विषयों पर शोध करना, सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी साझा करना, और बहुभाषावाद पर व्याख्यान, कार्यक्रमों या कार्यशालाओं में भाग लेना। साहित्यिक कार्यक्रमों में भाग लेना, विभिन्न भाषाओं या अपनी मातृभाषा में बनी फिल्मों और किताबों को बढ़ावा देना, मातृभाषा के उपयोग को प्रोत्साहित करना या एक नई भाषा सीखना इस दिन को मनाने के कुछ और तरीके हैं। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2024 का थीम लुप्तप्राय भाषाओं के संरक्षण, बहू भाषावाद को बढ़ावा देने और भाषाई विरासत को बनाए रखने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना है। 

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस इस संदेश को प्रतिध्वनित करता है कि हमें कुछ भाषाओं के बारे में अपने किसी भी पूर्वाग्रह को बदलना होगा, और हमारी दुनिया पर मौजूद कई अलग-अलग संस्कृतियों और परंपराओं के पोषण के लिए समावेशिता का वातावरण बनाना होगा। ऐसा करने से, और अपनी मातृभाषा में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बढ़ाने से, रोजगार और विकास के अवसर पैदा होते हैं, और इस प्रकार हर किसी को अपनी संस्कृति और अपने देश के विकास में योगदान करने का मौका मिलता है।

सुरेश सिंह बैस "शाश्वत"
सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”
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