नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ने देश के विद्युत वितरण क्षेत्र को तकनीकी परिवर्तन के नए दौर में प्रवेश कराया। इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए विद्युत मंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग आधारित अनुप्रयोग आने वाले समय में एक बुद्धिमान, उपभोक्ता-केंद्रित और स्व-अनुकूलित वितरण प्रणाली के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेंगे। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इन तकनीकों से निर्मित समाधान उपभोक्ता अनुभव और परिचालन दक्षता दोनों को समान रूप से रूपांतरित करेंगे।

मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि एआई और एमएल की मदद से स्मार्ट मीटर एनालिटिक्स, डिजिटल ट्विन्स, पूर्वानुमानित रखरखाव, चोरी का पता लगाने वाली इंटेलिजेंस, उपभोक्ता स्तरीय डेटा अंतर्दृष्टि, जेनएआई आधारित निर्णय सहायता और स्वचालित आउटेज पूर्वानुमान जैसे नवाचार विद्युत व्यवस्था को भविष्य के लिए तैयार करेंगे। इन तकनीकों के माध्यम से उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा गुणवत्ता, विश्वसनीय सप्लाई, समय से पहले समस्याओं की पहचान और समाधान, तथा कंपनियों को आर्थिक दक्षता प्राप्त होगी।
उद्योग और राज्यों की व्यापक भागीदारी
सम्मेलन में राज्यों की वितरण कंपनियों, विभिन्न तकनीकी प्रदाताओं, उन्नत मीटरिंग अवसंरचना सेवा कंपनियों और नवाचार संस्थानों की सक्रिय भागीदारी ने भारत की विद्युत प्रणाली में तकनीक-आधारित पुनर्गठन की संभावनाओं को और मजबूत किया। मंत्री मनोहर लाल ने डिस्कॉम कंपनियों, तकनीकी साझेदारों और नवप्रवर्तकों की प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए कहा कि विद्युत क्षेत्र को अब एक ऐसे इको-सिस्टम की आवश्यकता है जिसमें उद्योग, सरकार और उपभोक्ताओं के बीच समन्वय बना रहे।
उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकियों के बारे में गलत धारणाओं को दूर करना और उपभोक्ताओं का विश्वास अर्जित करना उतना ही आवश्यक है जितना इन समाधानों को लागू करना। उपभोक्ता भागीदारी, तकनीकी स्वीकृति और परिवर्तन के प्रति जागरूकता ही डिजिटल ऊर्जा सुधार को सफल बना सकती है।
एआई आधारित समाधान उपभोक्ता और कंपनियों दोनों के लिए लाभकारी
मंत्री ने कहा कि एआई और एमएल आधारित ऊर्जा समाधानों का केंद्रीय दृष्टिकोण एक विश्वसनीय विद्युत प्रणाली का निर्माण करना है। इन उपायों से उपभोक्ता अपनी ऊर्जा खपत को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे, बिजली कटौती को होने से पहले ही रोका जा सकेगा, और ईमानदार उपभोक्ताओं को अवैध खपत और चोरी के दुष्प्रभाव से राहत मिलेगी। साथ ही डिस्कॉम कंपनियों को घाटा कम करने, बिजली खरीद लागत को अनुकूलित करने और मुनाफे को निर्धारित निवेश में पुनर्नियोजित करने के अवसर मिलेंगे।
उन्होंने इसे एक ऐसे शक्तिशाली कथानक के रूप में वर्णित किया जो तकनीक के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ाता है, विश्वास को सुदृढ़ करता है और भारत को डिजिटल ऊर्जा सुधारों में वैश्विक नेतृत्व दिलाने की क्षमता रखता है।
सचिव पंकज अग्रवाल ने दिया डिजिटलीकरण का रोडमैप
विद्युत मंत्रालय के सचिव श्री पंकज अग्रवाल ने कहा कि डिस्कॉम कंपनियों को डिजिटल परिवर्तन की दिशा में ठोस और मापनीय पहल करनी होगी। उन्होंने डेटा-साझाकरण सुरक्षा ढांचे, अंतर-संचालनीयता और क्षमता निर्माण के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि सम्मेलन में प्रस्तुत नवाचारों को देशव्यापी स्तर पर विस्तार देने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि केवल तकनीक का अधिग्रहण पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसका प्रभावी उपयोग, मूल्यांकन और परिणामों की पारदर्शी निगरानी भी उतनी ही आवश्यक है।
सर्वश्रेष्ठ नवाचारों का चयन
सम्मेलन में नवाचार के लिए राष्ट्रीय आह्वान के तहत 195 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 51 समाधानों को विस्तृत मूल्यांकन के लिए चुना गया। मूल्यांकन के बाद विभिन्न श्रेणियों में विजेताओं की घोषणा की गई।
डिस्कॉम श्रेणी में तमिलनाडु टीएनपीडीसीएल और मध्य प्रदेश पूर्व चुने गए। एएमआईएसपी श्रेणी में टाटा पावर और अप्रावा को सम्मान मिला। प्रौद्योगिकी समाधान प्रदाता श्रेणी में प्रवाह और फ्लॉक एनर्जी को विजेता घोषित किया गया, जबकि होम ऑटोमेशन श्रेणी में टाटा पावर को पुरस्कार मिला।
विजेताओं द्वारा प्रस्तुत समाधानों में स्मार्ट मीटरिंग एनालिटिक्स, राजस्व संरक्षण, सटीक उपभोक्ता सूचकांकीकरण, डिमांड रिस्पॉन्स ऑटोमेशन, रीयल-टाइम ग्रिड इंटेलिजेंस और गृह ऊर्जा नियंत्रण जैसे आयाम प्रमुख रहे।
ऊर्जा योजना और एआई आधारित भविष्य की रूपरेखा
मंत्री मनोहर लाल ने केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा विकसित STELLAR (दीर्घकालिक भार पर्याप्तता और लचीलेपन के लिए रणनीतिक विस्तार) प्लेटफॉर्म का शुभारंभ किया। यह प्लेटफॉर्म डिस्कॉम कंपनियों को दीर्घकालिक संसाधन योजना और पर्याप्तता अध्ययन करने में मदद करेगा।
सम्मेलन में इंडिया स्मार्ट ग्रिड फोरम की ओर से एआई, एमएल, एआर/वीआर और रोबोटिक्स समाधानों से संबंधित एक विस्तृत हैंडबुक और रोडमैप भी जारी किया गया, जिसमें 174 उपयोग मामलों का दस्तावेजीकरण किया गया है, जिनमें से 45 भारतीय यूटिलिटीज के हैं।