674 से बढ़कर 741 दुकानें हो जाएंगे
बिलासपुर: प्रदेश भर में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नई शराब पॉलिसी 2025 के तहत शराब दुकानों की संख्या बढ़ाई जा रही है। सरकार की इस शराब नीति का चौतरफा विरोध किया जा रहा है। विरोध करने वाले संगठनों का कहना है की सरकार ने चुनाव जीतने के पूर्व घोषणा किया था कि प्रदेश में हमारी सरकार आने के बाद शराब बंदी नीति लागू की जाएगी लेकिन शराब बंदी तो लागू नहीं हुई उल्टे सरकार ने शराब बिक्री के लिए शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने का निर्णय ले लिया जो किये गए वादे के बिल्कुल उलट है।

जिले में दस नई शराब दुकानें और चार प्रीमियम शॉप खोलने की तैयारी है। शासन के निर्देश पर कंपोजिट दुकानों (जहां देशी और विदेशी शराब एक साथ मिलती है) को अलग-अलग किया जाएगा। इसके तहत चांटीडीह, सकरी, तखतपुर, मस्तूरी, मल्हार और सीपत से देशी शराब की दुकानों को हटाकर नए क्षेत्रों में खोला जाएगा।साथ ही बरतोरी, कोडापुरी, तेंदुआ, भटचौरा, पचपेड़ी और खम्हरिया जैसे क्षेत्रों में जल्द ही नई दुकानें खोलने की तैयारी हो गई है।
– सहायक उपायुक्त, जिला आबकारी विभाग बिलासपुर
शराब नीति के तहत और शराब दुकान बढाने का विरोध
विदित हो छत्तीसगढ़ सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत अप्रैल 2025 से राज्य में 67 नई शराब दुकानें खोलने का निर्णय लेकर इस पर अमल भी शुरू कर दिया है। इसके साथ ही प्रीमियम शॉप के संचालन हेतु छत्तीसगढ़ न्यू एक्साईज पालिसी 2025 की भी अनुमति दी गई है। नई दुकानें खुलने से राज्य में शराब दुकानों की कुल संख्या 674 से बढ़कर 741 हो जाएगी। सरकार विरोध को को देखते हुए अपनी सफाई में इस संबंध में कहा है कि नई दुकानें सीमावर्ती इलाकों और ऐसे क्षेत्रों में खोली जाएंगी, जहां 30 किलोमीटर के दायरे में कोई शराब दुकान नहीं है। इसका उद्देश्य अवैध शराब के कारोबार को रोकना और सीमावर्ती क्षेत्रों में अन्य राज्यों की शराब की आवक को नियंत्रित करना है। जबकि इस निर्णय का विरोध करने वाले संगठनों का कहना है कि जहां नई शराब दुकानें खुलेंगी, वहां का माहौल खराब होगा। आम लोगों को आने-जाने में परेशानी होगी। महिलाओं का अपमान होगा और लड़ाई-झगड़े बढ़ेंगे। इस मुद्दे पर विरोध जताते हुए नशामुक्ति संगठन द्वारा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन प्रेषित किया गया है। संगठन ने पूरे प्रदेश को नशामुक्त बनाने की मांग की है।
शराब दुकानों के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका
स्मरण रहे इस मामले को पिछले दिनों हाइकोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए राज्य शासन और जिला प्रशासन को जवाब देने कहा था। बता दें कि जिले में कुल 65 से अधिक देशी-विदेशी मदिरा दुकान शासन द्वारा संचालित की जा रहीं हैं।स्कूल, कालेज, धार्मिक स्थलों समेत अस्पतालों के आस-पास संचालित सरकारी शराब दुकानों का विरोध किया जा रहा है। समय समय पर ऐसे स्थानों पर संचालित दुकानों को हटाए जाने की मांग होती रही है। आबकारी विभाग समेत कलेक्टर प्रशासन को आवेदन भी किया गया। फिर भी जनता की मांग को अनसुना किया जा रहा था।हालांकि दिए गए याचिका पर शासन के जवाब के बाद हाईकोर्ट ने याचिका निराकृत कर दी। हाईकोर्ट ने स्कूल, कालेज, धार्मिक स्थलों समेत खेल मैदान और अस्पताल के आस-पास संचालित शराब दुकानों पर प्रकाशित खबरों को स्वतः संज्ञान लिया था। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए राज्य शासन और जिला प्रशासन को जवाब देने कहा था।
प्रदेश में शराब सेवन की दर
छत्तीसगढ़ में शराब सेवन की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। एक अध्ययन के अनुसार, छत्तीसगढ़ में लगभग 30% पुरुष और 10% महिलाएं शराब का सेवन करते हैं।
शराब संबंधी समस्याएं शराबनोशी के कारण छत्तीसगढ़में कई सामाजिक और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, शराबनोशी के कारण छत्तीसगढ़ में लगभग 20% घरेलू हिंसा की घटनाएं होती हैं। शराबनोशी के कारण छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एक अध्ययन के अनुसार, शराबनोशी के कारण छत्तीसगढ़ में लगभग 10% आर्थिक नुकसान होता है।
दुकानों के आसपास मारपीट, गुंडागर्दी
स्कूल-कालेज के पास संचालित दुकानों के चलते छात्र-छात्राओं समेत स्कूल कालेज प्रबंधन को हमेशा सुरक्षा को लेकर परेशानियों का परेशानियों का सामना करना पड़ा है। खासकर महिलाओं, छात्राओं को अधिक मुश्किल होती है। शराब दुकानों में आए दिन मारपीट, गुंडागर्दी और छेड़खानी जैसी घटनाएं होती हैं लेकिन प्रशासन का ध्यान कभी नहीं गया। इन संचालित शराब की दुकानों नगरवासियों को आपत्ति है। नए आबकारी नीति के तहत राज्य शासन द्वारा देसी व विदेशी मदिरा दुकान खोलने का प्रस्ताव है। इससे पहले भी यहां शराब दुकान संचालित होती थी। इस कारण आए दिन मुख्य मार्ग पर भीड़ के कारण विवाद होता था। इसका स्थानीय रहवासियों ने अनेक अवसर पर विरोध किया। इसके बाद मंदिरा दुकान को शासन के द्वारा हटा दिया गया था। अधिक शराब दुकान उचित नहीं है। अब फिर से शराब दुकान खोलने का शहरवासी विरोध करते है।
आम जनजीवन प्रभावित होने का भय
शहर के अनेक इलाकों में घनी आबादी, सभ्य परिवार के लोग निवासरत हैं। शहर में उच्च न्यायालय के न्यायधीश के आवागमन का मार्ग है। शराब दुकान खुलने से लोग परेशान होंगे। महिलाओं व बच्चों को आने जाने में दिक्कत होगी। यहां के वातावरण खराब हो जाएगा। लौगों का आम जनजीवन दुरभर हो जाएगा। यहां आपराधिक घटनाएं बढ़ेंगी।रहवासियों ने चिंता जताई है कि शराब के नशे में लोग तेज रफ्तार से वाहन चलाएंगे। आसपास गुण्डों, बदमाशों से वातावरण प्रदूषित होगा। कोई भी अप्रिय घटना घट सकती है। इसलिए शहर में और शराब दुकान खोलने पर आपत्ति दर्ज कर रहे हैं। उनका कहना था कि शराब दुकान के आसपास के घरों की महिलाओं का रहना मुश्किल हो जाएगा। पहले आए दिन छेड़छाड़ की घटना होती रहती थी। शराब दुकान खोलने की योजना निरस्त नहीं करने पर उग्र आन्दोलन और चक्काजाम की चेतावनी भी दी है।छत्तीसगढ़ में 67 नई शराब दुकानों की स्थापना के विरुद्ध विरोध बढ़ता जा रहा है। प्रदेश की प्रमुख नशामुक्ति संस्था भगवती मानव कल्याण संगठन ने इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है।संगठन के जिला अध्यक्ष ने कहा कि एक तरफ वे गांव-गांव जाकर लोगों को नशामुक्त कर रहे हैं। दूसरी तरफ सरकार नई शराब दुकानें खोलकर प्रदेशवासियों को नशे की ओर धकेल रही है। उन्होंने बताया कि शराब से होने वाली लड़ाई-झगड़े और दुर्घटनाएं आम बात हो गई हैं। कई परिवार इसकी वजह से बर्बाद हो चुके हैं।
