स्वैच्छिक रक्तदान की संस्कृति को बढ़ावा देकर उजाला बने

-विश्व रक्तदाता दिवस -14 जून 2025 पर विशेष-

किसी के जीवन में रंग भरने का, जीवन और मौत के बीच जूझ रहे लोगों को जीवन देने का और अधिक स्वास्थ्य संकट से घीरे व्यक्ति के जीवन में आशा की किरण बनने का सशक्त माध्यम है रक्तदान। दुनिया भर में अनगिनत लोगों को रक्त की अपेक्षा होती है, इसलिये रक्तदान-महादान है। रक्तदान के महत्व को उजागर करने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 14 जून को ‘विश्व रक्तदान दिवस’ मनाया जाता है। किसी व्यक्ति के जीवन में रक्तदान के महत्व को समझाने के साथ ही रक्तदान करने के लिये आम इंसान को प्रेरित एवं प्रोत्साहित करने के लिये यह दिवस मनाया जाता है। इंसान की सम्पत्ति का कोई मतलब नहीं अगर उसे बांटा और उपयोग में नहीं लाया जाए, चाहे वे शरीर का रक्त ही क्यों न हो।

किसी व्यक्ति की रक्तअल्पता के कारण मृत्यु न हो, इस दृष्टि से रक्तदान एक महान् दान है, जो किसी को जीवन-दान देने के साथ हमें स्वर्ग-पथ की ओर अग्रसर करता है। ऐसा दानदाता समाज, सृष्टि एवं परमेश्वर के प्रति अपना कर्त्तव्य पालन करता है। रक्तदाता कोई भी हो सकता है, जिसका रक्त किसी अत्यधिक जरुरतमंद मरीज को दिया जा सकता है। किसी के द्वारा दिये गये रक्त से किसी को नया जीवन मिल सकता है, उसकी जिन्दगी में बहार आ जाती है। इस वर्ष इस दिवस की थीम है ‘रक्त दें, आशा दें- साथ मिलकर हम जीवन बचाते हैं।’ यह थीम रक्तदाताओं के जीवन-परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डालती है, समुदाय और एकता का सम्मान करती है, तथा नए और नियमित रक्तदाताओं दोनों को जीवन बचाने में मदद करने के लिए प्रेरित करती है।

दरअसल विश्व रक्तदान दिवस, शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त कर चुके वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद में पूरे विश्व में मनाया जाता है, उनका जन्म 14 जून 1868 को हुआ था। उन्होंने मानव रक्त में उपस्थित एग्ल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्तकणों का ए, बी और ओ समूह की पहचान की थी। रक्त के इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसी खोज के लिए महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन को साल 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था। उनकी इसी खोज से आज करोड़ों से ज्यादा लोग रक्तदान रोजाना करतेे हैं और इसी के कारण लाखों की जिंदगियां बचाई जाती हैं, जिससे रक्त प्राप्त करने वाले व्यक्ति को एक नयी जिंदगी और उनके परिवारों के चेहरे पर एक प्राकृतिक मुस्कुराहट देता है। रक्तदान का महत्व न केवल उन हजारों लोगों के जीवन को बचाना है जो रक्त की कमी या अभाव के कारण जीवन एवं मृत्यु के बीच संघर्षरत हैं, बल्कि विभिन्न बीमारियों से प्रभावित कई अन्य लोगों के जीवन को बचाना और उन्हें अनेक बीमारियों से लड़ने में मदद करना भी है। कल्पना कीजिए कि यह जानकर कैसा महसूस होगा कि आपने किसी की जान बचाई है। आपकी वजह से, कोई व्यक्ति अब अपने परिवार के साथ रह रहा है, पढ़ाई कर रहा है और दुनिया में मौजूद है। यह दिन चुनौतियों को स्वीकार करता है और सुरक्षित रक्त दान को सार्वभौमिक रूप से सुलभ बनाने की दिशा में प्रगति को गति देता है।

इस दिवस को मनाने का एक और महत्वपूर्ण कारण स्वैच्छिक रक्तदान की संस्कृति को बढ़ावा देना है। जो यह सुनिश्चित करता है कि दुनिया को सबसे ज्यादा ज़रूरत पड़ने पर सुरक्षित रक्त मिल सके। यह भी देखा गया है कि जब लोगों ने अपना रक्तदान किया है, तो उन्हें कई स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हुए हैं। रक्तदान करने वाले ज्यादातर लोग अपनी बीमारियों से जल्दी ठीक हो जाते हैं और लंबी उम्र जीते हैं, यह वजन घटाने, स्वस्थ लीवर और आयरन के स्तर को बनाए रखने, दिल के दौरे और कैंसर के जोखिम को कम करने में भी मदद करता है। इस अभियान का उद्देश्य सुरक्षित रक्त और प्लाज्मा दान की निरंतर आवश्यकता के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना, दानकर्ताओं के सकारात्मक प्रभाव पर जोर देना, तथा राष्ट्रीय रक्त कार्यक्रमों में निवेश करने और उन्हें बनाए रखने के लिए सरकारों और विकास भागीदारों से समर्थन जुटाना है।

भारत विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के बावजूद रक्तदान में काफी पीछे है। रक्त की कमी को खत्म करने के लिए विश्व भर में रक्तदान दिवस मनाया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत है लेकिन उपलब्ध 75 लाख यूनिट ही हो पाता है। यानी करीब 25 लाख यूनिट रक्त के अभाव में हर साल हजारों मरीज दम तोड़ देते हैं। यह अकारण नहीं कि भारत की आबादी भले ही डेढ़ अरब पहुंच गयी हो, रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं पहुंच पाया है। वहीं दुनिया के कई सारे देश हैं जो इस मामले में भारत को काफी पीछे छोड़ देते हैं। मालूम हो कि नेपाल में कुल रक्त की जरूरत का 90 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान से पूरा होता है तो श्रीलंका में 60 फीसदी, थाईलेण्ड में 95 फीसदी, इण्डोनेशिया में 77 फीसदी और अपनी निरंकुश हुकूमत के लिए चर्चित बर्मा में 60 फीसदी हिस्सा रक्तदान से पूरा होता है।

रक्तदान को लेकर विभिन्न भ्रांतियां समाज में परिव्यपाप्त है। रक्त की महिमा सभी जानते हैं। रक्त से आपकी जिंदगी तो चलती ही है साथ ही कितने अन्य के जीवन को भी बचाया जा सकता है। भारत में अभी भी बहुत से लोग यह समझते हैं कि रक्तदान से शरीर कमजोर हो जाता है और उस रक्त की भरपाई होने में महीनों लग जाते हैं। इतना ही नहीं यह गलतफहमी भी व्याप्त है कि नियमित रक्त देने से लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होती है और उसे बीमारियां जल्दी जकड़ लेती हैं। यहाँ भ्रम इस कदर फैला हुआ है कि लोग रक्तदान का नाम सुनकर ही सिहर उठते हैं। भारतीय रेडक्रास के अनुसार देश में रक्तदान को लेकर भ्रांतियाँ कम हुई हैं पर अब भी काफी कुछ किया जाना बाकी है। किसी व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता क्यों होती है इसके विभिन्न कारण हैं। एक बीमारी, दुर्घटना असाध्य ओपरेशन कुछ भी हो सकती है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है।

रक्तदान करते हुए डोनर के शरीर से केवल 1 यूनिट रक्त ही लिया जाता है। एक बार रक्तदान से आप 3 लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं। ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया काफी सरल होती है और रक्त दाता को आमतौर पर इसमें कोई तकलीफ नहीं होती हैं। रक्त दाता का वजन, पल्स रेट, ब्लड प्रेशर, बॉडी टेम्परेचर आदि चीजों के सामान्य पाए जाने पर ही डॉक्टर्स या ब्लड डोनेशन टीम के सदस्य आपका ब्लड लेते हैं। पुरुष 3 महीने और महिलाएं 4 महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान कर सकती हैं। यदि आप स्वस्थ हैं, आपको किसी प्रकार का बुखार या बीमारी नहीं हैं, तो ही आप रक्तदान कर सकते हैं। रक्तदान खुशी देने एवं खुशी बटोरने का एक जरिया है। एक चीनी कहावत- पुष्प इकट्ठा करने वाले हाथ में कुछ सुगंध हमेशा रह जाती है। जो लोग दूसरों की जिंदगी रोशन करते हैं, उनकी जिंदगी खुद रोशन हो जाती है। रक्तदान ऐसा पुण्य है जो किसी को नयी जिन्दगी देता है तो खुद को भी खुशी का अहसास कराता है।

रक्तदान पूरे विश्व में मनाये जाने वाले महत्त्वपूर्ण दिवसों में से एक है। कोई भी व्यक्ति चाहे, वह किसी भी उम्र, जाति, धर्म और समुदाय का हों, वह रक्तदान कर सकता है। भारत महर्षि दधीचि जैसे ऋषियों का देश है, जिन्होंने एक कबूतर के प्राणों व असुरों से जन सामान्य की रक्षा के लिये अपना देहदान कर दिया था। परंतु समय के साथ भारत में रक्तदान की प्रवृत्ति में गिरावट देखी गई। निश्चित तौर पर रक्तदान करके किसी अन्य व्यक्ति की जिंदगी में नई उम्मीदों का सवेरा लाया जा सकता है। इस तरह रक्तदान करने से एक प्रेरणादायी शक्ति पैदा होती है, जो अद्भुत होती है, यह ईश्वर के प्रति सच्ची प्रार्थना है। इस तरह की उदारता व्यक्ति की महानता का द्योतक है, जो न केवल आपको बल्कि दूसरे को भी प्रसन्नता, जीवनऊर्जा एवं जीवन प्रदान करती है।

ललित गर्ग
ललित गर्ग
आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »