काशी में गूंज रही है विकास की घंटी: परंपरा और प्रगति का संगम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अप्रैल को काशी में 3,880 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर यह स्पष्ट कर दिया कि काशी अब केवल आध्यात्मिक नगरी नहीं, बल्कि नए भारत का चमकता प्रतीक भी बन चुकी है। इस ऐतिहासिक नगर में जहां एक ओर विरासत की गूंज सुनाई देती है, वहीं दूसरी ओर आधुनिकता की धमक भी महसूस होती है।

वर्ष 2014 से मार्च 2025 तक, 48,459 करोड़ रुपये की लागत से कुल 580 विकास परियोजनाएं काशी को नई दिशा देने में लगी हैं। सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन—हर क्षेत्र में परिवर्तन की लहर है।

काशी की विकास यात्रा: समयरेखा में झलकती तरक्की

  • 2014: पावरलूम सेवा केंद्र की शुरुआत और सहकारी बैंकों को 2,375 करोड़ का पुनरुद्धार पैकेज।
  • 2015: शहर के सौंदर्यीकरण हेतु 572 करोड़ और संपर्क सड़कों के लिए 11,000 करोड़ की घोषणा।
  • 2016 से 2020: शिक्षा, हस्तशिल्प, बुनियादी ढांचे, सड़कों और धार्मिक धरोहरों के संरक्षण हेतु हजारों करोड़ की योजनाएं शुरू।
  • 2021 से 2024: विश्वनाथ धाम का उद्घाटन, रिवर क्रूज़ एमवी गंगा विलास, स्मार्ट सिटी परियोजनाएं, आधुनिक घाटों का विकास और बहुस्तरीय पार्किंग जैसी परियोजनाएं पूरी हुईं।
  • 2025: हाल ही में शुरू हुईं नई परियोजनाएं काशी को ग्लोबल स्तर पर एक आदर्श शहर के रूप में स्थापित करने की ओर अग्रसर हैं।

आध्यात्मिकता से आधुनिकता की ओर: पर्यटन में नया आयाम

  • काशी विश्वनाथ कॉरिडोर: गंगा घाट से मंदिर तक सीधी पहुँच, तीर्थयात्रियों के लिए दिव्य अनुभव।
  • टेंट सिटी: गंगा किनारे पर्यटन का अनोखा संगम।
  • रिवर क्रूज एमवी गंगा विलास: विश्व की सबसे लंबी रिवर क्रूज यात्रा—वाराणसी से डिब्रूगढ़।
  • धरोहरों का प्रकाशांकन: ऐतिहासिक स्मारकों को रात्रि में भी आकर्षक बनाने की पहल।

बुनियादी ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव

सड़कें, फ्लाईओवर, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, घाटों का पुनर्विकास, पार्किंग सुविधा—हर क्षेत्र में सुनियोजित प्रगति हुई है। जल जीवन मिशन से लेकर नमामि गंगे योजना तक, हर योजना वाराणसी को स्वच्छ, सुंदर और स्मार्ट बना रही है।

हथकरघा, हस्तशिल्प और कारीगरी को नई उड़ान

वाराणसी की बनारसी साड़ियाँ, गुलाबी मीनाकारी, लकड़ी की कलाकृतियाँ और हस्तनिर्मित खिलौनों को न केवल संरक्षित किया गया, बल्कि उन्हें वैश्विक पहचान भी दिलाई गई है। व्यापार सुविधा केंद्र और शिल्प संग्रहालय ने स्थानीय कारीगरों को बाज़ार से जोड़ा और उनकी कला को नया जीवन दिया।

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में ठोस पहल

बीएचयू में नए शिक्षा केंद्र, सुपरकंप्यूटिंग लैब, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए जल योजनाएं, आधुनिक स्पोर्ट्स स्टेडियम और ऊर्जा क्षेत्र में निवेश—इन सभी ने काशी को ज्ञान और स्वास्थ्य की नगरी भी बना दिया है।

काशी अब केवल मोक्ष की नगरी नहीं रही, यह भारत के विकास की मिसाल बन गई है। परंपरा को सहेजते हुए आधुनिकता की ओर बढ़ती यह नगरी न सिर्फ देशवासियों को गर्वित करती है, बल्कि विश्व पटल पर एक प्रेरणादायक कहानी भी रच रही है।

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