नई दिल्ली। विश्व टीकाकरण सप्ताह (24 से 30 अप्रैल) के अवसर पर भारत ने खसरा और रूबेला जैसी संक्रामक बीमारियों के उन्मूलन की दिशा में एक निर्णायक कदम उठाया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज राष्ट्रीय शून्य खसरा-रूबेला उन्मूलन अभियान 2025-26 का वर्चुअल शुभारंभ किया। इस अभियान का उद्देश्य वर्ष 2026 तक देश को इन दो गंभीर बीमारियों से पूर्णतः मुक्त करना है।

इस मौके पर श्री नड्डा ने बहुभाषी आईईसी सामग्री जैसे पोस्टर, रेडियो जिंगल, जागरूकता फिल्में आदि जारी कीं, जिन्हें देशभर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रचार के लिए भेजा गया है।
अपने संबोधन में श्री नड्डा ने कहा, “आज का दिन भारत के स्वास्थ्य इतिहास में एक मील का पत्थर है। हमारा लक्ष्य है कि हर बच्चे को खसरा और रूबेला के खिलाफ दो खुराकें देकर 100 प्रतिशत टीकाकरण कवरेज सुनिश्चित किया जाए।”
उन्होंने दोनों बीमारियों की तीव्र संक्रामकता को रेखांकित करते हुए कहा कि इन रोगों के कारण बच्चों का जीवन संकट में पड़ जाता है और परिवारों को पीड़ा का सामना करना पड़ता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रह जाए, यह हमारी प्राथमिकता है।
श्री नड्डा ने यह भी बताया कि वर्ष 2024 में भारत को “मीजल्स एंड रूबेला चैंपियन अवार्ड” से सम्मानित किया गया, जो हमारे टीकाकरण प्रयासों की वैश्विक मान्यता है। जनवरी से मार्च 2025 के दौरान देश के 332 जिलों में खसरे का और 487 जिलों में रूबेला का एक भी मामला सामने नहीं आया – यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
उन्होंने कहा कि “हमें खसरा-रूबेला को उसी प्रतिबद्धता के साथ खत्म करना होगा, जैसी हमने पोलियो और टेटनस के खिलाफ दिखाई थी।” उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ‘Act Now’ की रणनीति अपनाकर हर बच्चे तक पहुंचने की अपील की।
केंद्रीय मंत्री ने राज्य मंत्रियों, विधायकों, सांसदों, पंचायत प्रमुखों से लेकर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तक सभी से आह्वान किया कि वे जनभागीदारी से अभियान को जन आंदोलन बनाएं। उन्होंने विशेष रूप से मलिन बस्तियों, प्रवासी क्षेत्रों और दूरदराज़ इलाकों तक पहुंचने पर जोर दिया।
पृष्ठभूमि में भारत का संकल्प:
- टीकाकरण: देश के हर जिले में 95% से अधिक बच्चों को दो खुराकें देकर प्रतिरक्षा सुनिश्चित करना।
- निगरानी: संवेदनशील और समयबद्ध निगरानी तंत्र के माध्यम से हर मामले को चिन्हित करना।
- प्रतिक्रिया: किसी भी प्रकोप के लिए तैयार रहना और त्वरित प्रतिक्रिया देना।
- सहयोग: विभिन्न विभागों और समुदायों के साथ समन्वय।
- जागरूकता: मिथकों को तोड़कर, टीकाकरण के प्रति झिझक खत्म करना।
भारत में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के अंतर्गत प्रति वर्ष 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 2.6 करोड़ बच्चों का निःशुल्क टीकाकरण किया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत 12 गंभीर बीमारियों से सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है, जिनमें पोलियो, डिप्थीरिया, टेटनस, हेपेटाइटिस बी आदि शामिल हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए यू-विन डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से टीकाकरण का रिकॉर्ड रखा जा रहा है, जिससे प्रमाणपत्र बनाना और अपॉइंटमेंट बुक करना सरल हुआ है।
इस वर्चुअल शुभारंभ कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्रीमती पुण्य सलिला श्रीवास्तव, आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल, मिशन निदेशक एनएचएम श्रीमती आराधना पटनायक सहित देशभर के स्वास्थ्य अधिकारी शामिल हुए। श्री नड्डा ने अपने संबोधन के अंत में कहा, “अगर हम आज कार्य करेंगे, तो कल एक स्वस्थ भारत सुनिश्चित कर सकेंगे। यही हमारा कर्तव्य और संकल्प है।”