सभी तरह की उत्पादन प्रौद्योगिकियां अक्सर बाधित जल आपूर्ति के दर्द को महसूस कर रही हैं। बढ़ी हुई नियामक आवश्यकताओं, पानी की गुणवत्ता में बदलाव या बढ़ती जल आपूर्ति लागत इसकी वजह हो सकती हैं। बिजली संयंत्रों पर पानी से संबंधित बढ़ते दबाव को देखते हुए एक संयंत्र अपने पानी और वेस्ट वाटर को आंतरिक रूप से कैसे प्रबंधित करता है इसकी स्पष्ट समझ संयंत्र संचालकों के लिए अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है।
बिजली संयंत्र में पानी का उपयोग कैसे किया जाता है इसका सक्रिय प्रबंधन पानी की खपत को कम करने के अलावा और भी बहुत कुछ कर सकता है। यह परिचालन लागत को भी कम कर सकता है और भविष्य के लिए संयंत्र की योजना बनाने में मदद कर सकता है। प्रीट्रीटमेंट सिस्टम में वेस्ट वाटर, स्ट्रेनर, फिल्टर बैकवाश वॉटर, डीवाटरिंग उपकरण फ़िल्टर और अन्य संयंत्र स्रोतों में ट्रैकिंग सक्षम करने के लिए उसका मूल्यांकन किया जाता है। बात अगर अदाणी समूह की करें तो इनका सभी व्यवसायों में जल प्रबंधन सबसे रणनीतिक संरक्षण उपायों में से एक रहा है।
यहां ये सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है कि मीठे पानी के स्रोतों पर निर्भरता न्यूनतम हो, जो व्यवसाय संचालन, समुदायों और पर्यावरण के हित में है। अदाणी पोर्ट्स और एसईजेड लिमिटेड ने प्रमुख बंदरगाहों पर वेस्ट वाटर मैनेजमेंट प्रणाली स्थापित की है और अब तक 650 मिलियन लीटर का ट्रीटमेंट और पुन: उपयोग किया जाता है। ये प्रणाली आस-पास की सामुदायिक परिषदों के पानी को भी साफ करती हैं। इतना ही नहीं, माइनिंग वॉशरी में 100% पानी रिसाइकल किया जाता है।
मुंद्रा (गुजरात) और उडुपी (कर्नाटक) में अदाणी बिजली संयंत्रों के लिए पानी की आवश्यकता का एक प्रमुख स्रोत डेसेलाइन पानी है। इससे मीठे पानी के स्रोतों पर निर्भरता से बचा जा सकता है। मुंद्रा स्पेशल इकोनॉमिक जोन में औद्योगिक इकाइयों के भीतर पानी की जरूरतों के एक बड़े हिस्से को खारा पानी भी पूरा करता है। ट्रीटेड वाटर के साथ, मुंद्रा एसईज़ेड इन टिकाऊ स्रोतों से पानी की 95% आवश्यकता को पूरा करता है।
अदाणी समूह सालाना 2 अरब लीटर से अधिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग करते हैं जिसका उपयोग लगभग 891 मिलियन यूनिट बिजली पैदा करने के लिए किया जा सकता है जो एक महीने के लिए 8.9 मिलियन घरों को रोशन कर सकता है। इसके अतिरिक्त सभी प्रमुख सोलर और विंड एनर्जी प्लांट और बंदरगाहों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा अदाणी फाउंडेशन के तहत पीने के साफ पानी की आवश्यकता और सिंचाई को पूरा करने के लिए भारत के 18 से ज्यादा राज्यों में जल संरक्षण परियोजनाएं चलती है। अब तक जल संरक्षण परियोजनाएं 17,000 एकड़ से ज्यादा भूमि के 20,000 से अधिक किसानों तक पहुंच चुकी हैं।
हम आपको ये बता दें कि एक बार जब वाटर बैलेंसिंग सिस्टम विकसित हो जाता है और पूरे प्लांट में प्रदूषण के कारक को बड़े पैमाने पर ट्रैक किया जाता है। इसी साल रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड को एक स्वतंत्र वैश्विक एजेंसी डीएनवी ने “वाटर पॉजिटिव” प्रमाणन से सम्मानित किया गया है। भारत को 2025 तक पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। वैश्विक स्तर पर 31 देशों में पहले से ही पानी की कमी है और 2025 तक पानी की गंभीर कमी का सामना करने वाले 48 देश होंगे। संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2050 तक 4 अरब लोग पानी की कमी से गंभीर रूप से प्रभावित होंगे।
मुस्कान सिंह