वाराणसी : नई सुबह इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड बिहैवियरल साइंसेज़, वाराणसी में दिनांक 07 – 09 जुलाई 2025 तक चल रहे 3 दिवसीय सतत पुनर्वास शिक्षा का समापन समारोह आयोजित किया गया जिसमें सफल प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. दोरजी डमडुल डीन, सोवा-रिग्पा संकाय केंद्रीय तिब्बती उच्च अध्ययन संस्थान सारनाथ, वाराणसी ने कहा कि हमारे जीवन में मन का सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है जैसा हमारा मन होता है वैसा ही हम व्यवहार प्रदर्शित करते हैं मन को दुरुस्त रखना अति आवश्यक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डॉ. शेफाली ठकुराल, विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी ने कहा कि सतत पुनर्वास शिक्षा में प्राप्त कौशल का दिव्यांग जनों के जीवन में उठा लाने हेतु प्रयोग किया जाना अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने समस्त प्रतिभागियों को शुभकामनाऐं प्रदान करते हुए उत्साह वर्धन किया।

नहीं सुबह संस्था के संस्थापक अध्यक्ष डॉ अजय तिवारी ने कहा कि नई सुबह दिव्यांगता के क्षेत्र में व्यवसायिकों की कमी तथा उनके कौशलों के विकास के लिए सतत रूप से प्रयासरत है।
इस प्रशिक्षण में विशेष शिक्षक, पुनर्वास मनोवैज्ञानिक, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, मनोविज्ञान के छात्र एवं प्रोफेशनल्स सक्रिय भागीदारी किया।
तीन दिवसीय सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम में वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ मनोज तिवारी, डॉ अमरजीत सिंह पूजा यादव, अर्पित मिश्रा ने रिसोर्स पर्सन के रूप में सहभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया। विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभागियों को यह समझाया जा रहा है कि एडीएचडी से प्रभावित बच्चों को समाज का सहयोग कैसे मिल सकता है, समाज को इन बच्चों से कैसे संवेदनशीलता एवं सहयोग के साथ जोड़ा जा सकता है। सत्रों के दौरान केस स्टडीज, व्यवहार मूल्यांकन, आईईपी निर्माण, इंटरव्यू तकनीक तथा समावेशी शिक्षा रणनीतियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में अनुराग तिवारी, डाँ अमित तिवारी, राजीव सिंहा, गौरव चक्रवर्ती, राधिका की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यक्रम का संचालन ईश शक्ति मानू तथा अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन डॉ अजय तिवारी ने किया।