प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित नवकार महामंत्र दिवस के उद्घाटन समारोह में भाग लेते हुए कहा कि यह महामंत्र न केवल शांति का स्रोत है बल्कि आत्म-शुद्धि और वैश्विक सद्भाव का मार्ग भी है। उन्होंने कहा कि नवकार मंत्र की गूंज शब्दों से परे है और यह मन, चेतना और आत्मा के भीतर गहराई तक असर करती है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस मंत्र की आध्यात्मिक शक्ति को रेखांकित करते हुए इसे एक “ऊर्जा का एकीकृत प्रवाह” बताया जो स्थिरता, समभाव और चेतना के भीतर प्रकाश फैलाता है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे वर्षों पहले बेंगलुरु में आयोजित एक सामूहिक जाप कार्यक्रम ने उनके जीवन में अमिट छाप छोड़ी।
प्रधानमंत्री ने पंच परमेष्ठी – अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु – के दिव्य गुणों का उल्लेख करते हुए बताया कि नवकार मंत्र का पाठ करते समय हम उनके 108 दिव्य गुणों को नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि यह मंत्र हमें सिखाता है कि असली विजय अपने भीतर की नकारात्मकताओं पर होती है और यही आत्म-विजय का मार्ग है।


उन्होंने जैन धर्म के अनेक पहलुओं जैसे रत्नत्रय (सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र), 9 तत्व, 5 महाव्रत, और नवधा भक्ति की चर्चा करते हुए बताया कि जैन दर्शन और नवकार मंत्र भारत की विरासत को जीवित रखते हुए हमें एक आधुनिक, विकसित और आध्यात्मिक राष्ट्र के निर्माण की दिशा में प्रेरित करते हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन में नौ संकल्पों की भी घोषणा की, जिनमें जल संरक्षण, मातृभूमि के नाम एक वृक्षारोपण, स्वच्छता, वोकल फॉर लोकल, भारत की खोज, प्राकृतिक खेती, संयमित जीवन शैली, योग और खेलों को अपनाना तथा गरीबों की सेवा शामिल हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि जैन धर्म का सिद्धांत – परस्परोपग्रहो जीवनम् – आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने जैन समुदाय के योगदान और देश-विदेश में फैले अनुयायियों को इस आयोजन की सफलता के लिए बधाई दी।