देश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय संबद्ध एवं स्वास्थ्य सेवा व्यवसाय आयोग (NCAHP) के सहयोग से दस प्रमुख संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा व्यवसायों के लिए योग्यता-आधारित पाठ्यक्रमों की शुरुआत की है। दिल्ली में आयोजित शुभारंभ कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्रीमती पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने इन पाठ्यक्रमों का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मंत्रालय की अपर सचिव सुश्री हेकाली झिमोमी और एनसीएएचपी की अध्यक्ष डॉ. यज्ञ उन्मेष शुक्ला भी उपस्थित रहीं।

इन पाठ्यक्रमों में फिजियोथेरेपी, एप्लाइड साइकोलॉजी व बिहेवियरल हेल्थ, ऑप्टोमेट्री, पोषण एवं आहार विज्ञान, डायलिसिस थेरेपी, रेडियोथेरेपी प्रौद्योगिकी, मेडिकल रेडियोलॉजी, एनेस्थीसिया एवं ऑपरेशन थिएटर तकनीक, हेल्थ इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट और फिजिशियन एसोसिएट्स जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
इस पहल का उद्देश्य शिक्षा में मानकीकरण, उत्कृष्टता, और देशभर में स्वास्थ्य पेशेवरों की गुणवत्ता में सुधार लाना है, ताकि भारत की उभरती स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके।
“भारत बना रहा है वैश्विक हेल्थ प्रोफेशनल्स का केंद्र”
अपने उद्घाटन भाषण में श्रीमती श्रीवास्तव ने कहा, “भारत न केवल अपने लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को कौशल प्रदान कर रहा है। आज शुरू किए गए पाठ्यक्रम विभिन्न संकायों में हेल्थ प्रोफेशनल्स के लिए एक राष्ट्रीय मानक तय करेंगे।”
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि इन पाठ्यक्रमों की सफलता केवल उनके डिजाइन पर नहीं, बल्कि सशक्त क्रियान्वयन प्रणाली पर भी निर्भर करती है – जिसमें संकाय प्रशिक्षण, संस्थानिक ढांचे का विकास और गुणवत्ता मानकों की सतत निगरानी शामिल हैं।
“एक राष्ट्र, एक पाठ्यक्रम” की ओर
एनसीएएचपी अध्यक्ष डॉ. यज्ञ शुक्ला ने कहा, “ये पाठ्यक्रम ‘एक राष्ट्र, एक पाठ्यक्रम’ के विजन को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह पाठ्यक्रमों के क्रियान्वयन का पहला चरण है, और एनसीएएचपी अधिनियम, 2021 के तहत अन्य व्यवसायों के लिए भी पाठ्यक्रम जल्द ही जारी किए जाएंगे।
2026 से इन पाठ्यक्रमों को अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा, और ये सभी एनसीएएचपी की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेंगे।
पाठ्यक्रम की चार मजबूत नींव:
- मानकीकरण: देशभर में एक समान गुणवत्ता वाले स्नातक तैयार करना।
- योग्यता-आधारित दृष्टिकोण: केवल सैद्धांतिक नहीं, बल्कि व्यावहारिक कौशल पर भी जोर।
- समग्र विकास: नैदानिक विशेषज्ञता के साथ संचार, टीमवर्क, नैतिकता और जीवनभर सीखने की आदत को बढ़ावा।
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का समर्थन: विशेष रूप से फिजियोथेरेपी और डायलिसिस जैसे क्षेत्रों में कुशल मानव संसाधन तैयार करना।
भविष्य की तैयारी
पाठ्यक्रमों को डिजिटल रूप में सार्वजनिक किया जाएगा, जिससे सभी शिक्षार्थियों और संस्थानों को आसानी से सामग्री उपलब्ध हो सके। इस पहल का लक्ष्य है – एक ऐसा सक्षम और प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यबल तैयार करना जो भारत को “स्वस्थ भारत” बनाने के राष्ट्रीय संकल्प में सहायक हो।
एक समर्पित दृष्टिकोण
इस अवसर पर देश भर की राज्य परिषदों के सदस्य और स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञ भी वर्चुअली शामिल हुए। उनकी सहभागिता इस तथ्य को रेखांकित करती है कि भारत एक मजबूत, सुसंगत और वैश्विक मानकों पर आधारित स्वास्थ्य शिक्षा प्रणाली की दिशा में तेजी से अग्रसर है।
पृष्ठभूमि में एनसीएएचपी की भूमिका
राष्ट्रीय संबद्ध एवं स्वास्थ्य सेवा व्यवसाय आयोग (एनसीएएचपी) एक सांविधिक निकाय है, जो संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवरों की शिक्षा और सेवा की गुणवत्ता को विनियमित करता है। इसका उद्देश्य स्वतंत्र, परस्पर सहयोगी और उच्च-स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल टीमों को विकसित करना है।