भारत की अंतरिक्ष तकनीक: सुशासन से लेकर वैश्विक नेतृत्व तक

भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अब सिर्फ़ रॉकेट लॉन्च तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पारदर्शिता, शिकायत निवारण और नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देकर शासन में एक नई क्रांति ला रही है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेटिक लीडरशिप’ द्वारा आयोजित ‘सुशासन के लिए अंतरिक्ष-तकनीक’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग शासन में अनुशासन और दक्षता लाने के लिए किया जा रहा है, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना कम हुई है और लालफीताशाही में भी गिरावट आई है।

अंतरिक्ष तकनीक से शासन में सुधार

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत की अंतरिक्ष क्षमताएँ केवल वैज्ञानिक अनुसंधान और मिशनों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये प्रत्यक्ष रूप से आम नागरिकों के जीवन को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने ‘स्वामित्व योजना’ का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे उपग्रह मानचित्रण के ज़रिए भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन को पारदर्शी बनाया गया है, जिससे नागरिकों को राजस्व अधिकारियों की अनावश्यक निर्भरता से मुक्ति मिली है।

राष्ट्रीय सुरक्षा और कृषि में अहम योगदान

भारत की अंतरिक्ष तकनीक न केवल राष्ट्रीय रक्षा, सीमा निगरानी और भू-राजनीतिक खुफिया जानकारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, बल्कि कृषि क्षेत्र को भी नए आयाम दे रही है। यह मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और संचार में भी अहम भूमिका निभा रही है। डॉ. सिंह ने बताया कि भारत के पड़ोसी देश भी हमारी उपग्रह प्रणालियों पर तेजी से निर्भर हो रहे हैं, जिससे भारत क्षेत्रीय अंतरिक्ष नेता के रूप में उभर रहा है।

वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की अग्रणी भूमिका

डॉ. जितेंद्र सिंह ने गर्व के साथ कहा, “अब वे दिन नहीं रहे जब हम दूसरों के नेतृत्व में चलते थे, अब भारत खुद दुनिया को राह दिखा रहा है।” उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता को भारत की अंतरिक्ष शक्ति का प्रतीक बताया, जिसने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाला पहला देश बना दिया।

अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी और आर्थिक विकास

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोला, जिससे न केवल सरकारी संस्थाओं बल्कि स्टार्टअप्स को भी प्रोत्साहन मिला। राष्ट्रीय अंतरिक्ष नवाचार और अनुप्रयोग (एनएसआईएल) और इन-स्पेस जैसी पहलें इसी दिशा में बड़ा कदम हैं। वर्तमान में भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8 बिलियन डॉलर तक पहुँच गई है और अगले कुछ वर्षों में यह 44 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। भारत का अंतरिक्ष बजट भी 2013-14 में 5,615 करोड़ से बढ़कर हाल ही में 13,416 करोड़ हो गया है, जो 138.93% की अप्रत्याशित वृद्धि दर्शाता है।

स्टार्टअप और अंतरिक्ष प्रक्षेपण में भारत का नेतृत्व

डॉ. सिंह ने बताया कि भारत के अंतरिक्ष स्टार्टअप इकोसिस्टम ने उल्लेखनीय प्रगति की है। पहले सिर्फ़ एक स्टार्टअप था, लेकिन अब 300 से अधिक स्टार्टअप इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। भारत ने अब तक 433 विदेशी उपग्रह लॉन्च किए हैं, जिनमें से 396 उपग्रह 2014 के बाद लॉन्च किए गए, जिससे भारत को 192 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 272 मिलियन यूरो का राजस्व प्राप्त हुआ।

भविष्य की योजनाएँ: गगनयान से लेकर चंद्र मिशन तक

भारत का अंतरिक्ष अन्वेषण अभियान अब और भी रोमांचक होने वाला है। 2025 के अंत तक गगनयान मिशन के तहत पहला रोबोटिक परीक्षण शुरू होगा, और चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन कर लिया गया है, जिनमें से एक को अमेरिका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) का दौरा करने का आमंत्रण मिला है। भारत 2035 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने का लक्ष्य बना रहा है।

एआई, क्वांटम टेक्नोलॉजी और बायोइंजीनियरिंग में भारत की प्रगति

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत सिर्फ़ अंतरिक्ष क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि एआई, क्वांटम प्रौद्योगिकी और बायोइंजीनियरिंग में भी दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, अंतरिक्ष मलबे की निगरानी और अन्य स्थिरता प्रयासों में भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया।

भारत की अंतरिक्ष यात्रा सिर्फ़ तकनीकी सफलता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नवाचार, आर्थिक वृद्धि और वैश्विक सहयोग की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। डॉ. जितेंद्र सिंह की यह घोषणा भारत को एक अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त संदेश देती है।

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