बिलासपुर: जब पर्यावरण बचाने की मुहिम सारे विश्व में चल रही हो और पर्यावरण प्रेमी और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा धरती के स्वास्थ्य को बचाने की कवायद चारों तरफ की जा रही है।तब इसके उलट रेलवे ने हरे भरे पेड़ों के काटने की महिम शुरू कर दी है। पर्यावरण प्रेमी और शहरवासियों में इसके विरोध में स्वर उठने लगे हैं। क्या रेलवे लोगों के विरोध पर अपनी मुहिम बंद करेगा..? यह यक्ष प्रश्न लोगों के बीच चल रहा है।

रेलवे की चल रही मनमानी
लगता है रेलवे को पर्यावरण की कोई चिंता नहीं है। रेलवे के विकास की कीमत अब शहर की हरियाली को चुकानी पड़ रही है। लोको खोली क्षेत्र में रेलवे ने नए भवनों के निर्माण, सड़क चौड़ीकरण और रेलवे लाइन विस्तार के लिए करीब 100 से अधिक हरे-भरे पेड़ों को काट दिया है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, जल्द ही 500 और पेड़ों की कटाई की जाएगी।
रेलवे क्षेत्र हरा भरा होने के कारण सुकून का एहसास देता रहा
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले जहां इस इलाके में हरियाली और ठंडक महसूस होती थी, वहीं अब कटे हुए पेड़ों के तने और लकड़ियां सड़क किनारे ढेर में पड़ी नजर आ रही हैं। इसके पूर्व बिलासा की इस मिट्टी में रेलवे क्षेत्र अपना अलग सुकून भरा एहसास रखता था। शहर वासियों के साथ-सा बाहर से आने वाले यात्री जब इस क्षेत्र से गुजरते थे तो उनको बिलासपुर का यह क्षेत्र काफी हरा भरा और स्वच्छ हवा व सुकून के एहसास से भर देता था। जो अब शायद कभी नहीं मिल पाएगा।
रेलवे का दावा – ली गई है अनुमति
पेड़ों की कटाई के लिए बाकायदा अनुमति ली गई है! इसके बाद ही रेलवे ने पेड़ों के काटने की प्रक्रिया शुरू की है। रेलवे क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए पेड़ों की कटाई की जा रही है।”रेलवे क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्यों के लिए जितने भी पेड़ काटे जा रहे हैं, उसकी अनुमति बाकायदा वन विभाग से ली गई है। कितने पेड़ काटे जाने हैं, इसकी पूरी जानकारी दी गई है।”
– अनुराग कुमार सिंह, सीनियर डीसीएम, बिलासपुर मंडल
वन विभाग के नियमों पर उठे सवाल
हालांकि वन विभाग के नियमानुसार, सरकारी या अर्धशासकीय परियोजनाओं में किसी भी पेड़ की कटाई राजस्व विभाग को सूचित करके और वन विभाग की देखरेख में की जानी चाहिए।
“किसी भी शासकीय परियोजना के अंतर्गत पेड़ों की कटाई के लिए एसडीओ राजस्व को सूचना देना अनिवार्य है। आवश्यक हुआ तो कटाई वन विभाग के माध्यम से करवाई जा सकती है।”
-शुभम मिश्रा
रेंज अफसर वन विभाग
विभाग के अफसर यह दवा तो जरूर कर रहे हैं लेकिन मौके पर वन विभाग की मौजूदगी नहीं दिखी। कटाई का कार्य ठेकेदारों के माध्यम से किया जा रहा है, और यह स्पष्ट नहीं है कि यह लकड़ी कहां जा रही है।
हर पेड़ की जगह लगने चाहिए 10 पौधे
नियमों के अनुसार, जितने भी पेड़ काटे जाते हैं, उनका 10 गुना पौधरोपण अनिवार्य है। लेकिन फिलहाल क्षेत्र में कहीं भी पौधरोपण के संकेत नहीं दिख रहे।
पर्यावरण प्रेमियों की चिंता
पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि रेलवे चाहे विकास कर रहा हो, लेकिन इस अंधाधुंध कटाई से शहर का पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ जाएगा। सैकड़ों साल पुराने पेड़ों को बचाया जा सकता था, परंतु “विकास” की दौड़ में विनाश को प्राथमिकता दी जा रही है।
