डॉ. घनश्याम सिंह पी.जी. कॉलेज में बी.एड. विभाग द्वारा हिंदी साहित्य के अमर कथाकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती अत्यंत उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई गई। जिसमें कॉलेज के शिक्षकों और छात्रों ने बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज के प्रबंधक श्री नागेश्वर सिंह, प्रशासक श्री संजीव सिंह प्राचार्य द्वारा मुंशी प्रेमचंद के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर किया गया। प्राचार्य ने अपने उद्बोधन में प्रेमचंद के साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला और उन्हें ‘कलम का सिपाही’ बताते हुए कहा कि उनकी रचनाएं आज भी समाज को दिशा देने में प्रासंगिक हैं।
प्रबंधक श्री नागेश्वर सिंह ने अपने उद्बोधन में प्रेमचंद जी के संघर्ष को उनकी निर्मिति का आधार बताते हुए कहा कि प्रेमचंद के कहानियों-उपन्यासों के पात्र अन्यत्र से नहीं अपितु हमारे आस पास के जीवन संघर्ष से निर्मित हैं। प्रेमचंद का सम्पूर्ण साहित्य भारतीय वैचारिकता का चरम निदर्शन है।

बतौर मुख्य वक्ता हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. गौरव तिवारी व डॉ शैलजा राय ने प्रेमचंद के जीवन और उनके साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों में चित्रित ग्रामीण जीवन, किसानों की दुर्दशा, सामाजिक कुरीतियों और मानवीय संवेदनाओं को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रेमचंद के साहित्य में वर्णित घटनाओं से आगे बढ़ने की जरूरत है।उनका मानना है कि प्रेमचंद की स्त्री पत्रों के सम्मुख पुरुष पात्र धूमिल नजर आते हैं ।उनकी स्त्री पात्र संघर्ष करती है लेकिन पराजय को स्वीकार नहीं करती।
इस अवसर पर कॉलेज के छात्रों द्वारा “नमक का दारोगा”कहानी का मंचन किया गया जो विशेष रूप से उपस्थित लोगों का ध्यान आकर्षित किया, जिसमें प्रेमचंद के विचारों को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत किया गया था।
कार्यक्रम में कॉलेज के साहित्यिक मंच द्वारा कहानी लेखन एवं निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रतियोगिता के विजेताओं को महाविद्यालय के प्रबंधक महोदय द्वारा सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन बीएड विभाग की अध्यक्ष डॉ. रचना पांडेय द्वारा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ उपेन्द्र यादव द्वारा किया गया। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रेमचंद जयंती का यह आयोजन हमें उनके मूल्यों और आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करता है।